सब्जी मंडी के कचरे से बन रही है बिजली

vegetable waste

सब्जियों के कचरे को पहले कन्वेयर बेल्ट पर रखा जाता है, जो कचरे को बारीक कर देता है। इस तरह यह अपशिष्ट घोल में परिवर्तित हो जाता है, जिसे अवायवीय अपघटन के लिए बड़े कंटेनरों या गड्ढों में डाल दिया जाता है।

सब्जी मंडियों में विभिन्न कारणों से बड़ी मात्रा में सब्जियां खराब हो जाती हैं, जिससे गंदगी फैलती है। लेकिन, हैदराबाद की बोवेनपल्ली की सब्जी मंडी ने तय किया है कि यहाँ सब्जियों, फल एवं फूलों के कचरे को ऐसे ही फेंका नहीं जाएगा। सब्जी मंडी में पैदा होने वाले इस कचरे का उपयोग अब बिजली और ईंधन-गैस बनाने में हो रहा है।

बोवेनपल्ली मंडी में हर दिन लगभग 10 टन कचरा एकत्र होता है, जिसे कुछ समय पहले लैंडफिल में फेंक दिया जाता था। यहाँ से निकलने वाले जैविक कचरे से अब हर दिन लगभग 500 यूनिट बिजली बन रही है। इसके साथ-साथ 30 किलोग्राम बायोगैस भी प्रतिदिन बन रही है। इस बिजली का उपयोग 100 स्ट्रीट-लाइट्स, 170 स्टॉलों, एक प्रशासनिक भवन और जल-आपूर्ति नेटवर्क पर रोशनी करने के लिए हो रहा है। इस दौरान, उत्पन्न होने वाली बायोगैस को बाजार की कैंटीन की रसोई में भेजा जाता है।

सब्जियों के कचरे को पहले कन्वेयर बेल्ट पर रखा जाता है, जो कचरे को बारीक कर देता है। इस तरह यह अपशिष्ट घोल में परिवर्तित हो जाता है, जिसे अवायवीय अपघटन के लिए बड़े कंटेनरों या गड्ढों में डाल दिया जाता है। यह जैविक कचरा जैव ईंधन में परिवर्तित हो जाता है, जिसमें मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड दो प्रमुख घटक होते हैं। इसके बाद, ईंधन को 100 प्रतिशत बायोगैस से संचालित जेनरेटर में उपयोग किया जाता है, जिससे बिजली उत्पादित होती है।

हैदराबाद स्थित सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (आईआईसीटी) ने यह प्रौद्योगिकी मीथेन समृद्ध बायोगैस और पोषक तत्वों से भरपूर जैविक खाद के उत्पादन के लिए विकसित की है, और इसका पेटेंट भी कराया है। यह प्रौद्योगिकी "एनेरोबिक गैस लिफ्ट रिएक्टर (AGR)" पर आधारित है। इस संयंत्र की स्थापना स्वच्छ भारत मिशन से जुड़ी पहल का हिस्सा है।

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सीएसआईआर-आईआईसीटी द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है कि यह परियोजना जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और कृषि विपणन विभाग, तेलंगाना के अनुदान पर आधारित है। सीएसआईआर-आईआईसीटी की तकनीकी देखरेख में यह परियोजना मैसर्स आहूजा इंजीनियरिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित की जा रही है।

यह प्रौद्योगिकी विकसित करने वाले सीएसआईआर-आईआईसीटी के वैज्ञानिक डॉ ए.जी. राव ने बताया कि “अपनी स्थापना से लेकर अब तक संयंत्र में 1400 टन कचरे को उपचारित करके 34,000 घनमीटर बायोगैस उत्पादित की गई है, जिसे 32,000 यूनिट बिजली में रूपांतरित किया गया है। इस दौरान उत्पादित बायोगैस 600 किलोग्राम से अधिक एलपीजी की जगह ले सकती है। इसके साथ-साथ लगभग 700 किलोग्राम खाद प्राप्त हुई है, जिसे किसानों को खेती में उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है।” 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर प्रसारित होने वाले अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान बोवेनपल्ली के इस प्रयोग की प्रशंसा की है, और उन्होंने इसे ‘कचरे से कंचन’ बनाने की संज्ञा दी है। बोवेनपल्ली सब्जी मंडी के अध्यक्ष टी.एन. श्रीनिवास ने जैव ईंधन उत्पादन से जुड़े इन प्रयासों को सामने लाने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया, और उम्मीद व्यक्त करते हुआ कहा है कि अब समूचे देश में इस तरह के प्रयासों को प्रोत्साहित किया जाएगा। 

डॉ राव ने बताया कि इस प्रौद्योगिकी के उपयोग से बोवेनपल्ली की कृषि बाजार समिति के बिजली के बिल में हर महीने करीब 1.5 लाख रुपये की कमी आयी है। उन्होंने कहा कि यह प्रयोग देश की दूसरी मंडियों के लिए एक मिसाल बनकर उभरा है, जिसे अन्य राज्यों में भी अपनाया जा सकता है।

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बोवेनपल्ली की सफलता को देखते हुए डीबीटी ने वर्ष 2021-22 के दौरान हैदराबाद की पाँच अन्य मंडियों में इस तरह के संयंत्र लगाने से संबंधित परियोजना को मंजूरी दी है। पाँच बायोगैस संयंत्रों में से, 500 किलोग्राम प्रतिदिन की क्षमता का एक संयंत्र पहले ही एर्रागड्डा सब्जी बाजार में लगाया जा चुका है। इसके अलावा, पाँच टन प्रतिदिन की क्षमता के दो संयंत्र गुडीमल्कापुर एवं गद्दीनारम, और 500 किलोग्राम प्रतिदिन की क्षमता के दो संयंत्र अलवल एवं सरूरनगर बाजार में लगाए जा रहे हैं।

सीएसआईआर-आईआईसीटी बायोगैस आधारित सीएनजी संयंत्र स्थापित करने के लिए भी प्रयास कर रहा रहा है, जो वाहनों में उपयोग होने वाले परंपरागत ईंधन के स्थान पर हरित ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने में सहायक होंगे। 

(इंडिया साइंस वायर)

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