Chai Par Sameeksha: बेघर किये गये राहुल गांधी ने कर्नाटक की सत्ता छीन कर भाजपा को बड़ा सबक सिखाया

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम 2023 की समीक्षा की गयी साथ ही दिल्ली और महाराष्ट्र के मामलों पर आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा भी की गयी। इस दौरान प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनावों के परिणामों से कांग्रेस में नये उत्साह का संचार होना स्वाभाविक है क्योंकि हिमाचल प्रदेश के बाद उसे लगातार दूसरी जीत मिली है। कर्नाटक जैसे बड़े राज्य में सत्ता मिलना कांग्रेस को दक्षिण में तो मजबूती देगा ही साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव 2024 की दृष्टि से भी यह राज्य महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। चुनाव परिणाम से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की जोड़ी को भी बड़ी सफलता मिली है साथ ही कांग्रेस को यह भी समझ आ गया है कि जब पार्टी की केंद्रीय और राज्य इकाई पूरी एकजुटता के साथ कोई काम करती हैं तो उसके परिणाम सफलता ही लाते हैं।
कांग्रेस की जीत पर प्रभासाक्षी के संपादक ने कहा कि पार्टी कर्नाटक में लगातार पिछले 2 साल से मेहनत कर रही थी। उसके पास लोकल लीडरशिप भी मौजूद था। कांग्रेस ने पार्टी में मौजूद मनमुटाव को भी अच्छे से संभाला और यही कारण है कि परिणाम उसके पक्ष में गए हैं। नीरज दुबे ने कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ईमानदार छवि के जरूर है लेकिन विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों पर कभी भी मजबूती से जवाब नहीं दे पाए जिसके कारण विपक्ष राज्य में मजबूत होता चला गया। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि बसवराज बोम्मई पार्टी और सरकार के बीच जिस तरह का समन्वय होना चाहिए उसको भी बेहतर ढंग से नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि जब युवा नेता प्रवीण नेत्तारू की हत्या हुई थी तो बहुत सारे भाजपा कार्यकर्ता सरकार से खफा हो गए थे। केंद्रीय नेतृत्व को इसमें दखल देना पड़ा लेकिन बसवराज बोम्मई ने खुद से बहुत ज्यादा प्रयास उस वक्त नहीं किया था।
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प्रभासाक्षी के संपादक नीरज दुबे ने कहा कि बसवराज बोम्मई के नेतृत्व में भाजपा सत्ता में तो रही लेकिन बाकी राज्यों की तरह वहां आक्रामकता देखने को नहीं मिली। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के खिलाफ कांग्रेस जबरदस्त तरीके से हमलावर रही। कांग्रेस ने चुनाव में भी राज्य के मुद्दे को ही प्राथमिकता थी। दूसरी ओर हम भाजपा को देखें तो यहां ऐसा लग रहा था पार्टी की ओर से सिर्फ राष्ट्रीय मुद्दे को ही बताया जा रहा है। नीरज दुबे ने यह भी कहा कि कहीं ना कहीं राज्य के विधानसभा चुनाव लीडरशिप पर होती हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा नेताओं ने पूरा का पूरा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर छोड़ दिया। मोदी आएंगे और उन्हें जीता ले जाएंगे, ऐसी उनकी सोच थी। नीरज दुबे ने यह भी कहा कि मोदी का ही करिश्मा है कि भाजपा 65 सीटों तक पहुंच चुकी है। वरना पार्टी की स्थिति कर्नाटक और खराब हो सकती थी।
साथ ही प्रभासाक्षी के संपादक ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने दिल्ली और महाराष्ट्र से संबंधित मामलों पर जो फैसला सुनाया उसके केंद्र में राज्यपाल और उपराज्यपाल रहे, इसलिए भविष्य की राजनीति पर इन फैसलों का असर पड़ना स्वाभाविक है। हालांकि दिल्ली में देखना होगा कि क्या उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री की शक्तियां परिभाषित होने के बाद आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति बंद होती है या नहीं? वहीं महाराष्ट्र में यह तो साफ हो गया है कि राज्य सरकार को खतरा नहीं है क्योंकि उद्धव ठाकरे ने बिना विश्वास मत का सामना किये इस्तीफा दे दिया था। बहरहाल, महाराष्ट्र मामले में कोर्ट की सात जजों की पीठ के फैसले का सबको इंतजार रहेगा
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