विज्ञान प्रसार के इंडिया साइंस चैनल के कार्यक्रम को प्रतिष्ठित रेड इंक अवार्ड

Red Ink Award

विज्ञान प्रसार द्वारा प्रबंधित इंडिया साइंस द्वारा अभी तक इस श्रृंखला में 60 से अधिक कड़ियों का प्रसारण किया जा चुका है। इस श्रृंखला के अलावा इंडिया साइंस द्वारा पिछले दो वर्षों में 3000 से अधिक वीडियो का निर्माण और प्रसारण किया गया है।

विज्ञान प्रसार के इंडिया साइंस चैनल के कार्यक्रम को मुंबई प्रेस क्लब का प्रतिष्ठित रेड इंक अवार्ड प्रदान किया गया है। यह पुरस्कार एक ऑनलाइन कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की उपस्थिति में प्रदान किया गया है। वर्ष 2011 से मुंबई प्रेस क्लब द्वारा पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए रेड इंक अवार्ड्स प्रदान किए जा रहे हैं। 

यह पुरस्कार इंडिया साइंस के कार्यक्रम ‘वर्ल्ड फर्स्ट फुली इक्विप्ड कोविड-19 टेस्टिंग लैब’ के लिए प्रदान किया गया है। यह कार्यक्रम इंडिया साइंस द्वारा प्रत्येक शनिवार को प्रसारित होने वाले साप्ताहिक विज्ञान कार्यक्रम 'लाइफ इन साइंस विद पल्लव बागला' श्रृंखला से संबंधित है। रेड इंक पुरस्कार विभिन्न कोटियों में प्रदान किए जाते हैं। टेलीविजन सेक्शन में पुरस्कारों की विज्ञान और नवाचार श्रेणी के अंतर्गत इंडिया साइंस चैनल के कार्यक्रम को यह पुरस्कार संयुक्त रूप से प्रदान किया गया है।

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इस कार्यक्रम में पिछले वर्ष अक्तूबर में भारत में निर्मित मोबाइल कोरोना परीक्षण प्रयोगशाला के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें बताया गया है कि किस तरह से मोबाइल कोरोना परीक्षण प्रयोगशाला  में प्रामाणिक आरटी-पीसीआर टेस्ट किये जाते हैं। यह मोबाइल लैब नोवेल कोरोना वायरस की जाँच के लिए ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों तक जा सकती है। 

नैदानिक परीक्षण की जटिलताओं को विस्तार से समझाते हुए इस वीडियो में बताया गया है कि किस प्रकार यह लैब गाँव-गाँव तक पहुँची। पल्लव बागला एक जाने-माने विज्ञान संचारक हैं, जो इस एपीसोड में पूरी पीपीई किट पहनते हैं, ताकि पूरी दुनिया में त्रासदी फैलाने वाली कोविड-19 महामारी से जूझ रहे भारत के कोरोना योद्धाओं की तकलीफ का अहसास दर्शकों को कराया जा सके। विज्ञान प्रसार के लिए आईमैक न्यूज ऐंड एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा इस कार्यक्रम का निर्माण किया जा रहा है। 

विज्ञान प्रसार द्वारा प्रबंधित इंडिया साइंस द्वारा अभी तक इस श्रृंखला में 60 से अधिक कड़ियों का प्रसारण किया जा चुका है। इस श्रृंखला के अलावा इंडिया साइंस द्वारा पिछले दो वर्षों में 3000 से अधिक वीडियो का निर्माण और प्रसारण किया गया है। 

इंडिया साइंस, विज्ञान को समर्पित देश का पहला ओवर-द-टॉप (ओटीटी) चैनल है। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार की एक पहल है, जिसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संगठन, विज्ञान प्रसार (विप्र) द्वारा कार्यान्वित और प्रबंधित किया जाता है। यह 24x7 वीडियो प्लेटफॉर्म भारतीय दृष्टिकोण, लोकाचार और सांस्कृतिक परिवेश के अंतर्गत विज्ञान और प्रौद्योगिकी संबंधी ज्ञान विशेष रूप से वैज्ञानिक जागरूकता फैलाने के लिए कार्य कर रहा है। इस पहल को राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी), डीएसटी द्वारा समर्थित किया जा रहा है।

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इंडिया साइंस चैनल पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संबंधी कई विषयों जैसे इंजीनिरिंग, स्वास्थ और चिकित्सा, प्राकृतिक विज्ञान, पर्यावरण और वन्य जीव, कृषि, वैज्ञानिक विरासत, वैज्ञानिकों, वैज्ञानिक संस्थाओं, विज्ञान नीतियों, नवाचारों पर जानकारियों, बच्चों की जिज्ञासा, विज्ञान के प्रयागों पर कई कार्यक्रम उपलब्ध हैं। इन कार्यक्रम की सूची “इंडिया साइंस” प्लेटफॉर्म पर देखी जा सकती है। यदि दर्शक अपनी रुचि का कार्यक्रम देखना चाहते हैं, तो वे वीडियो ऑन डिमांड वर्ग में जाकर अपने पसंदीदा विषयों को चुनकर कार्यक्रम का आनंद ले सकते हैं।

इंडिया साइंस (www.indiascience.in) हिंदी और अंग्रेजी में एक द्विभाषी विज्ञान चैनल है। इसे किसी भी डिवाइस पर एक्सेस किया जा सकता है, जिसमें इंटरनेट कनेक्टिविटी हो - लैपटॉप, डेस्कटॉप, स्मार्टफोन (एंड्रॉइड / आईओएस), टैबलेट, स्मार्ट टीवी आदि। इंडिया साइंस मोबाइल ऐप को Google Play Store और Apple Store से डाउनलोड किया जा सकता है। यह चैनल Jio TV, Jio TV+, Jio STB और Jio Chat पर भी उपलब्ध है। चैनल संबंधी सभी नवीनतम अपडेट, दैनिक प्रश्नोत्तरी और तथ्यों को इंडिया साइंस फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम लिंक्डइन और पिंटरेस्ट पेज पर देखा जा सकता है। 

(इंडिया साइंस वायर)

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