ललिता बाबर के माता-पिता दुखी लेकिन बेटी पर है गर्व

[email protected] । Aug 16 2016 4:55PM

महाराष्ट्र के सातारा जिले की सूखा प्रभावित मान तहसील की ललिता बाबर के माता पिता रियो ओलंपिक में स्टीपलपेस फाइनल में बेटी के 10वें स्थान पर रहने से दुखी हैं लेकिन उन्हें उस पर गर्व भी है।

पुणे। महाराष्ट्र के सातारा जिले की सूखा प्रभावित मान तहसील की ललिता बाबर के माता पिता रियो ओलंपिक में स्टीपलपेस फाइनल में बेटी के 10वें स्थान पर रहने से दुखी हैं लेकिन उन्हें उस पर गर्व भी है। ललिता के पिता शिवाजी बाबर ने कहा, ''हमें गर्व है क्योंकि उसने ओलंपिक में भारत के लिये खेला और फाइनल तक पहुंची। उसके लिये दुखी हैं क्योंकि वह विषम परिस्थितियों का सामना करके वहां तक पहुंची और उसे जीत का भरोसा था।’’ उन्होंने कहा, ''वह पदक नहीं जीत सकी लेकिन आगे भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करती रहेगी। हम उसकी हौसलाअफजाई करते रहेंगे।’’ ‘मान देशी एक्सप्रेस’ के नाम से मशहूर ललिता के पिता ट्रक ड्राइवर है और आर्थिक रूप से वह काफी कमजोर परिवार से है।

बाबर ने कहा, ''यहां अभ्यास सुविधाओं के अभाव और पर्वतीय इलाके के कारण उसने काफी कठिनाइयां झेली हैं। वह हमारे गांव में स्कूल के आसपास अभ्यास करती थी।’’ गांव के स्कूल के शारीरिक शिक्षा के टीचर मुगुट पटोले ने कहा कि ललिता को खो-खो का शौक था लेकिन बाद में वह लंबी दूरी की धाविका बनी। उन्होंने कहा, ''वह खेत में अपने मां बाप के साथ काम करती थी और स्कूल जाने में देरी ना हो, इसलिये दौड़कर आती थी। इसी ने उसे मजबूत बनाया।''

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