BJP Muslim Outreach: 1 Nation, 1 DNA कार्यक्रम से क्या मुस्लिमों को साथ जोड़ पायेगा भगवा दल?

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ANI

देश भर में भाजपा के इस अभियान को लेकर काफी उत्सुकता देखी जा रही है। लेकिन कश्मीर में खासतौर पर ऐसे कार्यक्रम की जरूरत बहुत समय से महसूस की जा रही थी। कश्मीर में इस बात पर सर्वसम्मति नजर आ रही है कि घाटी और देश के बाकी हिस्से के बीच दूरी को पाटने की जरूरत है।

देश में बहुत समय से प्रयास चला कि भाजपा की छवि मुस्लिम विरोधी की बनाई जाये लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जिस तरह अपनी जन कल्याण योजनाओं का लाभ समाज के हर वर्ग को दिया और अल्पसंख्यक समुदाय से किसी प्रकार का भेदभाव नहीं हुआ, उससे मुस्लिम समाज में एक बड़ा संदेश गया है। फिर भी विभिन्न चुनावों के मौकों पर कई ऐसे विवाद खड़े किये जाते हैं जिससे मुस्लिम मतदाता भाजपा से दूर हो सकें इसलिए भाजपा ने देशभर में मुसलमानों के बीच पहुंच बनाने के लिए एक बड़ा संपर्क कार्यक्रम शुरू किया है। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा 10 मार्च से देशभर में मुस्लिम संपर्क अभियान शुरू कर रहा है। पार्टी ने पहले चरण के लिए कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में फैले 64 जिलों का इसके लिये चयन किया है। आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा का यह अभियान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसके अलावा भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में खासतौर पर एक देश एक डीएनए कार्यक्रम शुरू करेगी जिसके तहत स्नेह मिलन कार्यक्रम और सूफी नाइट जैसे कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।

हम आपको बता दें कि वैसे तो देश भर में भाजपा के इस अभियान को लेकर काफी उत्सुकता देखी जा रही है। लेकिन कश्मीर में खासतौर पर ऐसे कार्यक्रम की जरूरत बहुत समय से महसूस की जा रही थी। कश्मीर में इस बात पर सर्वसम्मति नजर आ रही है कि घाटी और देश के बाकी हिस्से के बीच दूरी को पाटने की जरूरत है। जम्मू-कश्मीर के मुफ्ती-ए-आजम नासिर उल इस्लाम का कहना है कि, “जम्मू-कश्मीर के मुसलमानों के पास बहुत सारे मुद्दे और शिकायतें हैं जिनका वे हल चाहते हैं, इसके अलावा भारत के अन्य हिस्सों में भी मुसलमानों में सुरक्षा की भावना पैदा करने की आवश्यकता है।'' उन्होंने कहा कि सत्ता में जो हैं, अगर वे समाधान ढूंढ़ रहे हैं तो यह स्वागत योग्य कदम है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर में भाजपा के मुस्लिम संपर्क कार्यक्रम में स्थानीय आबादी की चिंताओं को दूर करने के लिए अगर व्यावहारिक उपाय नहीं किये जाते तो इसे केवल बयानबाजी ही कहा जा सकता है।

दूसरी तरफ, भाजपा के नेता अशरफ आजाद को भी लगता है कि जम्मू-कश्मीर के लिए संपर्क कार्यक्रम की सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर के मुसलमान अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। इस कार्यक्रम के कारण वे भारत की शेष आबादी के निकट आएंगे। हमें एक-दूसरे पर भरोसा करना होगा और आगे बढ़ने का यही एकमात्र तरीका है।” आजाद ने कहा कि पूरे देश को कश्मीर पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “हम कश्मीरियों को देश के खिलाफ इस्तेमाल किया गया। लेकिन यह कार्यक्रम विश्वास पैदा करेगा। कश्मीर के लोग, खासकर युवा पीढ़ी, इस मौके का इंतजार कर रही थी।” वहीं कई आम निवासी घाटी में भाजपा की नयी पहल को लेकर असमंजस में दिखे।

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हम आपको यह भी बता दें कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी पिछले वर्ष से लगातार मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकातें कर रहे हैं और उनके मन की बात जान रहे हैं तथा उनके मन के भ्रमों को दूर भी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल में तीन राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद अपने विजयी संबोधन में कहा था कि भाजपा को अल्पसंख्यक वर्ग के खिलाफ बताया गया लेकिन विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों में अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाता ने अपना समर्थन देकर इस धारणा को खारिज कर दिया है।

