China Politics में हुए बड़े बदलाव क्या दर्शाते हैं? क्रूर Zero Covid Policy बनाने वाले को जिनपिंग ने क्यों बनवा दिया PM?

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ANI
गौतम मोरारका । Mar 11 2023 12:36PM

जहां तक चीन के नये प्रधानमंत्री किआंग की बात है तो आपको बता दें कि कारोबारी समर्थक नेता कहे जाने वाले 63 वर्षीय ली किआंग सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) तथा सरकार में दूसरे नंबर के अधिकारी होंगे।

चीन की संसद ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बेहद करीबी सहयोगी ली किआंग की देश के नये प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति को अपनी मंजूरी दे दी है। ली किआंग ली खछ्यांग का स्थान लेंगे, जो पिछले 10 साल से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के प्रधानमंत्री पद पर काबिज रहे थे। नये प्रधानमंत्री के रूप में किआंग के समर्थन में नेशनल पीपल्स कांग्रेस के 2936 सदस्यों ने मतदान किया जबकि उनके विरोध में मात्र 3 मत पड़े। हम आपको बता दें कि ली किआंग वही शख्स हैं जिन्होंने चीन की जीरो कोविड पॉलिसी बनाई थी। अत्यंत क्रूर इस पॉलिसी की पूरी दुनिया में आलोचना हुई थी और चीन में कोरोना की हालिया लहर के दौरान तो स्थानीय जनता भी इस नीति के विरोध में उतरी थी। वैसे, तमाम आलोचनाओं के बावजूद ली किआंग को यदि प्रधानमंत्री का पद मिल पाया है तो उसका एकमात्र कारण उनका जिनपिंग से करीबी होना ही है। किआंग का प्रधानमंत्री बनना तय माना जा रहा था क्योंकि उनके नाम का प्रस्ताव खुद शी जिनपिंग ने किया था। किआंग कुछ समय पहले तक चीन के टॉप 5 नेताओं में भी शुमार नहीं थे लेकिन अब प्रधानमंत्री बनते ही वह चीन के दूसरे सबसे शक्तिशाली नेता बन गये हैं। किआंग पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी चीनी अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाना होगा जोकि कोरोना के चलते बुरी तरह तबाह हो गयी है। बताया जा रहा है कि जिनपिंग चाहते हैं कि अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए किआंग जितने भी सख्त कदम उठायेंगे उसकी उन्हें पूरी आजादी होगी।

हम आपको बता दें कि चीन के इस संसद सत्र के दौरान जो बड़ी नियुक्तियां हुई हैं उनके मुताबिक राष्ट्रपति पद शी जिनपिंग के पास ऐतिहासिक रूप से लगातार तीसरी बार आ गया है। ली किआंग प्रधानमंत्री बन गये हैं। ही लिफेंग उप-प्रधानमंत्री बनाये गये हैं। झाओ लेजी चीनी संसद के अध्यक्ष चुने गये हैं। वेंग हुनिंग को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के राजनीतिक मामलों की सलाहकार समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। इसके अलावा डिंग शुशियांग को कार्यकारी उप-प्रधानमंत्री बनाया गया है। इसके अलावा जिनपिंग के एक और बेहद करीबी व्यक्ति हान झेंग को चीन का उपराष्ट्रपति बनाया गया है।

जहां तक चीन के नये प्रधानमंत्री किआंग की बात है तो आपको बता दें कि कारोबारी समर्थक नेता कहे जाने वाले 63 वर्षीय ली किआंग सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) तथा सरकार में दूसरे नंबर के अधिकारी होंगे। प्रांतीय स्तर पर शी जिनपिंग के साथ काम कर चुके ली किआंग चीन के सबसे बड़े आधुनिक कारोबारी हब शंघाई में पार्टी के प्रमुख रह चुके हैं। ऐसी उम्मीद है कि ली किआंग दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने के साथ ही विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए प्रेरित करेंगे। हम आपको यह भी बता दें कि चीन के निवर्तमान प्रधानमंत्री ली खछ्यांग ने इस साल अर्थव्यवस्था के लिए पांच प्रतिशत की वृद्धि दर का प्रस्ताव दिया है, जो दशकों में सबसे कम है।

दूसरी ओर जिनपिंग की बात करें तो आपको बता दें कि चीन की संसद ने अभूतपूर्व रूप से राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पांच साल का तीसरा कार्यकाल देने का सर्वसम्मति से समर्थन किया है जिससे उनके ताउम्र सत्ता में बने रहने का रास्ता साफ हो गया। चीनी संसद ‘नेशनल पीपुल्स कांग्रेस’ (एनपीसी) ने जिनपिंग के राष्ट्रपति पद पर तीसरे कार्यकाल पर मुहर लगाने के साथ ही शक्तिशाली केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति का भी समर्थन किया है। हम आपको बता दें कि केंद्रीय सैन्य आयोग का अध्यक्ष चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का प्रमुख होता है। 20 लाख सैन्य बलों वाली पीएलए दुनिया की सबसे बड़ी सेना मानी जाती है। एनपीसी की राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित कार्यवाही में 2,950 से अधिक सांसदों ने ‘सर्वसम्मति से जिनपिंग के चुनाव’ की घोषणा की। तीसरे कार्यकाल के लिए समर्थन मिलने के बाद जिनपिंग ने संविधान के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा ली और झुककर सदन के सदस्यों का अभिवादन किया।

हम आपको यह भी याद दिला दें कि जिनपिंग पिछले साल अक्टूबर में हुई कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की कांग्रेस में पार्टी के महासचिव भी चुने गए थे। इस दौरान, सीपीसी ने अपने सभी शीर्ष नीति निकायों के लिए नए नेतृत्व का चयन किया था। बहरहाल, लगातार तीसरी बार चीन की कमान संभालने वाले शी जिनपिंग ने कम्युनिस्ट देश चीन के संस्थापक माओत्से तुंग की बराबरी कर ली है। जैसा कि उम्मीद जताई जा रही है कि वह आजीवन इस पद पर रह सकते हैं, यदि ऐसा होता है तो जिनपिंग चीनी इतिहास में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले नेता बन जायेंगे।

-गौतम मोरारका

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