सचिन बाउंसर पर एलबीडब्ल्यू नहीं एसबीडब्ल्यू आउट होना चाहिए था : मैकग्रा

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[email protected] । Jan 26 2020 6:07PM

सचिन तेंदुलकर एडिलेड ओवल में ग्लेन मैकग्रा के बाउंसर पर पगबाधा आउट दिये जाने से काफी नाराज थे और अब आस्ट्रेलियाई दिग्गज ने भी स्वीकार किया कि इस भारतीय स्टार को तब एलबीडब्ल्यू नहीं बल्कि एसबीडब्ल्यू आउट दिया जाना चाहिए था।

दावोस। सचिन तेंदुलकर एडिलेड ओवल में ग्लेन मैकग्रा के बाउंसर पर पगबाधा आउट दिये जाने से काफी नाराज थे और अब आस्ट्रेलियाई दिग्गज ने भी स्वीकार किया कि इस भारतीय स्टार को तब एलबीडब्ल्यू नहीं बल्कि एसबीडब्ल्यू आउट दिया जाना चाहिए था। मैकग्रा ने तेंदुलकर के साथ अपनी मैदानी जंग के कुछ घटनाओं को याद करते हुए दिसंबर 1999 की उस घटना को भी याद किया जब उनका नीचा रहता हुआ बांउसर सचिन के कंधे से लगा और अंपायर डेरल हार्पर ने उन्हें पगबाधा आउट दे दिया। तेंदुलकर इस फैसले से खुश नहीं थे। मैकग्रा ने कहा, ‘‘क्या यह एलबीडब्ल्यू था। शायद यह एसबीडब्ल्यूए (शोल्डर बिफोर विकेट) होना चाहिए था। ’’

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इस आस्ट्रेलियाई दिग्गज ने यहां ‘एचसीएल स्पोर्ट्स नाइट’ में उस घटना के बारे में कहा, ‘‘सचिन बल्लेबाजी कर रहा था और अभी उसने क्रीज पर कदम ही रखा था और खाता नहीं खोला था। मैंने उन्हें बाउंसर किया और सचिन लंबे कद के खिलाड़ी नहीं हैं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘बाउंसर अमूमन उसके सिर के ऊपर से निकल जाता है लेकिन उस दिन उसमें ज्यादा उछाल नहीं थी। वह नीचे झुक गया और गेंद उसके कंधे पर लगी। क्योंकि वह लंबे कद का नहीं है इसलिए जब नीचे झुका तो मैंने देखा कि गेंद बीच के स्टंप को हिट कर रही थी। ’’

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मैकग्रा ने कहा, ‘‘इसलिए मैंने अपील की और अंपायर ने उसे आउट दे दिया। वह खुश नहीं था। वह पवेलियन लौट गया। क्या यह एलबीडब्ल्यू था। शायद यह एसबीडब्ल्यूए (शोल्डर बिफोर विकेट) होना चाहिए था। ’’ मैकग्रा ने इसके अलावा विश्व कप 2003 फाइनल का भी जिक्र किया जब उन्होंने तेंदुलकर को शुरू में ही आउट कर दिया था और दर्शक इससे खुश नहीं थे।  इस आस्ट्रेलियाई स्टार ने इसके अलावा खुलासा किया कि तेंदुलकर ने कुछ अवसरों पर उनके खिलाफ छींटाकशी भी की। मैकग्रा ने कहा कि उन्हें ब्रायन लारा और तेंदुलकर जैसे दिग्गज बल्लेबाजों को गेंदबाजी करने में हमेशा आनंद आया। उन्होंने कहा,‘‘मैंने उसे कुछ अवसरों पर आउट किया और उसने हमारे खिलाफ कुछ अच्छे शतक भी बनाये। इसलिए हमारे बीच यह 50-50 जैसा रहा। ’’

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