कृषि के माध्यम से उत्तर प्रदेश को आगे बढ़ाएँ आदित्यनाथ

आदित्यनाथ योगी जी को उत्तर प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कलाम साहेब के फार्मूले आजमाने चाहिए। डॉ. कलाम के विजन डॉक्यूमेंट में इस पर प्रकाश डाला गया है।

‘‘उत्तर प्रदेश के विकास का रास्ता खेल-खलिहानों में ढूंढा जाएगा'...योगी अदित्यनाथ का यह बयान मुख्यमंत्री पद संभालते के तुरंत बाद आया है। कैसे? उन्होंने अपनी पहली प्रेस कान्फ्रेंस में इस पर तो कुछ नहीं कहा, पर पिछले दो साल से इसी सवाल का जवाब ढूंढने में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी लगे हैं। इसके लिए हरियाणा में 2015 से एग्री लीडरशिप समिट के आयोजन का सिलसिला शुरू हुआ है। इस अवसर पर लाखों की संख्या में प्रोग्रेसिव व आम किसान, कृषि वैज्ञानिक, कृषि आधारित कंपनियां, अनुसंधान केंद्र, शिक्षाविद, राजनेता इकट्ठा होते हैं और सिर जोड़कर इसका उत्तर ढूंढने का प्रयास करते हैं।

दिल्ली से लगते सूरजकुंड में 18 से 20 मार्च तक दूसरा समिट आयोजित किया गया। इस दौरान हरियाणा के कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ के नेतृत्व में किसानों को सभी समझाने में लगे रहे कि परंपरागत खेती में कुछ नहीं। इसकी जगह कुछ नया करने की जरुरत है। बाजार के हिसाब से खेती को करना होगा। हरियाणा के किसानों को पेरी एग्रीकल्चर की दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए। दिल्ली-एनसीआर के पांच करोड़ लोगों के लिए किसान कुछ ऐसा करें कि वे दूध, दही, घी, मछली, फल, सब्जी, बकरे के मीट और फ्रोजन खाद्य सामग्रियों के लिए किसी और की ओर न देखें। हरियाणा से सांसद और केंद्रीय इस्पात मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह कहते हैं कि पुरानपंथी खेती-किसानी एक दिन किसानों को ले डूबेगी। खेतियां बारिश या भू-गर्भीय जल स्रोत पर निर्भर हैं और बारिश होती नहीं। हर साल सूखा पड़ता है। किसान निरंतर कर्ज में डूबता जा रहा है। कुदरती कुचक्र से बचकर निकलने का एक मात्र रास्ता है वैज्ञानिक, आधुनिक खेती और कृषि आधारी उत्पाद से संबंधित उद्योग लगाना। किसान इस पर अमल नहीं करेंगे तो उनकी आने वाली नस्लें उन्हें कभी माफ नहीं करेंगी। गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी मानते हैं कि 21वीं सदी में कृषि ही सन-राइजिंग सेक्टर है। इसी तरफ बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा की नजरों में भारत को शहरों के विकास की बजाए गांवों पर ध्यान देना चाहिए।

योगी आदित्यनाथ के सामने यह बड़ी चुनौती है। यूपी की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है। गेहूं, चावल उगाने में यह हरियाणा या पंजाब से कम नहीं। हरित क्रांति का यूपी पर खासा असर हुआ है। प्रदेश में गन्ना, ज्वार, जौ की खेती भी प्रचुरता से होती है। 1960 के दशक से यूपी की गिनती चावल और गेंहू का उत्पादन करने वाले प्रमुख प्रांतों में हो रही है। ये मुख्य फसलें हैं। यूपी में करीब दस करोड़ किसान हैं जो हरियाणा, पंजाब और गुजरात की कुल आबादी के बराबर हैं। इस हिसाब से यूपी की विकास योजना बड़ी बनानी पड़ेगी। इस प्रदेश में इतने आलू उगाए जाते हैं, जितना पूरा अमेरिका पूरे साल खाता है उसका तीन गुना। मगर संबंधित उद्योग यूपी में ना के बराबर हैं। कोल्ड स्टोरेज की संख्या पर्याप्त नहीं होने से हर साल किसानों को अपना उत्पादन औने-पौने बेचना पड़ता है। कई बार तो सड़कों पर फेंकने तक की नौबत आ जाती है।

यूपी की 70 प्रतिशत खेती भू-गर्भीय जल स्रोत पर निर्भर है। बारिश होती नहीं और जल संचय प्रबंधन चौपट है। पिछले एक दशक से यूपी का बड़ा भाग सूखे की चपेट में है। पूर्वांचल में सिंचाई व्यवस्था इतनी अच्छी नहीं, जितनी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है। योगी आदित्यनाथ पूर्वी क्षेत्र से आते हैं। उन्हें अपने प्रदेश को कृषि के माध्यम से आगे ले जाने के लिए सिंचाई व्यवस्था सुधारनी होगी। यूपी में फल, फूल के उत्पादन भी बढ़ाने होंगे। छोटे और सीमांत किसानों को उनसे कर्ज माफी की उम्मीद है। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने ट्वीट कर इस पर अमल करने में असमर्थता जताई है। उनका कहना है कि भाजपा के राष्ट्रीय घोषणा पत्र में इसका कोई जिक्र नहीं। यूपी के चुनावी घोषणा पत्र में अवश्य उल्लेख है। यूपी सरकार कर्जमाफी की दिशा में कुछ करती है तो केंद्र अवश्य साथ देगा। हरियाणा में सबसिडी देने का कल्चर खत्म किया जा रहा है। उसकी जगह प्रोत्साहन राशि देने की संस्कृति शुरू की गई है। योगी आदित्यनाथ भी ऐसा कर सकते हैं। प्रदेश के कृषि अनुसंधान और कृषि शिक्षा की स्थिति भी सुधारनी होगी। कृषि अनुसंधान परिषद की दशा कुछ ठीक नहीं। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को कृषि के माध्यम से यूपी को आगे बढ़ाने के कुछ नुस्खे बताए थे। अखिलेश इस पर कितने खरे उतरे, यह तो समीक्षा का विषया है। योगी जी को भी प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिए कलाम साहेब के फार्मूले आजमाने चाहिए। कलाम के विजन डॉक्यूमेंट में इस पर प्रकाश डाला गया है।

मलिक असगर हाशमी

(लेखक देश के पहले कृषि न्यूज पोर्टल खेत बाजार डॉट कॉम के निदेशक हैं)

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