Facebook-Instagram पर नहीं इस्तेमाल कर सकेंगे "शहीद" शब्द, जानें क्या है पूरा मामला

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रितिका कमठान । Mar 29 2024 3:06PM

ये बोर्ड मेटा द्वारा वित्त पोषित है। बोर्ड ने इस बात पर जोर दिया है कि कंपनी को शहीद वाले पोस्ट हटाने चाहिए। खासतौर से वो पोस्ट जो हिंसा के संकेत से संबंधित है। अगर वे अन्य सामुदायिक दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते है। मेटा की सामग्री मॉडरेशन नीतियों की लंबे समय से आलोचना के बीच ये कदम उठाया गया है।

फेसबुक और इंस्टाग्राम पर मालिकाना हक मेटा कंपनी रखती है। मगर अब इन दोनों प्लेटफॉर्म पर यूजर्स को खास काम करना होगा। अब यूजर्स इन प्लेटफॉर्म पर शहीद शब्द का उपयोग नहीं कर सकेंगे। एक रिपोर्ट के मुताबिक शहीद शब्द को आमतौर पर martyr के तौर पर किया जाता है। इस शब्द को मेटा के प्लेटफॉर्म से किसी अन्य शब्द या फ्रेज से अधिक बार हटाया गया है। साल भर की गहन समीक्षा के बाद, बोर्ड ने निष्कर्ष निकाला कि मेटा का दृष्टिकोण अत्यधिक व्यापक था, जिससे अनगिनत उपयोगकर्ताओं के भाषण को अनावश्यक रूप से दबा दिया गया।

बता दें कि ये बोर्ड मेटा द्वारा वित्त पोषित है। बोर्ड ने इस बात पर जोर दिया है कि कंपनी को शहीद वाले पोस्ट हटाने चाहिए। खासतौर से वो पोस्ट जो हिंसा के संकेत से संबंधित है। अगर वे अन्य सामुदायिक दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते है। मेटा की सामग्री मॉडरेशन नीतियों की लंबे समय से आलोचना के बीच ये कदम उठाया गया है।

आलोचकों ने नेटा पर इजराइल हमास संघर्ष के दौरान फिलिस्तीनियों के प्रति सहानुभूति रखने वाली सामग्री को दबाने का आरोप लगाया है। ये यनया फैसला उन चिंताओं के बीच आया है जिसमें शहीद का संबंध मेटा के नियम शब्द की व्याख्याओं पर विचार करने में विफल है। इसके परिणामस्वरूप हिंसा सामग्री को हटाया गया है।

ओवरसाइट बोर्ड के सह-अध्यक्ष हेले थॉर्निंग-श्मिट का कहना है कि मेटा का लक्ष्य सेंसरशिप के जरिए सुरक्षा में इजाफा करना है। ये भी कहा जाता है कि ऐसे उपाय सुरक्षा परिणामों में सुधार किए बिना अनजाने में पूरे समुदायों को हाशिए पर डालते है। उन्होंने कहा कि मेटा इस धारणा के बीच काम करती है कि सेंसरशिप सुरक्षा में सुधार कर सकती है। ऐसी जानकारी सामने आई है कि सेंसरशिप पूरी आबादी को हाशिए पर रखती है। वहीं सुरक्षा में सुधार नहीं हो रहा है।

बता दें कि अब मेटा शहीद शब्द वाले पोस्ट को हटा देता है। इन पोस्ट को खतरनाक माना जाता है। इसमें हमास जैसे चरमपंथी संगठनों के सदस्य भी शामिल है। मामले पर आंतरिक सहमति तक पहुंचने में विफल रहने के बाद मेटा ने निरीक्षण बोर्ड से निर्देश भी मांगे है।

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