चानू ने 49 किग्रा में खिताब बरकरार रखा, भारत को 2022 राष्ट्रमंडल खेलों का पहला स्वर्ण पदक दिलाया
मीराबाई चानू ने उम्मीद के मुताबिक राष्ट्रमंडल खेलों की भारोत्तोलन प्रतियोगिता की महिला 49 किग्रा स्पर्धा में दबदबा बनाते हुए शनिवार को यहां अपना खिताब बरकरार रखा और भारत को बर्मिंघम खेलों का पहला स्वर्ण पदक दिलाया। चानू ने स्नैच वर्ग में राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों का रिकॉर्ड तोड़ा।
बर्मिंघम, 31 जुलाई। मीराबाई चानू ने उम्मीद के मुताबिक राष्ट्रमंडल खेलों की भारोत्तोलन प्रतियोगिता की महिला 49 किग्रा स्पर्धा में दबदबा बनाते हुए शनिवार को यहां अपना खिताब बरकरार रखा और भारत को बर्मिंघम खेलों का पहला स्वर्ण पदक दिलाया। ओलंपित रजत पदक विजेता चानू ने कुल 201 किग्रा (88 किग्रा और 113 किग्रा)वजन उठाकर दबदबा बनाते हुए राष्ट्रमंडल खेलों कानया रिकॉर्ड बनाया। मॉरिशस की मेरी हानित्रा रोइल्या रानाइवोसोआ कुल 172 किग्रा वजन उठाकर चानू से काफी पीछे दूसरे स्थान पर रही जबकि कनाडा की हना कामिन्स्की ने 171 किग्रा वजन उठाकर कांस्य पदक जीता।
चानू ने स्नैच वर्ग में राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों का रिकॉर्ड तोड़ा। उन्होंने क्लीन एवं जर्क तथा कुल वजन में भी नया रिकॉर्ड बनाया। अपने वजन वर्ग में खिताब की प्रबल दावेदार 27 साल की चानू ने स्नैच में 80 किग्रा और क्लीव एवं जर्क में 105 किग्रा वजन उठाकर शुरुआत की।उन्होंने पहले प्रयास के वजन को हालांकि बदलकर 84 किग्रा किया। चानू प्रतियोगिता में 88 किग्रा के निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन और क्लीन एवं जर्क में 119 किग्रा के विश्व रिकॉर्ड सहित कुल 207 किग्रा के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ उतरी थी। चुनौती पेश करने वाली खिलाड़ियों में चानू की निकटतम प्रतिद्वंद्वी नाइजीरिया की स्टेला किंगस्ले का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 168 किग्रा (72 किग्रा और 96 किग्रा) था जो उनके और अन्य खिलाड़ियों के अंतर को स्पष्ट करता है।
चानू ने पदक वितरण समारोह के बाद कहा, ‘‘मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं। मैं पहले भी कह चुकी हूं कि मेरी प्रतिस्पर्धा स्वयं के साथ थी। सभी को पता था कि राष्ट्रमंडल खेल मेरे लिए आसान होंगे लेकिन मैंने इन्हें कभी हलके में नहीं लिया। मुझे पता है कि भविष्य में मुझे किन क्षेत्रों में सुधार करना है।’’ चानू ने स्नैच में अपना निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया जिसे उनका मजबूत पक्ष नहीं माना जाता और वह इससे खुश हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि स्नैच में मेरी तकनीक बेहतर हो रही है। मैं तोक्यो ओलंपिक से यह जानते हुए वापस आई थी कि मुझे स्नैच पर काम करने की जरूरत है और इससे मुझे भविष्य में फायदा होगा। 90 किग्रा वजन छूने के लिए मुझे अब भी अपनी तकनीक पर अधिक काम करना होगा।’’ चानू का अगला बड़ा लक्ष्य दिसंबर में होने वाली विश्व चैंपियनशिप है।
चानू से जब यह पूछा गया कि वह कैसे जश्ना मनाएंगी तो उन्होंने कहा कि उनके भारत पहुंचने के बाद ऐसा होगा। वह रात को हालांकि वजन बढ़ने की चिंता किए बगैर पिज्जा खाएंगी। उन्होंने कहा, ‘‘विश्व चैंपियनशिप में मेरा लक्ष्य क्लीन एवं जर्क में अपने रिकॉर्ड (119 किग्रा) की बराबरी करना है।’’ इस स्पर्धा में चानू की प्रतिस्पर्धा अन्य से अधिक स्वयं से थी और वह अपने प्रदर्शन में सुधार के इरादे से उतरी थी। चानू ने स्नैच में पहले प्रयास में आसानी से वजन उठाया और फिर दूसरे प्रयास में 88 किग्रा वजन उठाने में सफल रही। उन्होंने तीसरे प्रयास और अंतिम प्रयास में 90 किग्रा वजन उठाने की कोशिश की लेकिन नया निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज नहीं करा पाईं।
वह हालांकि क्लीन एवं जर्क के लिए उतरने से पहले रानाइवोसोआ पर 12 किग्रा की बढ़त बना चुकी थी। क्लीन एवं जर्क स्पर्धा की शुरुआत में ही बांग्लादेश की मारिया अख्तर 70 किग्रा वजन उठाने में नाकाम रही और इस दौरान वहीं गिर गईं। चानू की निकटतम प्रतिद्वंद्वियों ने उनसे 15 किग्रा कम वजन उठाने का प्रयास किया जिससे स्पर्धा का नतीजा तय हो गया था। रजत और कांस्य पदक के लिए किंगस्ले, कामिन्स्की और रानाइवोसोआ के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली।
नाइजीरिया की किंगस्ले को निराशा हाथा लगी क्योंकि उनके 98 किग्रा के प्रयास को वैध नहीं माना गया क्योंकि वह समय से पहले ही जश्न मनाने लगी। चानू ने क्लीन एवं जर्क में पहले प्रयास में आसानी से 109 किग्रा उठाया और फिर दूसरे प्रयास में 113 किग्रा वजन उठाने में सफल रहीं। चानू ने 119 किग्रा के अपने विश्व रिकॉर्ड की बराबरी का जोखिम नहीं उठाया और अंतिम प्रयास में 115 किग्रा वजन उठाने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहीं।
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