नये कश्मीर में क्या-क्या बदला यदि यह सवाल आपके मन में भी है तो यह रहे जवाब

jammu kashmir

यह बदला हुआ जम्मू-कश्मीर नहीं तो और क्या है कि आज घाटी में किसी अलगाववादी संगठन की एक नहीं चलती, देशविरोधी अलगाववादियों की ओर से जारी होने वाले दैनिक बंद के कैलेण्डर अब पुरानी बात हो चुके हैं। आज घाटी का हर युवा मुख्यधारा में आने को आतुर है।

जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने और वहाँ से अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के दो साल पूरे हो गये हैं। अनुच्छेद 370 को हटाये जाते समय केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से जो वादे किये थे वह सभी के सभी तो पूरे नहीं हुए लेकिन एक चीज साफ नजर आती है कि वहाँ बड़ा बदलाव आया है। अब वहाँ पहले की तरह पत्थरबाजी नहीं होती, अब वहाँ पहले की तरह आईएसआईएस के झंडे नहीं लहराये जाते, अब वहाँ पहले की तरह भ्रष्टाचारी नेता और अधिकारी कानून के शिकंजे से बच नहीं पाते, अब वहाँ दूरदराज के गाँव पहले की तरह बुनियादी सुविधाओं की बाट जोहते रहने को मजबूर नहीं होते, अब वहाँ पहले की तरह पाकिस्तानी गोलाबारी में सीमावर्ती गांवों के लोगों की जान खतरे में नहीं पड़ती क्योंकि बड़ी संख्या में उनको बंकर बना कर दिये जा चुके हैं। अब वहाँ पहले की तरह केंद्रीय योजनाओं के लाभ से स्थानीय जनता वंचित नहीं रहती। अब वहाँ पहले की तरह सरकारी इमारतों पर दो नहीं सिर्फ एक झंडा लहराता है और वह है हमारा प्यारा तिरंगा।

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बदले कश्मीर का सुनहरा दृश्य

यह बदला हुआ जम्मू-कश्मीर नहीं तो और क्या है कि आज घाटी में किसी अलगाववादी संगठन की एक नहीं चलती, देशविरोधी अलगाववादियों की ओर से जारी होने वाले दैनिक बंद के कैलेण्डर अब पुरानी बात हो चुके हैं। आज घाटी का हर युवा मुख्यधारा में आने को आतुर है और सेना तथा अन्य सरकारी अथवा निजी क्षेत्रों के माध्यम से देश की सेवा करना चाहता है। आज कश्मीर का युवा तिरंगा लहरा रहा है, राष्ट्रगान प्रतियोगिता में भाग ले रहा है। उनके लिए स्कूल, कॉलेजों की सर्वसुविधा संपन्न नयी-नयी इमारतें बन रही हैं। आज कश्मीर में आतंकवाद को स्थानीय स्तर पर मिलने वाली मदद लगभग बंद हो चुकी है। यही नहीं 70 सालों तक जम्मू-कश्मीर की जनता को लूटने वाले नेताओं को भी समझ आ चुका है कि अब उनके लिए पहले वाले दिन नहीं रहे क्योंकि जनता जाग चुकी है। 

निर्वाचित जनप्रतिनिधि भी मिले

हाल ही में डीडीसी और पंचायत चुनावों के जरिये जनता ने अपने स्थानीय प्रतिनिधियों को चुना और निर्वाचित प्रतिनिधि लोगों की सेवा का कार्य कर रहे हैं। कोरोना काल में सबने देखा कि जब लॉकडाउन के दौरान सब कुछ बंद था तब कैसे केंद्रीय योजनाओं का लाभ केंद्र शासित प्रदेश की जनता को मिला। समय-समय पर केंद्रीय मंत्रियों के यहाँ लगातार दौरे हुए जिससे स्थानीय जनता के साथ संवाद कर उनकी समस्याओं को समझा जा सके और उनका हल निकाला जा सके। यही नहीं स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू-कश्मीर के हालात पर निगाह बनाये रखते हैं और कोरोना काल में उन्होंने लगातार वहाँ के लोगों की जरूरतों का ख्याल रखा और उनसे नियमित संवाद भी किया। प्रधानमंत्री मोदी हाल ही में राजनीतिक दलों की बैठक दिल्ली में ले चुके हैं और सरकार की ओर से स्पष्ट किया जा चुका है कि विधानसभा सीटों के परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा और वहाँ विधानसभा चुनाव भी कराये जाएंगे ताकि स्थानीय जनता को निर्वाचित सरकार मिल सके। मोदी सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि प्रशासनिक अधिकारी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का स्थान नहीं ले सकते इसलिए जल्द ही वहाँ निर्वाचित सरकार होगी।

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आतंकवाद के मोर्चे पर कितनी सफलता मिली?

जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद के पाँव किस तेजी के साथ उखड़े हैं यह इसी से स्पष्ट हो जाता है कि यह रिपोर्ट लिखे जाने तक सुरक्षा बलों ने इस साल अभी तक वहाँ सात पाकिस्तानी नागरिकों सहित 90 से ज्यादा आतंकवादियों को मार गिराया है। यह संख्या पिछले साल के मुकाबले कुछ कम भले हो लेकिन इस साल मारे गये आतंकवादियों में बड़ी संख्या आतंकी संगठनों के शीर्ष कमांडरों की है। सरकार ने भी बताया है कि जम्मू-कश्मीर में पिछले दो साल में आतंकवादी हिंसा की घटनाओं में कमी आई है। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा को जानकारी दी है कि जम्मू-कश्मीर में साल 2019 की तुलना में साल 2020 में आतंकी हिंसा की घटनाओं में 59 प्रतिशत की कमी आई और वर्ष 2021 में जून तक आतंकी हिंसा में 32 प्रतिशत की कमी आई है। यह सही है कि कुछ निर्वाचित प्रतिनिधि आतंकी घटनाओं के शिकार बने लेकिन उनके हत्यारे भी चंद घंटों के भीतर ही मार गिराये गये।

कश्मीरी पंडितों का क्या हुआ?

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया गया था तो उम्मीद जगी थी कि कश्मीरी पंडितों की वापसी हो जायेगी। इस मुद्दे पर विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर भी है लेकिन सरकार का कहना है कि प्रधानमंत्री के पुनर्वास पैकेज के तहत 3841 कश्मीरी प्रवासी युवा वापस लौटे हैं जिन्हें कश्मीर के विभिन्न जिलों में नौकरियां दी गयी हैं। सरकार ने संसद को जानकारी दी है कि पिछले कुछ समय से कश्मीरी पंडितों ने स्वयं को ज्यादा सुरक्षित महसूस किया है जो इस तथ्य से प्रमाणित होता है कि प्रधानमंत्री के पुनर्वास पैकेज के तहत अप्रैल, 2021 में 1997 और अभ्यर्थियों को नौकरियों के लिए चुना गया है और वे शीघ्र ही कश्मीर आ जाएंगे। हम आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा वर्ष 1990 में स्थापित राहत कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे 44167 कश्मीरी प्रवासी परिवार पंजीकृत हैं, जिनको सुरक्षा कारणों की वजह से 1990 में घाटी छोड़नी पड़ी थी। सरकार ने कश्मीरी पंडितों की पुनर्वास की जो नीति बनाई है उसके तहत कश्मीर वापस लौटने पर उन्हें रिहायशी आवास उपलब्ध कराया जायेगा। इसके लिए इस समय कश्मीर में 6000 आवासीय इकाइयों का निर्माण कार्य बड़ी तेजी से किया जा रहा है। यही नहीं कश्मीरी पंडितों के लिए बन चुकी 1000 आवासीय इकाइयों का उपयोग वहां कर्मचारी शुरू भी कर चुके हैं।

नये कश्मीर में आम लोगों को क्या मिला?

एक ओर जहाँ भाजपा और सरकार की ओर से नये कश्मीर का स्वागत किया जा रहा है वहीं गुपकार गठबंधन अब भी पीड़ा ही महसूस कर रहा है। गुपकार गठबंधन की स्थापना कहने को भले 370 की बहाली के लिए की गयी हो लेकिन इसका असल मकसद भाजपा के खिलाफ सशक्त गठबंधन बना कर अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाये रखने का है। डीडीसी चुनावों में भले गुपकार ने विजय हासिल की हो लेकिन यह भी एक बड़ा तथ्य है कि उसमें भाजपा अकेले सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी अगर गुपकार में शामिल दल अलग-अलग लड़ते तो स्थिति कुछ और भी हो सकती थी। खैर... गुपकार में शामिल दल भले 5 अगस्त 2019 को काला दिन बताते हों लेकिन वहां की जनता अपने जीवन में आये बदलाव को साफ महसूस कर रही है। जिस तरह कोरोना काल में कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों, पर्यटन कारोबार से जुड़े उद्यमियों, शिकारा वालों, टूरिस्ट गाइडों, टैक्सी ड्राइवरों की विभिन्न पैकेजों के माध्यम से मदद की गयी वह अभूतपूर्व है। इसके अलावा गरीबों को केंद्रीय योजना के तहत मुफ्त राशन तथा अन्य योजनाओं का भरपूर लाभ मिलता रहा तो उद्योगों के लिए भी कई प्रकार की रियायतों का ऐलान कर उन्हें मजबूत करने का अभियान चलाया गया है।

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बहरहाल, देखा जाये तो इस बदले कश्मीर के लिए देश ने बड़ी मेहनत की है और पिछले कुछ दौरों में विदेशी प्रतिनिधिमंडलों ने भी यहाँ हो रहे विकास और सरकारी योजनाओं के लाभ आम लोगों को मिलने की बात स्वीकारी है। जिस तरह से देशभर से पर्यटक जम्मू-कश्मीर का दौरा कर वहाँ के विकास और खुशहाली की कहानी देश-दुनिया को बता रहे हैं वह भी गुपकार के दावों पर सवाल और सरकार के दावों पर मुहर है। तो जिस किसी को भी अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के फायदों की पड़ताल करनी है वह जरा एक बार घाटी हो आये, वहां के बारे में उसने पूर्व में जो भी नकारात्मक बातें सुनी होंगी उनसे से कुछ भी अब दिखाई नहीं देगा। 

-नीरज कुमार दुबे

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