Vilasrao Deshmukh Death Anniversary: राजनीति के मंझे हुए नेता थे विलासराव देशमुख, ऐसे पहुंचे थे सत्ता के शिखर पर

महाराष्ट्र के लातूर जिले के बाभालगांव में 26 मई 1945 को विलासराव देशमुख का जन्म हुआ था। शुरूआती शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से विज्ञान और ऑर्ट्स दोनों में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की थी।
आज ही के दिन 14 अगस्त को विलासराव देशमुख का निधन हो गया था। वह दो बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रहे थे। बता दें कि वह मंझे हुए राजनीतिज्ञ माने जाते थे। उन्होंने पंचायत चुनाव से राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी। इसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति में कदम रखा था। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर विलासराव देशमुख के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
महाराष्ट्र के लातूर जिले के बाभालगांव में 26 मई 1945 को विलासराव देशमुख का जन्म हुआ था। शुरूआती शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से विज्ञान और ऑर्ट्स दोनों में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की थी। इसके साथ ही उन्होंने पुणे के इंडियन लॉ सोसाइटी लॉ कॉलेज से कानूनी शिक्षा प्राप्त की।
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राजनीतिक जीवन
विलासराव देशमुख ने अपनी राजनीतिक जीवन की शुरूआत पंचायत चुनावों से की थी। देशमुख पहले पंच और फिर बाद में सरपंच बने थे। इसके बाद वह जिला परिषद के सदस्य और लातूर तालुका पंचायत समिति के उपाध्यक्ष भी बनें। उन्होंने युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष पद से अपने कॅरियर की शुरूआत की थी। इसके बाद विलासराव देशमुख ने राज्य की राजनीति में कदम रखा था। साल 1980 से लेकर 1995 तक वह तीन बार विधानसभा के लिए चुने गए। विलासराव ने बतौर मंत्री पर्यटन, उद्योग, गृह, ग्रामीण विकास, कृषि, मतस्य, परिवहन, शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, युवा मामले, खेल समेत अनेक पदों को संभाला।
महाराष्ट्र के सीएम
साल 1995 में विलासराव को चुनावों में हार का सामना करना पड़ा। फिर साल 1999 में चुनाव हुए और विधानसभा में एक बार फिर देशमुख की वापसी हुई। 18 अक्टूबर 1999 से 18 जनवरी 2003 तक वह महाराष्ट्र के सीएम बनें। लेकिन वह पहली बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। फिर साल 2004 में वह दोबारा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनें। उनकी गिनती राज्य कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में की जाती थी।
जब देशमुख के मुख्यमंत्री पद का दूसरा कार्यकाल चल रहा था, उसी दौरान मुंबई में 21/11 का आतंकी हमला हुई था। इसकी नैतिक जिम्मेदारी को लेते हुए विलासराव ने सीएम के पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं हमले के बाद विलासराव अपने बेटे फिल्म अभिनेता रितेश देशमुख और फिल्म निर्माता राम गोपाल वर्मा के साथ होटल ताज का मुआयना करने गए थे। तब विपक्ष ने उनकी जबरदस्त आलोचना की थी। ऐसे में उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा देते हुए केंद्र की राजनीति की ओर रुख किया। वह राज्यसभा के सदस्य बनें और उनको केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई।
मृत्यु
किडनी और लिवर में दिक्कत होने के कारण विलासराव देशमुख लंबे समय से बीमार चल रहे थे। वहीं 14 अगस्त 2012 को विलासराव देशमुख का निधन हो गया।
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