क्या है वेब 3.0, क्या वाकई बदलने वाला है इंटरनेट!
वेब 3.0 को समझने के लिए हम सबसे पहले हुए 1.0 से शुरू करते हैं। 1989 में डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू (WWW) अर्थात वर्ल्ड वाइड वेब की शुरुआत हुई और उस समय जो इंटरनेट था तब आपको सिर्फ लिखी हुई जानकारी ही मिलती थी। यानी टेक्स्ट फॉर्मेट में यहां से इंटरनेट की शुरुआत हुई।
बेहद बड़ा और ज्वलंत प्रश्न है, जो तकनीकी दुनिया में अलग-अलग तर्कों के साथ तथ्यों के साथ चर्चित है। जी हां वेब 3.0 के बारे में कहा जा रहा है कि यह इंटरनेट को बदल देगा। आइए जानते हैं वास्तव में है क्या वेब 3.0।
वेब 3.0 को समझने के लिए हम सबसे पहले हुए 1.0 से शुरू करते हैं। 1989 में डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू (WWW) अर्थात वर्ल्ड वाइड वेब की शुरुआत हुई और उस समय जो इंटरनेट था तब आपको सिर्फ लिखी हुई जानकारी ही मिलती थी। यानी टेक्स्ट फॉर्मेट में यहां से इंटरनेट की शुरुआत हुई। इसके बाद उद्भव हुआ वेब 2.0 का। वेब 2.0 पर आप न केवल टेक्स्ट कंटेंट बल्कि वीडियो इमेजेस की क्रांति देख सकते हैं।
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और इस तरीके से वेब 2.0 एक तरह से सेंट्रलाइज इंटरनेट भी बन गया, मतलब एक तरह से यह बड़ी कंपनियों द्वारा कंट्रोल किया जाता है। जैसे कि गूगल ही मान लीजिए, अधिकतर लोग जानकारी के लिए गूगल पर जाते हैं और गूगल के पास तमाम डाटा होता है। इन डेटा में हेरफेर करना गूगल के लिए बेहद आसान है।
वहीं इस तरह के आरोप भी इन कंपनियों पर लगे हैं, और केवल गूगल ही क्यों, फेसबुक का उदाहरण आप ले लीजिए, अमेजन का उदाहरण ले लीजिए। इस तरह की तमाम बड़ी कंपनियां अपने हितों के लिए लोगों के साथ इंटरनेट पर खिलवाड़ कर सकती हैं और यह वेब 2.0 के बारे में वह बात है जो वेब 3.0 के आने की वकालत कर रहा है।
कहा जा रहा है कि अगर वेब 3.0 पूरी तरह से प्रचलन में आ गया तो फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियां इंटरनेट पर राज नहीं कर पाएंगी। जी हां! इसमें यूजर अपने कंटेंट का मालिक होगा। वेब 3.0 में इंटरनेट को डिसेंट्रलाइज करने की बात कही जा रही है, और ऐसा माना जा रहा है, कि यह ब्लॉकचेन पर आधारित इंटरनेट होगा।
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ब्लॉकचेन की बात हम सब आजकल बहुत तेजी से सुन रहे हैं, क्योंकि क्रिप्टो करेंसी इसी टेक्नोलॉजी पर आधारित है। मतलब बड़ा साफ है और वह यह है कि जिस प्रकार से क्रिप्टो करेंसी में आपके पैसे किसी बैंक में नहीं होते हैं और इसलिए बैंक के डूबने पर आप की करेंसी भी नहीं टूटती है, फ्रॉड के चांसेस भी नहीं होते हैं, उसी प्रकार से वेब 3.0 में भी ब्लॉकचेन की तरह आपका डाटा किसी एक सेंट्रल सर्वर पर ना होकर प्रत्येक यूजर के डिवाइस में होगा, किंतु वह एन्क्रिप्टेड फॉर्मेट में होगा और कोई जान नहीं पाएगा यूजर का डाटा वास्तव में रखा कहां है। ऐसे में उसमें छेड़छाड़ करना, मैनिपुलेशन करना संभव नहीं हो पाएगा। इससे बड़ी कंपनियों की मोनोपोली समाप्त हो जाएगी।
वैसे देखा जाए तो वेब 3.0 को लेकर लोग अलग-अलग राय रख रहे हैं। टेस्ला के सीईओ एलन मस्क और ट्विटर के फाउंडर जैक डोर्सी इत्यादि वेब 3.0 के पक्ष में अपने बयान नहीं देते हैं और कहते हैं कि यह हकीकत नहीं है। वहीं टेक वर्ल्ड में काफी पहले से 3.0 पर काम चल रहा है और ऐसा माना जा रहा है कि यह साइड बाय साइड चलता रहेगा, किंतु वेब 2.0 समाप्त हो जाए ऐसा भी लोग नहीं कह रहे हैं।
हालांकि टेक्नोलॉजी की दुनिया ने ऐसे बड़े बड़े बदलाव को देखा है, जिसकी कल्पना भी संभवतः किसी ने नहीं की होगी। वहीं आने वाले दिनों में अगर हुए 3.0 ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर कार्य करते हुए डिसेंट्रलाइज होता है और यूजर के पास कंट्रोल जाता है तो निश्चित रूप से यह इंटरनेट के एक्सपीरियंस को भी बदल देगा। किंतु देखना दिलचस्प होगा कि इस पर आने वाले दिनों में रिसर्च और डेवलपमेंट किस तरीके से आगे बढ़ती है।
- विंध्यवासिनी सिंह
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