हैप्पीनेस मंत्र: श्री श्री रविशंकर कहते है-अपनी मुस्कान को सस्ता और गुस्से को महंगा बनायें

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रेनू तिवारी । Apr 25 2020 11:14PM

श्री श्री रवि शंकर जी के इस कथन को कहने का मतलब आसान शब्दों में ये है कि आप अगर अंदर से खुश है जो आप जिंदगी को अपनी मुठ्ठी में कर सकते है। आप अगर खुश होते है तो आपके चारों ओर खुशी होती आपसे सब प्रसन्न रहते है। यदि आपका स्वभाव गुस्सेल है तो अपने पास नकारात्मक लोगों की संख्या बढ़ जाती है।

नमस्कार प्रभासाक्षी की खास सीरीज हैप्पीनेस मंत्र मे आपका स्वागत है। आज हम बात करेंगे गुरु श्री श्री रवि शंकर जी के द्वारा दिए गये विचार। श्री श्री रवि शंकर विश्व स्तर पर एक आध्यात्मिक गुरु और मानवतावादी नेता हैं। उन्होंने तनाव-मुक्त, हिंसा-मुक्त समाज को बनाने के लिए अभूतपूर्व विश्वव्यापी आंदोलन चलाया है। श्री श्री ने जिंदगी में खुश रहने की कला को काफी महत्व दिया है। श्री श्री ने अपने मूल विचारो में कहा है कि "अपनी मुस्कान को सस्ता और गुस्से को महंगा बनायें।"

श्री श्री रवि शंकर जी ने इस विचार से लोगों को यह समझाने का प्रयत्न किया है कि अपनी जिंदगी में मुस्कान यानी की खुशी को महत्व दो। अपनी हंसी इतनी सस्ती होनी चाहिए कि कोई भी खरीद सकें और गुस्सा इतना मंहगा जिसे कई न ले सके। यानी आप हर बात को सकारात्मकता के साथ लेकर उसे खुशी से स्वीकार कर लें। वहीं आप का गुस्सा ऐसा हो जो जल्द आपको ना आये। कोई भी छोटी-मोटी बात आपको अस्थिर न कर सकें ताकी आप क्रोधित हो।

अपनी मुस्कान को सस्ता और गुस्से को महंगा बनायें का मतलब

श्री श्री रवि शंकर जी के इस कथन को कहने का मतलब आसान शब्दों में ये है कि आप अगर अंदर से खुश है जो आप जिंदगी को अपनी मुठ्ठी में कर सकते है। आप अगर खुश होते है तो आपके चारों ओर खुशी होती आपसे सब प्रसन्न रहते है। यदि आपका स्वभाव गुस्सेल है तो अपने पास नकारात्मक लोगों की संख्या बढ़ जाती है। अच्छे और गुणवान लोग आपसे दूर होने लगते हैं। अपने गुस्से वाले स्वभाव के कारण लोग काफी दूरी बनाने लगेंगे। आप एक उदाहरण से समझिए अब आप स्कूल या कॉलेज में थे तो किस अध्यापक का लेक्चर आपको अटेंड करना ज्यादा अच्छा लगता था। जो बात-बात पर अपनी कमियों को गिनाकर आपको क्लास में जलील करते थे उनका या फिर उस टीचर का जो अपनी कमियों को जानता था और तब भी आपको मोटिवेट करते थे की आप भी अपनी जिंदगी में अच्छा कर सकते हो। टीचर्स अलग-अलग तरह के होते है।

 

स्कूल में कुछ सर-मैडम ऐसी होती थी जो हमेशा आते ही बच्चों पर भड़क जातेस थे। उनकी क्लास में जाने में भी डर लगता था गुस्से में वह पिटाई भी करते थे। वहीं कुछ अध्यापक ऐसे भी होते है जिनसे मिलने हम स्कूल -कॉलेज छोड़ने के बाद भी जाते हैं। इस लिए नकारात्मक चीजों को दूर करों और मुस्कान को अपनी जिंदगी से जोड़ लो। आपको खुद भी हंसता हुआ चेहरा पसंद है तो सोचों कोई आपका गुस्सेल चेहरा क्यों देखना पसंद करेगा। इस लिए खुश रहो और खुशियां बांटो।

एक बात और है क्रोध हमेशा आपको नुकसान पहुंचाता है। क्रोध कभी अपको लाभ नहीं देगा। कई बार डर बनाने के लिए लोग क्रोध करते है लेकिन वह सामने वाले में डर बनाने से ज्यादा अपने शरीर को प्रभावित कर रहा होता है। क्रोध या गुस्सा एक भावना है। क्रोध की परिभाषा पढ़े तो लिखा गया है कि दैहिक स्तर पर क्रोध करने/होने पर हृदय की गति बढ़ जाती है> रक्त चाप बढ़ जाता है। यह भय से उपज सकता है। भय व्यवहार में स्पष्ट रूप से व्यक्त होता है जब व्यक्ति भय के कारण को रोकने की कोशिश करता है। क्रोध मानव के लिए हानिकारक है।

श्री श्री रविशंकर कौन है?

श्री श्री रविशंकर एक मानवीय नेता, एक आध्यात्मिक गुरु और शांति के राजदूत है।  उनकी दृष्टि एक तनाव मुक्त, हिंसा-मुक्त समाज ने लाखों लोगों को दुनिया पर सेवा परियोजनाओं और जीवन जीने की कला के पाठ्यक्रम के माध्यम से संयुक्त किया है। श्री श्री रविशंकर को, कोलम्बिया, मंगोलिया और पराग्वे का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार सहित कई सम्मान दिए गये है। वह पद्म विभूषण के प्राप्तकर्ता है, भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार और दुनिया भर के पंद्रह मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किए गये है। श्री श्री रविशंकर, श्री श्री विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और गुणवत्ता नियंत्रण के भारत योग प्रमाणीकरण समिति के अध्यक्ष है। आप अमरनाथ तीर्थ बोर्ड (जम्मू और कश्मीर सरकार के  द्वारा नियुक्त, भारत ) के एक सदस्य भी है । 500 वीं वर्षगांठ समारोह में कृष्ण देव राय के राज्याभिषेक में गुरुदेव स्वागत समिति के अध्यक्ष थे (कर्नाटक सरकार द्वारा, भारत) ।

जिंदगी को क्या सिखाया

श्री श्री रविशंकर के विचार "अपनी मुस्कान को सस्ता और गुस्से को महंगा बनायें" हमें सिखाता है कि जिंदगी में केवल एक मुस्कान आपकी जिंदगी का रूख बदल रखती है। वहीं आपका एक बाक का गुस्सा जिंदगी की सारी खुशियां कई बार छिन लेता है। अपने आप को ऐसा बना लिजिए कि आपको गुस्सा इतना मंहगा हो जाए जिसे खरीदना किसी भी नकारात्मक भाव के बस की न हो। वहीं आपकी मुस्कान इतनी सस्ती हो उसे हर कोई खरीद सकें। आज के हैप्पीनेस मंत्र में बस इतना ही। अगली सीरीज में नये हैप्पीनेस मंत्र पर बात होगी।

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