बिंद्रा करीब से पदक से चूके, हाकी टीम आखिरी पलों में हारी
ओलंपिक खेलों में तकदीर ने भारत का साथ नहीं दिया जब निशानेबाज अभिनव बिंद्रा बिल्कुल करीब आकर पदक से चूक गए जबकि पुरूष हॉकी टीम आखिरी तीन सेकंड में गोल गंवाकर ओलंपिक चैम्पियन जर्मनी से 1–2 से हार गई।
रियो डि जिनेरियो। ओलंपिक खेलों में तकदीर ने भारत का साथ नहीं दिया जब निशानेबाज अभिनव बिंद्रा बिल्कुल करीब आकर पदक से चूक गए जबकि पुरूष हॉकी टीम आखिरी तीन सेकंड में गोल गंवाकर ओलंपिक चैम्पियन जर्मनी से 1–2 से हार गई। ट्रैप निशानेबाजी में मानवजीत सिंह संधू और कीनान चेनाइ पहले दिन के प्रदर्शन को बेहतर नहीं कर सके और ओलंपिक पुरूष ट्रैप सेमीफाइनल में प्रवेश नहीं कर पाये। संधू 16वें और चेनाइ 19वें स्थान पर रहे।महिला तीरंदाज लक्ष्मीरानी मांझी व्यक्तिगत स्पर्धा में खराब प्रदर्शन के बाद स्लोवाकिया की अलेक्जेंड्रा लोंगोवा से हारकर बाहर हो गई। मांझी ने यह मुकाबला 1–7 से गंवाया। बीजिंग ओलंपिक 2008 के व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता बिंद्रा पुरूषों की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में शूटआफ में उक्रेन के एस कुलीश से हार गए। एक समय दोनों पदक की दौड़ में 163–8 से बराबरी पर थे। शूटआफ में बिंद्रा ने 10 और कुलीश ने 10–5 स्कोर किया। चौथे स्थान पर रहकर बाहर होने के बाद भी बिंद्रा ने कोई जज्बात नहीं दिखाये। वह चुपचाप चले गए। कुलीश ने 204–6 के स्कोर के साथ रजत और इटली के निकोलो कैप्रियानी (206.1) ने स्वर्ण पदक जीता। बिंद्रा का यह पांचवां और आखिरी ओलंपिक था। वह एक समय आठ निशानेबाजों के फाइनल में दूसरे स्थान पर थे जिसमें एक एक शाट के बाद निशानेबाज बाहर हो रहे थे।
बिंद्रा क्वालीफाइंग दौर में सातवें स्थान पर रहे थे जबकि लंदन ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता गगन नारंग 23वें स्थान पर रहकर बाहर हो गए। बिंद्रा ने 625.7 स्कोर किया। बिंद्रा ओलंपिक में सिर्फ इसी स्पर्धा में भाग ले रहे थे। बिंद्रा ने क्वालीफाइंग दौर में 104.3, 04.4, 105.9, 103.8, 102.1 और 105.2 स्कोर किया। नारंग ने पहले सात शाट में 73.7 का स्कोर किया और 10.8 स्कोर करके शीर्ष पर पहुंच गए। इसके बाद वह लय कायम नहीं रख सके और अगले पांच सीरिज में 104.5, 102.1, 103–4, 101.6, 104.8 स्कोर किया। आखिरी मिनटों में गोल गंवाने की आदत भारतीय हाकी टीम पर एक बार फिर भारी पड़ी और रियो ओलंपिक में पूल बी के रोमांचक मैच में दो बार की ओलंपिक चैम्पियन जर्मनी ने आखिरी सीटी बजने से ठीक पहले गोल करके उसे 2-1 से हरा दिया। भारतीय हॉकीप्रेमियों के लिये यह हार दिल तोड़ने वाली रही क्योंकि मैच में अधिकांश समय भारत का पलड़ा भारी रहा और निर्धारित समय से 3.1 सेकंड पहले जर्मनी ने विजयी गोल दागा। आखिरी दो मिनट में जर्मन खिलाड़ियों ने जमकर हमले बोले। भारतीय डिफेंस एक बार फिर आखिरी पलों में बिखर गया और क्रिस्टोफर रूर ने विजयी गोल दागकर भारतीयों को स्तब्ध कर दिया। इससे पहले जर्मनी ने निकलस वेलेन (18वां मिनट) के गोल के दम पर बढत बनाई। भारत के लिये बराबरी का गोल रूपिंदर पाल सिंह ने 23वें मिनट में तीसरे पेनल्टी कार्नर पर किया। इस जीत से जर्मनी का ओलंपिक में 1996 के बाद से भारत के खिलाफ जीत का रिकार्ड बरकरार रहा। भारत ने आखिरी बार अटलांटा ओलंपिक में जर्मनी को 3–0 से हराया था। हार के बावजूद भारतीय अपने प्रदर्शन पर गर्व कर सकते हैं। भारत ने लंदन में चैम्पियंस ट्राफी में जर्मनी को 3–3 से ड्रा पर रोका लेकिन ओलंपिक से ठीक पहले वालेंशिया में 0–4 से हार गई थी।
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