दक्षिण भारत का कश्मीर माना जाता है खूबसूरत शहर कोच्चि
दक्षिण भारत का खूबसूरत तटीय शहर कोच्चि देश−विदेश से पर्यटकों को आकर्षित करता है। इसे अरब सागर का रत्न कहकर पुकारें तो गलत नहीं होगा। इस शहर को दक्षिण भारत का कश्मीर भी कहा जाता है। पर्यटकों को यहां आकर ऐसी सुखद अनुभूति होती है जिसकी महानगरों के दूषित पर्यावरण में उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की होती।
दक्षिण भारत का खूबसूरत तटीय शहर कोच्चि देश−विदेश से पर्यटकों को आकर्षित करता है। इसे अरब सागर का रत्न कहकर पुकारें तो गलत नहीं होगा। इस शहर को दक्षिण भारत का कश्मीर भी कहा जाता है। पर्यटकों को यहां आकर ऐसी सुखद अनुभूति होती है जिसकी महानगरों के दूषित पर्यावरण में उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की होती।
कोच्चि एक समय उन कस्बों व द्वीपों के समूहों का नाम था जिनकी जीवन शैली व संस्कृति एक सी थी। तत्कालीन राजधानी−एरनाकुलम कोच्चि से तीन मील दूर है और कई पुलों की श्रृंखला द्वारा जुड़ी हुई है। चाहे वायुमार्ग से आएं या रेल मार्ग से, सैलानी पहले वेलिंग्टन द्वीप पर ही पहुंचते हैं। इस द्वीप की उत्पत्ति पुराने पोर्ट को गहरा करने के समय हुई थी।
कोच्चि किले की नृत्य−गायन मंडली अद्भुत है। कलाकार बिल्कुल अंग्रेजों की तरह लगते हैं लगभग पुराने इंग्लैंड वासियों का प्रतिरूप। पोर्ट के दक्षिण−पश्चिम में स्थित मैटनचेरी द्वीप में प्राचीन यहूदी समुदायों के आवास हैं। यहां पर यहूदियों के उपासना स्थल, पुर्तगालियों के चर्च, डचों की कलात्मक वास्तुकला के नमूने व सुसज्जित मस्जिदें एक साथ देखने को मिलती हैं।
ये केवल अतीत के स्मारक चिन्ह ही नहीं हैं बल्कि और भी बहुत कुछ हैं। यहां सभी तीज−त्यौहार पूरे वैभव और शानौ−शौकत से लोक उत्सव के रूप में मनाए जाते हैं। अलंकृत हाथी, पंचवाद्य, नृत्य, गायन व आकाश को प्रकाशमय करती आतिशबाजियां इन समारोहों की शोभा में चार चांद लगा देती हैं।
यहां के स्थायी निवासी यहूदियों के घर आम घरों की तरह ही लगते हैं। सड़कों को काटती हुई पतली−पतली तंग गलियों में लाइन से बने हुए सफेदी से पुते हुए घर एक दूसरे पर इस प्रकार झुके हुए हैं जैसे एक दूसरे की सांत्वना व सहारे की तलाश में हों। कोच्चि के केन्द्र में है क्रूर समय चक्र का साक्षी− कोच्चि सायनागॉग। यह लगभग 400 वर्ष के दृढ़ निश्चय व स्थिरता का गौरव प्रतीक है। इतिहासकारों का मानना है कि यहूदियों का केरल की तरफ प्रस्थान ईसा के जन्म से लगभग 600 वर्ष पूर्व ही शुरू हो गया था।
मैटनचेरी में कोच्चि की सबसे खूबसूरत इमारत डच पैलेस है। इसका निर्माण 1650 में पुर्तगालियों ने किया था। बाद में डचों ने यहां पर अपनी कला व संस्कृति की विशेष छाप छोड़ी तथा सुंदर भित्ति चित्रों की रचना भी की और इसे कोच्चि के राजा को सौंप दिया।
कोच्चि के लिए यदि आप हवाई मार्ग से आना चाहें तो कई प्रदेशों से यह सेवा उपलब्ध है साथ ही कोच्चि रेल मार्ग से भी देश के सभी हिस्सों से जुड़ा हुआ है। इरनाकुलम यहां का नजदीकी टर्मिनल है। आसपास के शहरों से कोच्चि के लिए बस व टैक्सियां भी आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
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