स्वराज अभियान के आंदोलन से जुड़ने लगे हैं देशभर के किसान

Farmers are joining movement of Swaraj Abhiyan
विजय शर्मा । Jul 18 2017 1:34PM

योगेंद्र यादव ने किसान मुक्ति यात्रा मंदसौर से 6 जुलाई को शुरू की है जो होकर 6 राज्यों से होती हुई 18 जुलाई को जंतर-मंतर पहुँचेगी। इस यात्रा के साथ हज़ारों की संख्या में किसानों के जंतर-मंतर पहुँचने की संभावना जतायी जा रही है।

वैसे तो किसान अपनी मांगों को लेकर देश के भिन्न-भिन्न हिस्सों में धरने-प्रदर्शन करते ही रहते हैं लेकिन उनकी खबरें संक्षिप्त खबरें में छुपकर रह जाती हैं और कभी हेडलाइन या सम्पादकीय पृष्ठों पर दिखाई नहीं देतीं। पिछले ही माह जब मध्य प्रदेश में किसानों पर गोलीबारी हुई तो जरूर किसान सुर्खियों में आये और जैसे ही मध्य प्रदेश सरकार को इसकी गंभीरता का अहसास हुआ तो आनन-फानन में मृतक किसानों के परिवारों को 1-1 करोड़ रूपए मुआवजे का ऐलान कर दिया। कुछ ऐसी ही हालत महाराष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश में भी थी और राज्य सरकारों ने कर्ज माफी का ऐलान कर दिया है।   तमिलनाडु के किसान जन्तर-मन्तर पर डटे थे लेकिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीसामी उनको मनाकर वापस तमिलनाडु ले गये और आश्वासन दिया कि उनकी जायज मांगों पर विचार करके समाधान किया जायेगा।

पिछले काफी समय से स्वराज अभियान के प्रमुख योगेन्द्र यादव भी किसानों के मुद्दों को उठाते आ रहे हैं लेकिन इससे पहले उन्हें आशातीत सफलता नहीं मिल पा रही थी लेकिन मध्य प्रदेश में किसानों की गोलीबारी के बाद पूरे देश के किसान जागरूक एवं एकजुट होकर संघर्ष के लिए तैयार हो रहे हैं। इस बार उन्होंने अपनी किसान मुक्ति यात्रा मध्य प्रदेश के मंदसौर से 6 जुलाई को शुरू की है जो होकर 6 राज्यों से होती हुई 18 जुलाई को दिल्ली के जंतर-मंतर पहुँचेगी। इस यात्रा के साथ हज़ारों की संख्या में किसानों के जंतर-मंतर पहुँचने की संभावना जतायी जा रही है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और हरियाणा के किसानों का उन्हें व्यापक समर्थन मिला है। किसान मुक्ति यात्रा के किसान नेताओं ने अहमदाबाद में प्रेस को भी सम्बोधित किया और बड़े किसान आंदोलन की ओर इशारा किया। किसान मुक्ति यात्रा की प्रेसवार्ता में गुजरात के नेता अशोक श्रीमाली (सचिव खान, खनिज और मानव) अशोक चौधरी (सचिव, आदिवासी एकता परिषद) सागर राबड़ी (सचिव गुजरात खेड़ेत समाज), भरत सिंह झाला (क्रांति सेना) और नीता महादेव (गुजरात लोकहित समिति) भी शामिल हुए।

गुजरात में दलितों के विरुद्ध हो रहे लगातार अत्याचारों के विरुद्ध मेहसाणा में भारी पुलिस बल की मौजूदगी में 'आज़ादी कूच' मार्च निकाला गया। इस मार्च का नेतृत्व जिग्नेश मेवाणी, कन्हैया कुमार और रेशमा पटेल ने किया। किसान आंदोलन की तीसरी पीढ़ी और दलित आंदोलन की दूसरी पीढ़ी का मेहसाणा में संगम हुआ। सभा को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि जब तक हम अलग-अलग लड़ते रहेंगे तब तक सरकारें हमारा दमन करती रहेंगी लेकिन संगठित संघर्ष से सरकारों को अपनी दमनकारी नीति बदलनी पड़ेगी। सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि महाराष्ट्र का किसान आंदोलन साहू जी महाराज, महात्मा फुले और बाबा साहेब की प्रेरणा से आगे बढ़ा है इसीलिए हम आज़ादी कूच को समर्थन देने मेहसाणा पहुँचे हैं। प्रतिभा शिंदे ने कहा कि व्यारा में हजारों आदिवासियों ने किसान मुक्ति यात्रा के साथ जुड़कर आदिवासी खेडूत एकता का शंखनाद किया। डॉक्टर सुनीलम ने कहा कि ऊना मार्च ने देश के दलितों में एक नई ऊर्जा का संचार किया था और अब किसान मुक्ति यात्रा और आज़ादी कूच की एकजुटता से देश पर थोपे जा रहे मोदानी मॉडल के ख़िलाफ़ संघर्ष करने वालों की नई एकता देश के स्तर पर दिखलाई पड़ेगी।

