कंटेंट पोर्टल बनाने से पहले 5 बातों का रखें ध्यान, नहीं होगी परेशानी

content portal making

अगर आप आईटी फील्ड से नहीं हैं, तो कहीं ना कहीं आपको किसी न किसी कंसलटेंट की जरूरत पड़ ही जाती है। कंसलटेंट भी अलग-अलग प्लेटफार्म के हिसाब से अलग-अलग व्यक्ति हो सकते हैं। कई बार यह कोई कम्पनी होती है, तो कई बार कोई फ्रीलांसर व्यक्ति होता है।

आज के समय में ऑनलाइन का जमाना है। कई उद्यमी एक वेबसाइट भर बनाकर किसी खास कॉन्सेप्ट के साथ स्टार्टअप शुरू कर देते हैं और ऐसा देखा गया है कि उनमें कईयों को सफलता भी दूसरे माध्यमों के मुकाबले जल्दी मिल जाती है। क्या आप भी उनमें से एक हैं, जो एक वेबसाइट बनाकर अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं?

खासकर कंटेंट के क्षेत्र में अगर आप वेबसाइट बनाना चाहते हैं तो यह लेख आप ही के लिए है। आइये जानते हैं उन 5 पॉइंट्स को, जिसका आपको ध्यान रखना चाहिए।

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1. उद्देश्य क्लियर होना चाहिए

जी हां! आप शौकिया तौर पर पोर्टल बनाने से परहेज करें, बल्कि उसका लक्ष्य क्लियर करें। 

लक्ष्य से तात्पर्य यह है कि आप पोर्टल किसके लिए बना रहे हैं? क्या यह जनरल पोर्टल है या फिर स्पेसिफिक ऑडियंस के लिए आपका पोर्टल है?

क्या यह हर तरह की कैटेगरी का कंटेंट देगा या फिर किसी खास कैटेगरी का कंटेंट देगा? जब यह सारे प्लान पेपर पर लिखित होते हैं, तो बहुत आसान हो जाता है कई चीजों को मैनेज करना। इसलिए गोल बड़ा साफ़ रखें, जब भी कंटेंट पोर्टल बनाना चाहें। 

2. प्लेटफॉर्म का चुनाव 

अगर आप पोर्टल बनाने जाते हैं तो यह बेहद आवश्यक हो जाता है कि सीएमएस (CMS) यानी कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम के लिए कौन सा प्लेटफार्म आप यूज करते हैं! प्लेटफार्म से तात्पर्य है कि क्या आपका कंटेंट पोर्टल वर्ड प्रेस पर आधारित होगा या फिर ब्लॉगर पर, या फिर जुमला ड्रुपल जैसा सीएमएस होगा या फिर आप कस्टमाइज कोडिंग कराएंगे? यहाँ बहुत सावधानी से आपको प्लेटफार्म चुनना पड़ता है, क्योंकि आने वाले दिनों में किसी प्रकार की टेक्निकल समस्या न आए और स्मूथली आपका पोर्टल चलता रहे, इसके लिए यह आवश्यक है।

सभी प्लेटफॉर्म्स की पॉजिटिव साइड और नेगेटिव साइड इंटरनेट पर ध्यान से पढ़ें और विशेषज्ञ लोगों से राय लें। हर प्लेटफार्म की अपनी उपयोगिता है और उसके अपने नुकसान भी हैं। उस का बारीकी से अध्ययन आपके लिए आवश्यक है।

3. होस्टिंग का चुनाव 

जब आप एक प्लेटफॉर्म चुन लेते हैं, तो आपके सामने प्रश्न होता है कि आप होस्टिंग कौन सा लेंगे? शेयर्ड होस्टिंग से लेकर क्लाउड होस्टिंग और वीपीएस से लेकर डेडिकेटेड होस्टिंग तक मार्केट में अवेलेबल है, किंतु आप की शुरुआती जरूरत क्या है और आपका बजट क्या है, इसके ऊपर निर्भर होता है कि आप की शुरुआत किस प्रकार से होगी। होस्टिंग सर्विस देने वाली तमाम वेबसाइट्स का कंपैरिजन करें व अपनी ज़रुरत व खर्च करने की कैपिसिटी को समझें और उस अनुरूप होस्टिंग परचेज करें। जिस कंपनी से भी होस्टिंग लें, उसका सपोर्ट रिकॉर्ड, रिव्यूज अवश्य पढ़ें।

