विधानसभा चुनावों में सिर चढ़कर बोला मोदी का जादू
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यूपी में मोदी का जादू जमकर चला। मोदी की सुनामी के आगे उनके विरोधी ढेर हो गए। यह भी पूरी तरह साफ हो गया कि यूपी में जातीय दावे फेल हो गए और मतदाताओं ने जातीय भंवर से निकल कर साफ सुथरी सरकार के लिए अपना मत दिया।
यूपी विधानसभा का चुनाव जीत कर भाजपा ने एक नया इतिहास रच दिया है। अब अयोध्या में राम मंदिर बनने से कोई भी नहीं रोक पायेगा। मंदिर लहर में भी भाजपा को इतनी सीटें नहीं मिली थीं जितनी इस बार मिली हैं। यूपी में मोदी का जादू जमकर चला। मोदी की सुनामी के आगे उनके विरोधी ढेर हो गए। यह भी पूरी तरह साफ हो गया कि यूपी में जातीय दावे फेल हो गए और मतदाताओं ने जातीय भंवर से निकल कर साफ सुथरी सरकार के लिए अपना मत दिया। यह भी साबित हो गया कि सपा और कांग्रेस का साथ मतदाताओं को पसंद नहीं आया। मतदाताओं को विकास का साथ पसंद आया। अखिलेश के काम बोलता है के दावे की मतदाताओं ने जमकर धज्जियाँ उड़ाईं। मोदी का काम नहीं कारनामा बोलता है की बात का लोगों ने जमकर समर्थन किया।
यूपी के इतिहास में किसी एक पार्टी का इतने प्रचंड बहुमत से चुनाव जीतना भी एक इतिहास बन गया है। मोदी के साथ महाबली के रूप में अवतरित हुए अमित शाह की रणनीति कारगर साबित हुई है। कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ की गयी नोटबंदी के मुद्दे को विपक्ष ने अपना धारदार हथियार बनाया। यहीं उनको जबरदस्त मात खानी पड़ी। सही बात तो यह है कि नोटबंदी के बाद जहाँ जहाँ भी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव हुए वहां वहां भाजपा को भारी जीत मिली इसे विपक्ष भांप नहीं पाया और उनको हार का सामना करना पड़ा। जनता ने प्रधानमंत्री के नोटबंदी के कदम को अपना समर्थन दिया।
भाजपा की जबरदस्त जीत के बाद सपा कुनबे के बिखरने का अंदेशा बढ़ गया है। मुलायम सिंह यादव ने इस चुनाव में सपा का समर्थन नहीं किया। परिवार की इस फूट का खामियाजा सपा को भुगतना पड़ेगा इसमें कोई दो राय नहीं है। चुनावी रणनीति को समझने में अखिलेश ने भारी भूल की है। मुलायम जैसे पुराने योद्धा को दरकिनार करना सपा के लिए भारी पड़ा है। मुलायम ने शुरू से ही कांग्रेस का साथ पसंद नहीं किया था। मुलायम को जबरन सपा मुखिया के पद से हटाना भी मतदाताओं ने पसंद नहीं किया। कांग्रेस का साथ भी लोगों ने पसंद नहीं किया। राहुल गाँधी भी कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित नहीं हुए। उनके नेतृत्व पर भी प्रश्नचिन्ह पैदा हो गया है। लोगों का मानना है कि इस चुनाव में राम लहर पर मोदी लहर भारी पड़ी है। यूपी चुनाव में विपक्ष पूरी तरह मोदी के सामने धराशायी हो गया है। इस चुनाव की एक खासियत यह भी है कि जाट, दलित और अल्पसंख्यक बहुल सीटों पर भी भाजपा को भारी जीत मिली है। देवबंद जैसी सीट पर भाजपा की जीत के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं।
जातीय राजनीति करने वाली बसपा की हेकड़ी भी इस चुनाव ने निकाल कर रख दी। मायावती की हैसियत भी सामने आ गई। भाजपा ने 300 से अधिक सीटें जीत कर मतदाताओं का जबरदस्त प्यार और समर्थन हासिल किया है। आज समूचे प्रदेश में मोदी मोदी के नारों से आसमान गूंज रहा है। कांग्रेस पूर्व की भांति चौथे स्थान पर रही है। मोदी ने जहाँ 2014 के लोकसभा चुनाव को रिपीट किया है वहां कांग्रेस ने पहले के मुकाबले बहुत कम सीटें हासिल कर अपना समर्थन खो दिया है। भाजपा के खेमे में बल्ले बल्ले है तो कांग्रेस मायूस है। सपा, कांग्रेस और बसपा का सूपड़ा साफ हो गया है।
राष्ट्रपति इलेक्टोरल में भाजपा के पास अभी 3.80 लाख वोट हैं। अपने पसंदीदा उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनवाने के लिए भाजपा को 5.49 लाख वोट चाहिए। इसका मतलब हुआ कि उसके पास जरूरत से 1.7 लाख वोट कम हैं। केंद्र और राज्यों में भाजपा के साझीदारों को वोट करीब एक लाख हैं। ऐसे में पार्टी को 70 हजार और वोटों की जरूरत पड़ेगी। इस स्थिति में उत्तर प्रदेश चुनाव का परिणाम भाजपा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यूपी में कुल 403 विधानसभा सीटें हैं जिनका राष्ट्रपति के इलेक्टोरल कॉलेज में कुल वोट 83,824 होता है। इसके बावजूद भाजपा के पास कुछ वोटों की कमी रह जाएगी। ऐसे में भाजपा एआईएडीएमके जैसी पार्टियों से राष्ट्रपति चुनाव में सहयोग ले सकती है।
भाजपा ने पंजाब खो दिया है मगर उत्तर प्रदेश ने जबरदस्त साथ दिया है इस प्रदेश के वोटों की कीमत बहुत ज्यादा है। अब चूँकि यूपी उनके साथ हो गया है ऐसी स्थिति में अपनी पसंद का राष्ट्रपति बनाना उनके लिए सरल हो गया है। इसके साथ ही राम मंदिर बनाने का उनका वादा भी पूरा करने का समय आ गया है। यदि ऐसा होता है तो लोकसभा के आगामी चुनाव में भी उनको फायदा हो सकता है। फिलहाल भाजपा बल्ले बल्ले की स्थिति में है।
- बाल मुकुन्द ओझा
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