शॉट पुट या गोला फेंक खेल क्या है? जानें इसके इतिहास और नियम, पेरिस ओलंपिक में भारत को मेडल की आस
गोला फेंक एक ट्रैक एंड फील्ड इवेंट है। जिसमें एक भारी गोलाकार गेंद या शॉट को पुट किया जाता है। या दूसरे शब्दों में कहें तो दूरी के लिए कंधे से गोलाकार वजन गेंद को दूर फेंका जाता है।
शॉट पुट या गोला फेंक एक ट्रैक एंड फील्ड इवेंट है। जिसमें एक भारी गोलाकार गेंद या शॉट को पुट किया जाता है। या दूसरे शब्दों में कहें तो दूरी के लिए कंधे से गोलाकार वजन गेंद को दूर फेंका जाता है।
शॉट पुट का इतिहास
प्राचीन यूनानियों ने एक खेल के रूप में पत्थर फेंके और मध्य युग में सेनानियों को तोप के गोले फेंकने के रूप में दर्ज किया गया। हालांकि, 19वीं शताब्दी के दौरान स्कॉटलैंड में हाईलैंड खेलों में इस खेल को खेला गया।
बता दें कि, एक शॉट पुट गेंद कई रूपों में आती है। जैसे पुरुषों के लिए 7.26 kg/16lb और महिलाओं के लिए 4kg/8.8lb पुट का वजन खिलाड़ी के लिंग और उम्र के आधार पर अलग-अलग होगा। 3 किमी से 7.26 किलोग्राम तक।
शॉट पुट खेल के नियम
- जब किसी एथलीट का नाम पुकारा जाता है तो उसके पास फेंकने की गति शुरू करने के लिए केवल 60 सेकंड का समय होता है।
- एथलीट सुरक्षा के लिए अपनी उंगलियों पर टेप लगा सकते हैं लेकिन दस्ताने नहीं पहन सकते हैं।
- शॉट का रिलैक्सेशन स्टांस गर्दन के पास होता है, इसे मोशन के दौरान वहीं रहना चाहिए।
- शॉट को एक हाथ से कंधे की ऊंचाई के ठीक ऊपर लॉन्च किया जाना चाहिए।
- एक एथलीट आंतरिक सर्कल की परिधि का इस्तेमाल कर सकता है लेकिन पैर की अंगुली डेक की सीमा या बाहरी क्षेत्र का नहीं। थ्रो के दौरान अंगों को सर्कल के बाहर फैलाने की अनुमति है।
- वैध क्षेत्र फेंकने वाले क्षेत्र से 34.92 डिग्री पर स्थित है। उसी दायरे में गोला जानी चाहिए।
- एथलीटों को पीछे से सर्कल से बाहर निकलना चाहिए।
पेरिस ओलंपिक में भारत को मेडल की आस
पिछले साल चीन में हुए एशियन गेम्स में भारत के तेजिंदरपाल सिंह तूर ने गोला फेंक में गोल्ड मेडल जीता था। उन्होंने 20.36 मीटर के थ्रो में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि पेरिस ओलंपिक 2024 में भी भारत को इस खेल में मेडल मिल सकता है।
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