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4. कंसलटेंट का चुनाव 

अगर आप आईटी फील्ड से नहीं हैं, तो कहीं ना कहीं आपको किसी न किसी कंसलटेंट की जरूरत पड़ ही जाती है। कंसलटेंट भी अलग-अलग प्लेटफार्म के हिसाब से अलग-अलग व्यक्ति हो सकते हैं। कई बार यह कोई कम्पनी होती है, तो कई बार कोई फ्रीलांसर व्यक्ति होता है।

कंसलटेंट के चुनाव से पहले सावधानी से आपको, उसकी नॉलेज को एक्सप्लोर करना चाहिए। वह किस प्रकार अपने फील्ड में एक्सपर्ट है, उसका ट्रैक रिकॉर्ड क्या है, कस्टमर डीलिंग का उसका एक्सपीरियंस व मेथड क्या है, इत्यादि चीजों को समझकर आप बेहतर कंसलटेंट हायर कर सकते हैं।

यह इसलिए भी आवश्यक होता है क्योंकि अगर आप कोई कंटेंट पोर्टल स्टार्ट करते हैं, तो शुरुआती चीजें बेशक आप कर लें, किंतु लगातार उसमें अध्ययन और शोध की जरूरत होती है और कई बार जब आप अचानक प्रॉब्लम में फंसते हैं तो उस वक्त कंसलटेंट ढूंढने में आप को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और कई बार उसकी कीमत भी अधिक देनी पड़ती है। इसीलिए कार्य निर्धारित कर के शुरू में ही कंसलटेंट हायर करें और उसकी जिम्मेदारियां तय कर दें। मसलन आप सारी तकनीकी उलझनों को उससे डिस्कस कर सकते हैं, बैकअप- सपोर्ट जैसे दूसरे जरूरी कार्यों हेतु आप कंसलटेंट से सहयोग ले सकते हैं।

5. अर्निंग मॉडल 

कोई भी बिजनेस / स्टार्टअप आप करते हैं, तो उसमें कमाई एक अहम फैक्टर होता है। मुश्किल तब आती है, जब आपको पता नहीं होता है कि आपको अपने कंटेंट पोर्टल से कमाई किस प्रकार से करनी है?

ऐसी स्थिति में क्या होता है कि आप कुछ भी ट्राई करते हैं। वास्तव में आपके पास कोई योजना नहीं होती है।

फिर कभी ऐडसेंस के ऊपर ही अपना कंटेंट मॉडल चलाने की सोचते हैं, तो कभी फंडिंग के ऊपर सर्वाइव करने की सोचते हैं। ऐसी स्थिति में क्या होता है कि निरंतरता ना होने के कारण आपका पोर्टल मुसीबत में आ जाता है। इसलिए जरूरी है कि अपने अर्निंग मॉडल को बढ़िया ढंग से, एक बिजनेस करने के ढंग से ट्राई करें। 

अगले 3 महीने में आप क्या करते हैं, अगले 6 महीने में आप का क्या टारगेट है और क्या करना चाहते हैं, उसका आउटपुट क्या होगा, यह प्लानिंग करने की बात है। क्या सिर्फ एडसेंस मॉडल आपके सामने है, या फिर विज्ञापन के ऊपर आप चलना चाहते हैं। कितनी कमाई, कहां से होगी, इसकी योजना बनाएं और वीकली टारगेट के अनुसार उसे पूरा भी करें।

ध्यान रखें, शुरू में कई समस्याएं आपके सामने आएँगी, किन्तु प्लानिंग फुल प्रूफ होने पर इसमें आपको बहुत जल्द सफलता मिल सकती है। अर्निंग मॉडल क्लियर होने से आप बहुत जल्दी ब्रेक-इवन पार कर पाएंगे। कंटेंट पोर्टल पर मुख्यतः विज्ञापन, सदस्यता, अफिलियेट मार्केटिंग जैसे मॉडल चलते हैं। अपने कंटेंट प्लान के अनुसार आपको इन सारी चीजों का ध्यान आपको शुरुआत में ही रखना पड़ेगा। थोड़ा बहुत वक्त के साथ चेंजिंग जरूर होगी, लेकिन ऐसा नहीं होगा कि कमाई के लिए आपका भटकाव होगा। 

- मिथिलेश कुमार सिंह

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