CWG स्वर्ण पदक विजेता श्रेयसी सिंह ने कहा, बिहार के लोग गरिमा के साथ बिहार में ही रहें

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एशियाई खेलों की कांस्य पदक विजेता 29 वर्ष की श्रेयसी को भाजपा ने जमुई विधानसभा से टिकट दिया है। बिहार में 28 अक्टूबर से सात नवंबर के बीच चुनाव होने हैं। श्रेयसी ने कहा ,‘‘ बिहारी बिहार छोड़कर क्यो जाये और दूसरी जगह दूसरे दर्जे के नागरिक की तरह क्यो रहे। यह सही नहीं है।

नयी दिल्ली। निशानेबाजी रेंज से राजनीति के मैदान में उतरी राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता श्रेयसी सिंह बिहार के लोगों का आजीविका के लिये पलायन रोकने और उनका प्रदेश में भरोसा बहाल करने का लक्ष्य लेकर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटी हैं। एशियाई खेलों की कांस्य पदक विजेता 29 वर्ष की श्रेयसी को भाजपा ने जमुई विधानसभा से टिकट दिया है। बिहार में 28 अक्टूबर से सात नवंबर के बीच चुनाव होने हैं। श्रेयसी ने कहा ,‘‘ बिहारी बिहार छोड़कर क्यो जाये और दूसरी जगह दूसरे दर्जे के नागरिक की तरह क्यो रहे। यह सही नहीं है।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ जब आप राजनीति की बात करते हैं तो विकास की बात होनी चाहिये। सिर्फ मूलभूत ढांचा ही नहीं बल्कि बहुआयामी विकास।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ हम बिहार में नौकरी के मौके क्यो नहीं पैदा करते ताकि हमारे लोग अपने परिवार के साथ यहीं गरिमामय जीवन जी सकें।’’ कोरोना वायरस महामारी के दौरान देश भर में काम कर रहे बिहारी श्रमिक अपने प्रदेश लौटे और ट्रेनें बंद होने के कारण पैदल ही निकल पड़े। बाद में विशेष ट्रेनें चलाई गई। श्रेयसी ने कहा कि वह बिहार में प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर अभियान का चेहरा बनना चाहती है।

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पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत दिग्विजय सिंह की बेटी श्रेयसी ने उम्मीद जताई कि वह प्रदेश में रोजगार के अवसर मुहैया कराने में मदद कर सकेंगी। ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेल 2014 में रजत पदक जीतने वाली इस निशानेबाज ने कहा कि उनका हमेशा से राजनीति के प्रति झुकाव रहा है। उन्होंने कहा ,‘‘ मैं 2009 से अपने पिता के लिये चुनाव प्रचार करती आई हूं। फिर 2010 , 2014 और 2019 में अपनी मां के लिये चुनाव प्रचार किया।’’ उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान लोगों ने जिस तरह सोशल मीडिया पर उनके साथ अपनी समस्यायें साझा की, इसने उन्हें राजनीति में उतरने के लिये प्रेरित किया। उन्होंने हालांकि कहा कि समय मिलने पर वह निशानेबाजी भी जारी रखेंगी। उन्होंने कहा ,‘‘ मैं निशानेबाजी जारी रखूंगी। यही वजह है कि मैने लोकसभा की बजाय विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया। विधानसभा क्षेत्र लोकसभा की तुलना में छोटा होता है।खेल और संस्कृति मेरी प्राथमिकता रहेगी। प्रदेश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है और मेरा काम उन्हें मंच प्रदान करना होगा।

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