इस वीकेंड जरूर घूमें दिल्ली की मिर्जा गालिब की हवेली

mirza ghalib ki haveli
Creative Commons licenses
मिताली जैन । Jan 6 2023 12:57PM

पुरानी दिल्ली में स्थित मिर्जा गालिब की हवेली कई मायनों में बेहद खास है और इसलिए हर साहित्य प्रेमी को इसे एक बार जरूर देखना चाहिए। दरअसल, दिल्ली में ही उन्होंने मिर्जा गालिब के नाम से शायरी करना शुरू किया था।

घुमक्कड़ी का शौक रखने वाले लोग हर बार एक नई जगह को एक्सप्लोर करना पसंद करते हैं। कभी एडवेंचर्स तो कभी आध्यात्म तो कभी ऐतिहासिक जगहों पर घूमना उनका शौक होता है। लेकिन ऐसी कई जगहें होती हैं, जो किसी भी ट्रेवलर को कभी भी निराश नहीं करती हैं। इन्हीं में से एक है मिर्जा गालिब की हवेली। दिल्ली में स्थित इस हवेली में घूमने का अपना एक अलग ही आनंद है। 

उर्दू और फारसी भाषा के महान शायर गालिब की शायरी को लोग आज भी सुनना व बोलना पसंद करते हैं। मिर्जा गालिब के मुरीद लोगों के लिए यह हवेली किसी खजाने से कम नहीं है। अगर आप साहित्य में रूचि रखते हैं तो ऐसे में आपको एक बार इस हवेली को जरूर देखना चाहिए। मिर्जा गालिब की यह हवेली पुरानी दिल्ली में स्थित है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको मिर्जा गालिब की हवेली के बारे में विस्तारपूर्वक बता रहे हैं-

इसे भी पढ़ें: पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया

बेहद खास है मिर्जा गालिब की हवेली

पुरानी दिल्ली में स्थित मिर्जा गालिब की हवेली कई मायनों में बेहद खास है और इसलिए हर साहित्य प्रेमी को इसे एक बार जरूर देखना चाहिए। दरअसल, दिल्ली में ही उन्होंने मिर्जा गालिब के नाम से शायरी करना शुरू किया था। वैसे उनका जन्म काला महल नाम की एक जगह पर हुआ था और उनका वास्तविक नाम असदुल्ला बेग खां था। लेकिन दिल्ली आने के बाद उन्होंने मिर्जा गालिब के नाम से शायरी करनी शुरू कर दी। इतना ही नहीं, गालिब ने अपने जीवन के आखिरी साल इसी हवेली में बिताए थे।

कभी नहीं खरीदा घर

मिर्जा गालिब की हवेली को अब एक राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जा चुका है। लेकिन बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि मिर्जा गालिब ने कभी भी इस घर को खरीदा नहीं था, बल्कि एक हकीम ने उन्हें तोहफे के तौर पर इस घर को उन्हें दिया था। मिर्जा गालिब आगरा से आने के बाद इस हवेली में लगभग नौ साल रहे थे।

गालिब की रचनाओं का है संग्रह

मिर्जा गालिब की हवेली में उनसे जुड़ी कई चीजों और रचनाओं को रखा गया है। जब आप इस हवेली में जाते हैं तो आपको मिर्जा गालिब के होने का अहसास होता है। यह हवेली सोमवार के दिन बंद रहती है, इसलिए आप वीकेंड पर यहां घूमने का प्लॉन कर सकते हैं। हवेली में जाने के लिए किसी तरह का कोई शुल्क नहीं है। जब आप यहां जाते हैं तो आपको मिर्जा गालिब की मूर्ति के अलावा उनकी संरचनाओं को भी करीब से देखने का मौका मिलता है।  

- मिताली जैन

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़