दूसरी ओर, सर्वाधिक मुस्लिम आबादी वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति के तहत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में प्रभाव रखने वाली मुस्लिम बिरादरियों को लुभाने के लिए अगले महीने ईद के बाद इन क्षेत्रों में ‘स्नेह मिलन’ सम्मेलन आयोजित करेगी। उत्तर प्रदेश भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने बताया कि सम्मेलनों की शुरुआत मुजफ्फरनगर से की जाएगी। उन्होंने कहा, “पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम जाट, मुस्लिम राजपूत, मुस्लिम गुर्जर और मुस्लिम त्यागी बिरादरियों के मतदाताओं की अच्छी-खासी तादाद है। वहां के लगभग हर लोकसभा क्षेत्रों में इनकी औसतन ढाई लाख आबादी है।” कुंवर बासित अली ने कहा, “पार्टी विभिन्न जिलों में ‘स्नेह मिलन: एक देश, एक डीएनए सम्मेलन’ आयोजित करके इन मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करेगी। इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकतर लोकसभा क्षेत्रों के चुनावी समीकरणों पर असर पड़ेगा।”

उन्होंने बताया कि इन सम्मेलनों की शुरुआत अगले महीने ईद के बाद की जाएगी और सबसे पहला सम्मेलन मुजफ्फरनगर में आयोजित किया जाएगा। अली के मुताबिक, ‘स्नेह मिलन’ सम्मेलन में जाट, राजपूत, गुर्जर और त्यागी समुदाय के हिंदू नेता मंच पर होंगे, जिनमें मुख्य रूप से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, मुजफ्फरनगर से सांसद संजीव बालियान और प्रदेश के राज्य मंत्री सोमेंद्र तोमर शामिल हैं। उन्होंने बताया, “स्नेह मिलन सम्मेलन के आयोजन का मकसद हिंदू और मुस्लिम जाट, राजपूत, गुर्जर तथा त्यागी बिरादरियों के बीच स्नेहपूर्ण संबंध स्थापित करना है। इन सम्मेलनों के जरिये इन समुदायों को यह समझाने की कोशिश की जाएगी कि हम सभी एक हैं, एक ही जगह पैदा हुए हैं, सबका डीएनए एक है और हमें मिलकर देश को आगे ले जाना है।” अली ने कहा, “पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम जाट, मुस्लिम राजपूत, मुस्लिम गुर्जर और मुस्लिम त्यागी बिरादरियां हिंदू समाज की इन्हीं जातियों के लोगों के साथ भाई-भाई का रवैया रखती हैं। उनमें हिंदू और मुसलमान का भेद नहीं है। बैठकें, पंचायतें और समाज की दावतें वगैरह सब बिरादरी के आधार पर ही तय होती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने इन सम्मेलनों के आयोजन का फैसला किया है।”

उन्होंने कहा, “यह सच है कि चाहे हिंदू हों या मुसलमान, सभी का डीएनए एक ही है। हम इस डीएनए के आधार पर ही बात कर रहे हैं और इसी बुनियाद पर हम जाट, राजपूत, गुर्जर और त्यागी बिरादरियों के हिंदू नेताओं को इन सम्मेलनों के दौरान मंच पर बुलाकर एक रिश्ता कायम करने की कोशिश करेंगे।” अली ने कहा, “स्नेह मिलन सम्मेलन के जरिये यह संदेश देने की कोशिश की जाएगी कि हम सब एक हैं, हमारे पूर्वज एक ही थे। इससे सामाजिक ताना-बाना मजबूत होगा और लोग अपने नेताओं से जुड़ेंगे। चूंकि, ये नेता भाजपा के हैं, इसलिए पार्टी को भी फायदा होगा।”

गौरतलब है कि वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की नगीना, अमरोहा, बिजनौर और सहारनपुर सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने जीत दर्ज की थी। वहीं, क्षेत्र की मुरादाबाद और संभल सीट समाजवादी पार्टी (सपा) के खाते में गई थी। भाजपा पिछले लोकसभा चुनाव में हारी गई लोकसभा सीटों पर इस बार जीत दर्ज करने के लिए व्यापक रणनीति बना रही है और स्नेह मिलन सम्मेलनों को भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है। हम आपको यह भी बता दें कि मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश की कुल 80 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें सत्तारुढ़ भाजपा के पास हैं। वहीं, 10 सीटों पर बसपा, तीन पर सपा और दो पर भाजपा की सहयोगी अपना दल-सोनेलाल का कब्जा है।

- नीरज कुमार दुबे

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