ओलंपिक पदक विजेता को हराकर मनोज प्री क्वार्टर फाइनल में

[email protected] । Aug 11 2016 11:55AM

मनोज कुमार ने पूर्व ओलंपिक कांस्य पदक विजेता एवाल्डास पेत्राउस्कास को कड़े मुकाबले में हराकर रियो ओलंपिक मुक्केबाजी स्पर्धा के प्री क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया।

रियो डि जिनेरियो। राष्ट्रमंडल खेलों के पूर्व स्वर्ण पदक विजेता मनोज कुमार (64 किलो) ने पूर्व ओलंपिक कांस्य पदक विजेता एवाल्डास पेत्राउस्कास को कड़े मुकाबले में हराकर रियो ओलंपिक मुक्केबाजी स्पर्धा के प्री क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया। मनोज ने कड़े मुकाबले में 2–1 से जीत दर्ज की। उसने तीनों दौर में लिथुआनिया के अपने प्रतिद्वंद्वी का आक्रामकता का माकूल जवाब दिया। पूर्व एशियाई कांस्य पदक विजेता मनोज अब पांचवीं वरीयता प्राप्त उजबेकिस्तान के फाजलीद्दीन गेबनाजारोव से खेलेंगे। लंदन ओलंपिक में लाइटवेट (60 किलोၝ) में कांस्य पदक जीतने वाले पेत्राउस्कास ने शुरू ही से आक्रामक तेवर दिखाये। शुरूआती तीन मिनट के बाद जजों को मनोज की दूर से वार करने की रणनीति ने प्रभावित किया और उसने पहला दौर जीत लिया। दूसरे दौर में भी पेत्राउस्कास अधिक आक्रामक थे लेकिन मनोज ने संपर्क से बचते हुए आक्रमण किया। आखिरी तीन मिनट में पेत्राउस्कास ने लगातार हमला बोला और इस दौर में विजयी रही। आखिरी दौर में हालांकि मनोज को विजेता चुना गया। इससे पहले विकास कृष्णन (75 किलो) भी प्री क्वार्टर फाइनल में पहुंच चुके हैं। शिवा थापा (56 किलो) बेंटमवेट में अपने अभियान का आगाज करेंगे।

ओलंपिक में लगातार दूसरी बार प्री क्वार्टर फाइनल में पहुंचे मनोज ने कहा कि उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई। उन्होंने कहा, ''कड़े पंच ईश्वर की देन नहीं होते। अगर ये पड़ जाये तो मौत भी हो सकती है। मेरे 20 बरस के संघर्ष ने यह नतीजा दिया है। कुछ भी कुदरती नहीं मिलता, मेरी मेहनत रंग लाई है।’’ उन्होंने कहा कि वह कोई रणनीति लेकर नहीं उतरे थे। उन्होंने कहा, ''आपको कद का फायदा मिलता है लेकिन उसके पंच भी बहुत दमदार थे। आपको उसके अनुसार ही रणनीति बनानी पड़ती है। रिंग के भीतर सोचने का मौका नहीं मिलता। मैने उसके पंच को देखकर रणनीति बनाई।’’ करीब 30000 की आबादी वाले छोटे से गांव में मुक्केबाजों से जुड़े परिवार के मनोज ने कहा कि उनके बड़े भाई राजेश कुमार उन्हें रिंग के भीतर लेकर आए। उन्होंने कहा, ''यदि भिवानी ने 11 स्वर्ण लिये हैं तो 12वां हरियाणा में हमारे परिवार से था। भिवानी में बुनियादी ढांचा अच्छा है लेकिन हमने भी अपना लोहा मनवाया है।’’ कोच गुरबख्श सिंह संधू ने कहा, ''उसने बेहतरीन प्रदर्शन किया। ओलंपिक पदक विजेता को हराना आसान नहीं होता। यह काबिले तारीफ है।''

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