पर्यटन के साथ ही आध्यात्मिक सुख भी मिलता है ऋषिकेश में

spiritual happiness in Rishikesh
प्रीटी । Sep 26 2017 4:11PM

ऋषिकेश को केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेशद्वार माना जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान पर ध्यान लगाने से मोक्ष प्राप्त होता है। हर साल यहाँ के आश्रमों में बड़ी संख्या में तीर्थयात्री ध्यान लगाने और मन की शान्ति के लिए आते हैं।

ऋषिकेश को केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेशद्वार माना जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान पर ध्यान लगाने से मोक्ष प्राप्त होता है। हर साल यहाँ के आश्रमों में बड़ी संख्या में तीर्थयात्री ध्यान लगाने और मन की शान्ति के लिए आते हैं। ऋषिकेश पर्यटन का सबसे आकर्षक स्थल है। विदेशी पर्यटक भी यहाँ आध्यात्मिक सुख की चाह में नियमित रूप से आते रहते हैं। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकला विष भगवान शिव ने इसी स्थान पर पिया था। विष पीने के बाद उनका गला नीला पड़ गया और उन्हें 'नीलकंठ महादेव' के नाम से जाना गया। एक अन्य किवदंती के अनुसार भगवान श्रीराम ने अपने वनवास काल के दौरान यहाँ के जंगलों में अपना समय व्यतीत किया था। रस्सी से बना 'लक्ष्मण झूला' इसका प्रमाण माना जाता है। 1939 में लक्ष्मण झूले का पुनर्निर्माण किया गया। आइए डालते हैं एक नजर ऋषिकेश के कुछ खास स्थलों पर-

रात्रि में राम झूला ऋषिकेश

यहां विश्व प्रसिद्ध योग केंद्र है। लक्ष्मण झूला, वसिष्ठ गुफा और नीलकंठ महादेव मंदिर यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। सुबह के समय पहाड़ियों के पीछे से निकलता हुआ सूर्य, गंगा के बहते पानी की कलकल, कोहरे से ढकी पहाड़ी चोटियाँ, यह एक ऐसा अनुभव होता है जिसको ऋषिकेश में महसूस किया जा सकता है। ऋषिकेश में बहती गंगा की ख़ूबसूरती तो देखती ही बनती है।

लक्ष्मण झूला

ऋषिकेश से 5 किलोमीटर आगे एक झूला है, इस झूले को लक्ष्मण झूले के नाम से जाना जाता है। यह झूला लोहे के मोटे रस्सों से बंधा है। कहा जाता है कि गंगा नदी को पार करने के लिए लक्ष्मण ने इस स्थान पर जूट का झूला बनवाया था।

गीता भवन ऋषिकेश

ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला पार करते ही गीता आश्रम है। यहाँ रामायण और महाभारत के चित्रों से सजी दीवारें इस स्थान को आकर्षण बनाती हैं। यहाँ एक आयुर्वेदिक डिस्पेन्सरी और गीताप्रेस गोरखपुर की एक शाखा भी है।

नीलकंठ महादेव मंदिर

नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश के सबसे पूज्य मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया गया था। उसी समय उनकी पत्नी, पार्वती ने उनका गला दबाया जिससे कि विष उनके पेट तक नहीं पहुंचे। इस तरह, विष उनके गले में बना रहा।

भरत मंदिर

भरत मंदिर ऋषिकेश का सबसे प्राचीन मंदिर है जिसे आदि गुरु शंकराचार्य ने बनवाया था। मंदिर का मूल रूप 1398 में तैमूर आक्रमण के दौरान क्षतिग्रस्त कर दिया गया था।

अय्यपा मन्दिर

ऋषिकेश में अय्यपा मन्दिर प्रमुख दर्शनीय स्थल है।

कैलाश निकेतन मंदिर

लक्ष्मण झूले को पार करते ही कैलाश निकेतन मंदिर है। इस मंदिर में सभी देवी देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं।

- प्रीटी

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