Arattai App के मालिक जीते हैं साधा जीवन, IIT से की पढ़ाई, गांव में रहते हैं

Arattai App
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Kusum । Sep 30 2025 5:33PM

मशहूर मैसेजिंग ऐप WhatsApp का टक्कर देने भारत का स्वदेशी ऐप अराटाई (Arattai) इस समय काफी चर्चा में है। पिछले तीन दिनों से जिस तरह से ये पॉपुलर हो रहा है उसे देखते हुए इसे भारत में व्हॉटसऐप का प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा है।

दुनिया भर में मशहूर मैसेजिंग ऐप WhatsApp का टक्कर देने भारत का स्वदेशी ऐप अराटाई (Arattai) इस समय काफी चर्चा में है। पिछले तीन दिनों से जिस तरह से ये पॉपुलर हो रहा है उसे देखते हुए इसे भारत में व्हॉटसऐप का प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा है। 

ऐसे में क्या आप जानते हैं कि अराटाई के मालिक कौन हैं? दरअसल, इसके पीछे उस शख्स का हाथ है जिसने अमेरिका में अपनी बेहतरीन सैलरी वाली आईटी नौकरी छोड़ स्वदेश भारत में बिजनेस करने का फैसला किया। उनकी कहानी और भी अनोखी इसलिए है क्योंकि उन्होंने अपना व्यवसाय किसी मेट्रो सिटी नहीं बल्कि अपने गांव में ही इसे स्थापित किया। 

कौन हैं श्रीधर वेम्बू? 

अराटाई ऐप के पीछे जोहो के फाउंडर श्रीधर वेम्बू का हाथ है। श्रीधर वेम्बु तमिलनाडु के तेनकासी में स्थित कंपनी के विकास केंद्र में साइकिल से काम पर जाते हैं। वेम्बू का जन्म 1968 में तमिलनाडु के तंजावुर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। 

श्रीधर वेम्बू आईआईटी मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की और 1989 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की उसके बाद 1994 में प्रिंसटन विश्वविद्यालय से पीचएडी की। 

अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद वेम्बू ने क्वालकॉम में सिस्टम डिजाइन इंजीनियर के रूप में अपना पेशेवर करियर शुरू किया जहां उनका ध्यान वायरलेस तकनीक पर केंद्रित था। इसके साथ ही श्रीधर फोर्ब्स की भारत के सबसे धनी व्यक्तियों की 2024 की लिस्ट में 39वें स्थान पर हैं उनकी कुल संपत्ति 5.85 बिलियन डॉलर यानी की करीब 51,905 करोड़ रुपये आंकी गई है। 

किसी तकनीक केंद्र में लौटने के पारंपरिक रास्ते पर चलने के बजाय, वेम्बू ने भारत लौटने का फैसला किया। बेंगलुरु, हैदराबाद या दिल्ली नहीं बल्कि तमिलनाडु के तेनकाशी के एक छोटे से गांव में। ये असामान्य निर्णय, जिसने उस समय लोगों को चौंका दिया था अब उनके दर्शन का केंद्र बन गया है। वेम्बू का मानना है कि विश्वस्तरीय तकनीक महानगरों या शहरों से आने की जरूरत नहीं है। इसे गंवों में भी उन प्रतिभाओं द्वारा बनाया जा सकता है जिन्हें पारंपरिक व्यवस्था अक्सर नजरअंदाज कर देती है। 

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