Chai Par Sameeksha: क्या वक्फ बिल को पारित करा लेगी मोदी सरकार या बिहार विधानसभा चुनाव तक टल जायेगा फैसला ?

Parliament Session
ANI

बातचीत के दौरान प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने कहा कि वक्फ बिल को लेकर सभी राजनीतिक दलों का निशाना बिहार विधानसभा चुनाव की तरफ है। तो वहीं, विपक्ष की कोशिश है कि जेडीयू के ऊपर दबाव डालकर इस बिल को ज्यादा से ज्यादा लंबे समय तक खींचा जाए।

प्रभासाक्षी के खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर चर्चा में इस सप्ताह वक्फ बिल और प्रधानमंत्री मोदी पर चर्चा हुई। इस दौरान हमारे एटिडर नीरज कुमार दुबे ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई मुलाकात के दौरान दोनों पक्षों ने प्रौद्योगिकी संबंधों को प्रगाढ़ करने के लिए कई उपायों की घोषणा की। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने साथ ही घोषणा की कि अमेरिका ‘एफ-35 स्टील्थ लड़ाकू जेट’ विमान की आपूर्ति सहित भारत को सैन्य हार्डवेयर की बिक्री में वृद्धि करेगा।

बातचीत के दौरान हमारे एडिटर ने कहा कि वक्फ बिल को लेकर सभी राजनीतिक दलों का निशाना बिहार विधानसभा चुनाव की तरफ है। तो वहीं, विपक्ष की कोशिश है कि जेडीयू के ऊपर दबाव डालकर इस बिल को ज्यादा से ज्यादा लंबे समय तक खींचा जाए। जिसे कहीं ना कहीं विपक्ष अपनी जीत मानकर उसे विधानसभा चुनाव में जोर-शोर से प्रचारित करेगा। तो दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी की कोशिश है कि मुस्लिम समाज में सुधार हो और जरूरत के हिसाब से लोगों को उनके अधिकार सुनिश्चित हो सकें।

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आगे उन्होंने बताया कि वक्त बिल को लेकर राजनीतिक चर्चाएं चुनाव के दौरान ही जोर पकड़ते हैं, यह एक प्रकार का ट्रेंड बन चुका है। जो हमें महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, हरियाणा चुनाव और दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी दिख चुका है और इसी प्रकार की कोशिश बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर भी हो रही है। इसके अलावा भी आगे असम और बंगाल विधानसभा चुनावों को भी सभी राजनीतिक दल जीतने की कोशिश करेंगे और यही लाभ उठाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने ना तो जेपीसी का कार्यकाल बढ़ाया और ना ही इसे इस मानसून सत्र में भी लागू नहीं किया। एडिटर नीरज कुमार दुबे ने इस बिल को लेकर अपनी राय देते हुए बताया कि यह बिल वर्तमान समय की मांग है। तो वहीं, इसके प्रावधानों को और भी अधिक सख्त किया जा सकता है।

हालांकि, इसके लिए सभी समुदायों से बात करना जरूरी है इससे मुस्लिम समाज में लोगों को उनके अधिकार निश्चित रूप से मिलेंगे। आगे उन्होंने बताया कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के दौरान हुए आंदोलन से सबक लिया है। इसीलिए सरकार एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। जिससे इस विधेयक को लेकर कोई बड़ा जनांदोलन आकर ना ले सके। तो वहीं, इसी प्रकार केंद्र सरकार छोटे-छोटे टुकड़ों में राज्यों में यूसीसी लागू करके लोगों के मन में जो संदेह व्याप्त है, उसे दूर करने की कोशिश कर रही है। जब यूसीसी से सभी समुदायों के अंदर का डर खत्म हो जाएगा तो कहीं ना कहीं सरकार इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने का विचार जरूर करेगी।

उन्होंने आशंका जताई कि अगर कोविड ना आया होता तो शायद नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ आंदोलन अभी भी चल रहे होते और इस एक्ट को लेकर पूरी दुनिया में सरकार की आलोचना हुई थी। इसी प्रकार का सबक सरकार ने किसान आंदोलन से भी लिया है। आगे हमारे एडिटर ने कहा कि यह एक गठबंधन की सरकार है। इसीलिए मोदी सरकार सभी दलों और संगठनों के साथ सामंजस्य से ही आगे बढ़ने का विचार कर रही है।

इसके आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाल ही में संपन्न हुए अमेरिकी दौरे को लेकर एडिटर नीरज कुमार दुबे ने बताया कि हालांकि प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा सफल रही है लेकिन किसी भी प्रकार के समझौते को धरातल पर उतरने में थोड़ा समय लगता है। उन्होंने बताया कि पीएम मोदी ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ एआई समझौता, द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने और रक्षा समझौते को आगे बढ़ने का प्रयास किया है। साथ ही इस यात्रा के बाद आतंकी तहब्बुर राणा का प्रत्यर्पण भी लगभग पूरा हो जाएगा। इस आतंकी का भारत में वापस आना निश्चित रूप से इस सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है। जिसको लेकर इस सरकार के नेतृत्व में केंद्र की एजेंसियों ने अमेरिकी अदालतों में लंबी लड़ाई लड़ी है।

इसके अलावा प्रभासाक्षी के एडिटर ने बताया कि डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी को अपना सच्चा दोस्त भी बताया है। इस दौरे के पहले ट्रंप भारत को लेकर नाराज थे लेकिन प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के बाद इस नाराजगी में कमी जरूर आई है। अवैध प्रवासियों को वापस भारत भेजने के मुद्दे पर एडिटर दुबे ने बताया कि अमेरिका की अवैध प्रवासियों को लेकर यह रणनीति बहुत पुरानी है कोई भी सरकार अपने देश के हित में ही फैसला लेती है। पहले की अमेरिकी सरकारें है इन प्रवासियों को हथकड़ी लगाकर वापस नहीं भेजती थी, जो सिर्फ उनकी एक उदारता को दिखाता था। तो वहीं, ट्रंप इस मामले में बेहद कठोर हैं और उन्होंने हमेशा से अमेरिका फर्स्ट की नीति पर चलने का मन बना रखा है। एडिटर के मुताबिक, इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी की विफलता बिल्कुल भी नहीं कही जा सकती है क्योंकि टैरिफ बढ़ाने की घोषणा ट्रंप अपने चुनावी प्रचार के दौरान ही कर चुके थे। इसके अलावा ट्रंप ने पहले ही कनाडा को अमेरिका का एक हिस्सा बताया था। तो कहीं ना कहीं ट्रंप दुनिया के प्रत्येक देश के साथ कुछ ना कुछ विवाद उलझने में लगे हुए हैं।

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