PT Usha Birthday: पीटी उषा ने तीन ओलंपिक में लहराया था देश का परचम, जानिए भारत की 'उड़न परी' का सफर

PT Usha Birthday
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आज यानी की 27 जून को भारत की 'उड़न परी' कही जाने वाली पीटी उषा का जन्मदिन है। आज वह अपना 59वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रही हैं। बता दें कि वह विश्व जूनियर आमंत्रण मीट के साथ ही एशियाई चैंपियनशिप और एशियाई गेम्स में खिताब जीत चुकी हैं।

वर्तमान समय में हमारे देश में कई महिला एथलीट हैं, जो देश का नाम रोशन कर रही हैं। महिलाएं न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर बल्कि अंतरराष्ट्रीय खेलों में भी शानदार प्रदर्शन कर रही हैं। महिलाओं की ओलिंपिक में हिस्सेदारी बढ़ाने का श्रेय उन महिलाओं को जाता है, जो सबसे पहले राष्ट्रीय और अंततराष्ट्रीय खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करती नजर आईं। ऐसी ही एक महिला एथलीट हैं, जिनका नाम पीटी उषा है। बता दें कि वह ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली पहली महिला एथलीट हैं। आज यानी की 27 जून को पीटी उषा अपना 59वां जन्मदिन मना रही हैं। आइए जानते हैं उनके बर्थडे के मौके पर पीटी उषा के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में...

जन्म 

केरल के कोझीकोड जिले के पयोली गांव में 27 जून 1964 को पीटी उषा का जन्म हुआ था। पीटी उषा का पूरा नाम पिलावुल्लाकांडी थेक्केपरम्बिल उषा है। उन्होंने अपने बचपन में आर्थिक तंगी का सामना भी किया है। पीटी उषा ने छोटी सी उम्र से ही दौड़ना शुरू कर दिया था। जब वह कक्षा 4 में थी तो उन्होंने जिले के चैम्पियन मुकाबले में पार्टिसिपेट किया था। इस दौरान उन्होंने अपने ही स्कूल में पढ़ने वाली जिला चैम्पियन को हरा दिया था। इसके बाद पीटी उषा ने कई जिला स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था। 

ऐसे सुर्खियों में आईं

केरल सरकार ने पीटी उषा के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें स्कॉलरशिप देकर हौसला बढ़ाने का काम किया। इस दौरान उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई के साथ ही ट्रेनिंग भी जारी रखी। पीटी उषा ने कन्नूर के एक Sports School में ट्रेनिंग के लिए दाखिला ले लिया। साल 1976 में राष्ट्रीय स्कूल खेल प्रतियोगिता के दौरान कोच ओ.एम. नाम्बियार की नज़र उन पर पड़ी।

इस दौरान वह राष्ट्रीय खेल चैम्पियनशिप प्रतियोगिता जीतकर चर्चा में आई थीं। उस दौरान पीटी उषा की उम्र महज 12 साल थी। वहीं साल 1980 में उन्होंने इंटरनेशनल स्तर पर शुरुआत की। जिसके बाद वह पाकिस्तान में ओपन राष्ट्रीय मीट में चार स्वर्ण पदक जीतीं। इस समय सभी की जुबान पर सिर्फ पीटी उषा का ही नाम था।

देश का नाम किया रौशन

साल 1980 में मोस्को, साल 1984 में लॉस एंजिल्स और साल 1988 में पीटी उषा सियोल में शामिल हुईं। हालांकि इन तीन ओलंपिक में से वह किसी में भी कोई पदक नहीं जीत पाईं। लेकिन हारने के बाद भी उन्होंने अपने देश का नाम रौशन किया। दरअसल, लॉस एंजिल्स ओलंपिक में पीटी उषा फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली महिला एथलीट थीं। इससे पहले भारत की किसी महिला ने यह कारनामा नहीं किया था। जिसके बाद एशियाई खेलों में पीटी उषा ने अपना शानदार प्रदर्शन दिखाया। 

अपने नाम किए कई पदक

साल 1982 में दिल्ली में हुए एशियाई खेलों में 100 मीटर और 200 मीटर की दौड़ में उन्होंने रजत पदक जीता। फिर एशियाई ट्रैक और फील्ड चैम्पियनशिप में 400 मीटर की दौड़ में पीटी उषा ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया। एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1983 से 1989 तक उन्होंने एटीएफ में कुल 13 स्वर्ण पदक जीते थे। जिसके कारण पीटी उषा को 'क्वीन ऑफ ट्रैक एंड फील्ड' भी कहा गया। बता दें कि पीटी उषा को 'उड़न परी' भी कहा जाता है।

शादी

साल 1991 में पीटी उषा ने वी श्रीनिवासन से शादी कर ली। शादी के कुछ समय बाद तक उन्होंने खेल से खुद को दूर रखा। जिसके बाद साल 1998 में उन्होंने दोबारा खेल के मैदान में वापसी की। 

सम्मान

पीटी उषा के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया। जिसमें 20 साल की उम्र में उनको अर्जुन पुरस्कार और पद्म श्री से सम्मानित किया गया। फिर साल 1985 और 1986 में सर्वश्रेष्ठ एथलीट को विश्व ट्रॉफी से नवाजा गया। पीटी उषा को भारतीय ओलंपिक संघ ने 'स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ द सेंचुरी और स्पोर्ट्स वुमन ऑफ द मिलेनियम' के लिए भी नामित किया। वहीं साल 2000 में देश की सर्वश्रेष्ठ महिला एथलीट पीटी उषा ने एथलेटिक्स से सन्यास ले लिया।

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