मरीन ड्राइव से जुड़े इन मजेदार फैक्ट्स के बारे में नहीं जानते होंगे आप

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मिताली जैन । Jul 21 2022 4:00PM

आज मरीन ड्राइव को देखने के लिए लोग दूर−दूर से आते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह मुंबई का ऐसा प्रोजेक्ट है, जो वास्तव में एक फेल प्रोजेक्ट रहा। यह एक पुनर्ग्रहण परियोजना थी, जो विफल रही और अंततः एक पर्यटक आकर्षण में बदल गई।

मुंबई का मरीन ड्राइव बेहद ही फेमस है। जो लोग मुंबई जाते हैं, वह एक बार मरीन ड्राइव जरूर जाते हैं। मुंबई में पर्यटकों के आकर्षण के बीच, मरीन ड्राइव एक महत्वपूर्ण गंतव्य है। यह घुमावदार समुद्र तट सैर और एक घुमावदार सड़क है जो समुद्र तट और किनारे का शानदार दृश्य प्रदान करती है। मुंबई के मरीन ड्राइव में आप भी शायद कई बार गए होंगे। लेकिन इससे जुड़े ऐसे कई फैक्ट्स हैं, जिससे खुद मुंबई वासी भी अभी तक अनजान हैं। तो चलिए आज हम आपको ऐसे ही कुछ मजेदार फैक्ट्स के बारे में बता रहे हैं−

मुंबई में मियामी

अगर आप मरीन ड्राइव की तस्वीरों को देखेंगे तो आपको इंटरनेशनल बीच डेस्टिनेशन मियामी की याद आ जाएगी। इस तरह अगर देखा जाए तो मुंबई का अपना खुद का मियामी है। प्रसिद्ध लेखक नवीन रमानी ने अपनी पुस्तक 'बॉम्बे आर्ट डेको आर्किटेक्चरः ए विज़ुअल जर्नी' में भी मियामी के ओशन ड्राइव और मुंबई के मरीन ड्राइव के बीच समानताएं निकाली थीं।

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असली नाम है कुछ और

आज जिसे मरीन ड्राइव के नाम से जाना जाता है, उसका असली नाम कुछ और ही है। यह समुद्र तट के साथ एक 3.5 किमी लंबी सड़क है। जिसका वास्तविक नाम सोनापुर है। ड्राइव के साथ चलने वाली सड़क को नेताजी सुभाष चंद्र बोस सड़क कहा जाता है। यह सड़क नरीमन पॉइंट को बाबुलनाथ के मालाबार हिल्स से जोड़ती है।

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एक फेल प्रोजेक्ट

आज मरीन ड्राइव को देखने के लिए लोग दूर−दूर से आते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह मुंबई का ऐसा प्रोजेक्ट है, जो वास्तव में एक फेल प्रोजेक्ट रहा। यह एक पुनर्ग्रहण परियोजना थी, जो विफल रही और अंततः एक पर्यटक आकर्षण में बदल गई। 19 वीं शताब्दी में, ब्रिटिश सरकार द्वारा नरीमन प्वाइंट को मालाबार हिल से जोड़ने के लिए मुंबई में बैकबले रिक्लेमेशन परियोजना शुरू हुई। बाद में, यह 1920 के दौरान कोशिश की गई थी। लेकिन तब भी इसे पूरा नहीं किया जा सका। शुरुआत में इसमें 1500 एकड़ जमीन का इस्तेमाल होना था लेकिन बाद में प्रोजेक्ट के लिए 440 एकड़ का इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई। हालांकि, इसके बाद मिलिट्री ने 235 एकड़ ले लिए और बची हुई जमीन पर दूसरा काम शुरू हो गया। जिसके बाद सिर्फ 17 एकड़ जमीन बची जिसे आज मरीन ड्राइव कहा जाता है। 

- मिताली जैन

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