मेहसाणा की सभा में बोलते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि यह व्यक्तिगत रूप से मेरे अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण क्षण है जबकि दलित और किसान एक साथ एक मंच पर हैं। मेरे वैचारिक व राजनितिक गुरु किशन पटनायक का एक सपना था कि इस देश की जो दो बड़ी ऊर्जा है क्या इन्हें कभी एक नहीं किया जा सकता है ? आज उनका सपना साकार होता दिखाई दे रहा है। आज हमें कर्नाटक को याद करना चाहिए जब प्रोफेसर नंजुड़स्वामी, डीआर नागराज, देवानूर महादेव ने इन दोनों धाराओं को जोड़ने का प्रयास किया और आज वह समय है जबकि उन्हें याद किया जाना चाहिए। संगठन के रूप में भी कर्नाटक में दलित संघर्ष समिति और कर्णाटक राज्य रैयत संघ भी एक साथ आये थे। शरद जोशी व अम्बेडकर भी एक साथ आये थे।

योगेन्द्र यादव का मानना है कि कर्ज माफी का लाभ केवल 10 प्रतिशत किसानों को भी नहीं मिल पाता और यही कारण है कि किसान आज भी दुखी हैं। पहले किसानों का मतलब बड़े-बड़े जमींदार किसानों से होता था लेकिन खेती योग्य भूमि के कम होने से किसान का परिभाषा ही बदल गई है। अब बड़े भूस्वामी ही किसान नहीं बल्कि मझोले और छोटे किसान भी हैं। ठेके पर काम करने वाले किसान, खेतिहर मजदूर, पशु पालने वाले, मुर्गी पालन व मछली पालन करने वाले भी अब किसान को दायरे में हैं, लेकिन क्या इन्हें भी कर्ज माफी का लाभ मिलता है, कदापि नहीं। योगेन्द्र यादव के साथ जुड़ रहे किसान संगठनों की मांग है कि सरकारी समर्थन मूल्य का लाभ केवल 10 प्रतिशत किसानों को मिलता है। सभी किसानों को सरकारी समर्थन मूल्य कैसे मिले तथा कर्जमाफी नहीं बल्कि कर्जमुक्ति होनी चाहिए। इस बार की उनकी यात्रा की खासियत यह है कि किसानों के साथ-साथ खेतिहर मजदूर तथा आदिवासी भी जुड़ रहे हैं। इसके अलावा किसान मुक्ति यात्रा में महिला किसान भी शामिल हो रही हैं तथा किसानों, खेतिहर मजदूरों, पशुपालकों तथा आदिवासियों को जोड़ने का लिए सोशल मीडिया और दूसरी कम्यूनिटी आधारित तकनीक से किसानों को एकजुट किया जा रहा है।

स्वराज अभियान का किसान आंदोलन/किसान मुक्ति यात्रा एक नए दौर में प्रवेश कर रही है और जैसे-जैसे यह आगे बढ़ रही है किसानों का इससे जुड़ना जारी है। कल तक जो किसान, मजदूर और पशुपालक आम आदमी पार्टी में आशा की किरण देख रहे थे और उनके नेताओं के कार्यकलापों से हताश-निराश थे, उनमें आशा की किरण जागी है। इन्हें लगने लगा है कि भले ही यह लोग सरकार का हिस्सा नहीं हैं लेकिन किसानों के जायज मुद्दों की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं और आंदोलन किसी न किसी के नेतृत्व में किया जाये तभी किसी नतीजा तक पहुंचा जा सकता है।

मेहसाणा की जनसभा किसान और दलित को एक मंच पर लाने का सांगठनिक प्रयास था और संघर्ष में एक दूसरे के साथ खड़े होने का ये शायद पहला महत्वपूर्ण मौका है। विदित हो कि किसान मुक्ति यात्रा में हर दिन एक किसान नेता को समर्पित किया जाएगा। जहाँ एक दिन महान किसान नेता बिरसा मुंडा और सरदार पटेल को समर्पित किया गया था वहीं एक दिन किशन पटनायक को समर्पित किया गया। किशन जी एक ऐसे नेता थे जिन्होंने हमेशा समाज के कमजोर वर्ग, दलित, वंचित और किसान के हित के लिए आवाज उठाई। उन्होंने देश भर के किसान आंदोलनों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया।

- विजय शर्मा

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़