KBC वाला लड़का याद है? जजमेंटल होने से पहले जान लें बच्चों के व्यवहार के पीछे का मनोविज्ञान

KBC में एक बच्चे के व्यवहार पर सोशल मीडिया पर हुई ट्रोलिंग ने समाज की बढ़ती जजमेंटल प्रवृत्ति पर सवाल खड़े किए हैं। पेरेंटिंग विशेषज्ञ अंबिका अग्रवाल बताती हैं कि बच्चों का ‘अति आत्मविश्वास’ अक्सर सुरक्षा की भावना या अत्यधिक उत्तेजना का प्रतीक होता है। यह हमें उनके क्षणिक व्यवहार को समझने की कोशिश करने की सलाह देता है।
हाल ही में, अमिताभ बच्चन के लोकप्रिय शो 'कौन बनेगा करोड़पति' की हॉट सीट पर बैठते ही एक बच्चे ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। शो में उसका व्यवहार दर्शकों के लिए सबसे चर्चित विषय बन गया। अमिताभ बच्चन से बात करने से लेकर सवालों के जवाब देने तक, उसके हावभाव और अंदाज ने सोशल मीडिया पर लोगों को बांट दिया। कुछ को वह मनोरंजक लगा, तो बहुतों ने उसे ट्रोल करना शुरू कर दिया और यहां तक कि उसके माता-पिता की परवरिश पर भी सवाल उठाने लगे।
लेकिन, जहां लोग बच्चे की आलोचना में व्यस्त हैं, वहीं सवाल उठता है, क्या हमें वाकई इतना जजमेंटल होने की जरूरत है? या फिर एक समाज के तौर पर हमें यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि एक बच्चा ऐसा व्यवहार क्यों करता है?
पेरेंटिंग विशेषज्ञ अंबिका अग्रवाल ने इस संदर्भ में कुछ महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं, जो हमें बच्चों के व्यवहार को बेहतर समझने में मदद कर सकती हैं।
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उन्हें सुरक्षा का एहसास होता है: बच्चे का व्यवहार इस बात पर निर्भर करता है कि वह खुद को कितना सुरक्षित महसूस कर रहा है। जहां विनम्रता सतर्कता की निशानी है, वहीं शरारत इस बात का संकेत है कि बच्चा सहज और आराम में है।
वे ध्यान आकर्षित करने पर प्रतिक्रिया देते हैं: जब सबकी नजरें उन पर होती हैं, तो बच्चे में उत्साह और घबराहट दोनों एक साथ जन्म लेते हैं। जो चीज हमें 'अति आत्मविश्वास' लगती है, वह दरअसल 'अति उत्तेजना' भी हो सकती है।
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वे नियंत्रण महसूस करना चाहते हैं: जब बच्चे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में खुद को असहाय पाते हैं, तो वे जहां भी अवसर मिले, वहां जिम्मेदारी या नियंत्रण लेने की कोशिश करते हैं।
विशेषज्ञ अंबिका अग्रवाल ने अंत में बताया कि बच्चे का व्यवहार स्थायी नहीं होता, वह उस पल का प्रतिबिंब होता है कि बच्चा कितना सुरक्षित, देखा गया और आजाद महसूस कर रहा है।
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