क्या लोकसभा चुनावों से पहले वाकई साथ आ पाएंगे नीतीश-तेजस्वी-ममता और अखिलेश ?

Nitish Tejashwi Mamata Akhilesh
Prabhasakshi
संतोष पाठक । Apr 28 2023 12:42PM

हालांकि इन चारों दलों के एक साथ आने में अभी कई अड़चनें हैं। बिहार में नीतीश कुमार और लालू यादव तो मिल गए हैं लेकिन सवाल यह है कि इस नए गठबंधन में कांग्रेस की भूमिका क्या होगी ? क्या ममता बनर्जी कांग्रेस को सेंट्रल स्टेज देने को तैयार होगी जैसा नीतीश कुमार चाहते हैं ?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव के साथ हाल ही में कोलकाता जाकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और लखनऊ जाकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बड़ा गठबंधन बनने का संकेत देने का भरपूर प्रयास किया है। अगर ये चारों नेता लोक सभा चुनाव से पहले पूरी तरह से एकजुट हो जाते हैं तो इसका सीधा असर देश के तीन बड़े राज्यों- उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल की राजनीति पर पड़ना तय माना जा रहा है। भाजपा भले ही फिलहाल इन मुलाकातों को अपने लिए कोई बड़ा खतरा नहीं मान रही है लेकिन उसे भी इस बात की गंभीरता का अंदाज बखूबी है। क्योंकि उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल महज तीन राज्य भर नहीं हैं बल्कि इन तीनों राज्यों में कुल मिलाकर लोक सभा की 162 सीटें आती हैं जो यह तय करती है कि देश की गद्दी पर कौन राज करेगा ?

इसलिए यह कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव के पूरी तरह से साथ आ जाने के बाद उत्तर प्रदेश से आने वाली लोकसभा की 80 सीट, बिहार से आने वाली 40 और पश्चिम बंगाल से आने वाली लोकसभा की 42 सीट यानी कुल मिलाकर 162 लोकसभा सीटों पर असर पड़ना तय है, क्योंकि इन 162 सीटों में से 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन को 121 सीटों पर जीत मिली थी (2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू एनडीए गठबंधन का हिस्सा थी)। लेकिन नीतीश कुमार के एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन में शामिल हो जाने के बावजूद एनडीए सांसदों का यह आंकड़ा 105 सांसदों का होता है।

2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा को अकेले 62 और उसके गठबंधन सहयोगी अपना दल को 2 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। सपा के साथ गठबंधन करने का सबसे ज्यादा लाभ बसपा को मिला और उसके 10 सांसद चुन कर आए जबकि सपा के खाते में लोकसभा की सिर्फ 5 सीटें आईं और कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली थी।

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वहीं पश्चिम बंगाल की 42 सीटों में से 2019 में टीएमसी को 22 और भाजपा को 18 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। 2 कांग्रेस को मिली थी। वहीं 2019 के लोक सभा चुनाव में भाजपा गठबंधन को बिहार के 40 में से 39 सीटों पर जिस हासिल हुई जिसमें से भाजपा के खाते में 17, जेडीयू के खाते में 16 और एलजीपी के खाते में 6 लोकसभा सीट आई थी। हालांकि बिहार में जेडीयू के आरजेडी के साथ जाने के बावजूद आज भी बिहार में एनडीए गठबंधन के पास 23 सांसद हैं।

हालांकि इन चारों दलों के एक साथ आने में अभी कई अड़चनें हैं। बिहार में नीतीश कुमार और लालू यादव तो मिल गए हैं लेकिन सवाल यह है कि इस नए गठबंधन में कांग्रेस की भूमिका क्या होगी ? क्या ममता बनर्जी कांग्रेस को सेंट्रल स्टेज देने को तैयार होगी जैसा नीतीश कुमार चाहते हैं ? क्या अखिलेश यादव फिर से कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहेंगे ? या फिर ये चारों दल कांग्रेस को पूरी तरह से अलग-थलग यानी किनारे कर चुनाव लड़ेंगे ? इन सवालों का जवाब ढूंढ़े बिना इस गठबंधन की कहानी मुकम्मल नहीं होगी। इन अंतर्विरोधों की वजह से ही भाजपा इस गठबंधन को फिलहाल अपने लिए कोई बड़ा खतरा नहीं मान रही है लेकिन पार्टी के आला नेताओं की नजर लगातार इन घटनाकर्मो पर बनी हुई है क्योंकि राजनीतिक स्थिति तो कभी भी बदल सकती है।

-संतोष पाठक

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।)

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