North-East दिल्ली में भारी हिंसा, बैठकों और बयानों का दौर जारी

heavy-violence-in-north-east-delhi
नागरिकता संशोधन कानून का विरोध तो जारी था ही लेकिन अब दिल्ली में हिंसा की घटनाएं सामने आने लगी हैं। उत्तर पूर्वी दिल्ली स्थित मौजपुर और जाफराबाद में दो गुटों में सोमवार को पथराव हो गया। पथराव के बाद इलाके में हिंसा फैली और हेड कांस्टेबल रतन लाल समेत 10 लोगों की मौत हो गई।

नागरिकता संशोधन कानून का विरोध तो जारी था ही लेकिन अब दिल्ली में हिंसा की घटनाएं सामने आने लगी हैं। उत्तर पूर्वी दिल्ली स्थित मौजपुर और जाफराबाद में दो गुटों में सोमवार को पथराव हो गया। पथराव के बाद इलाके में हिंसा फैली और हेड कांस्टेबल रतन लाल समेत 10 लोगों की मौत हो गई। यह हिंसा उस वक्त हुई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दो दिवसीय भारत दौरे पर आए हुए हैं। दिल्ली पुलिस को भी इस बात का अंदेशा है कि यह सब कुछ ट्रंप के भारत दौरे के मद्देनजर किया जा रहा है।

हिंसा भड़की फिर राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई। एक फायर ब्रिगेड समेत कई वाहनों को भी फूंक दिया गया। सोमवार को मामला काफी ज्यादा भड़का जबकि शनिवार को टकराव पैदा हुआ था और रविवार को पहली बार हिंसा की खबर आई थी। आज इसी मसले पर बात करेंगे।

इसे भी पढ़ें: ओवैसी ने दिल्ली हिंसा की निंदा की, बोले- भाजपा नीत सरकार पूरी तरह विफल रही

हिंसा की शुरुआत कब हुई ?

वैसे तो हिंसा की शुरुआत शनिवार की शाम उस वक्त हुई जब प्रदर्शनकारी जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे एकत्रित होने लगे। यहां पर मौजूद प्रदर्शनकारियों ने तो यहां तक कह दिया था कि शाहीन बाग वालों की तरह हम भी यहां से नहीं हटेंगे। सबसे दिलचस्प बात तो यह थी कि प्रदर्शनकारियों में सबसे ज्यादा महिलाएं शामिल थीं।

हालांकि दिल्ली पुलिस प्रदर्शनकारियों को उठाने के लिए उनके तिरपाल निकाल कर ले गई थी। फिर रविवार को मौजपुर में पहली बार हिंसा भड़की थी। दरअसल, मौजपुर में प्रदर्शनकारियों ने एक सड़क को बंद कर दिया था, जिसके बाद उस सड़क को खुलवाने के लिए अपने समर्थकों के साथ भाजपा नेता कपिल मिश्रा पहुंचे और वहां पर बैठकर हनुमान चलीसा पढ़ने लगे जिसके बाद इलाके में हिंसा भड़की।

फिर सोमवार को क्या कुछ हुआ यह तो आप सब जानते ही हैं। एक तरफ नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन करने वाले तो दूसरी तरफ इसका विरोध करने वाले बैठे थे और फिर अचानक से पत्थरबाजी शुरू हो गई। यहां तक की कुछ लोगों ने गोलियां भी चलाईं। अब तक कुल 10 लोगों की मौत हो चुकी है।

इसे भी पढ़ें: ओवैसी ने दिल्ली हिंसा की निंदा की, बोले- भाजपा नीत सरकार पूरी तरह विफल रही

कैसे हुई 10 लोगों की मौत ?

दो गुटों के बीच शुरू हुई पत्थरबाजी विकराल रूप धारण कर चुकी थी, जिसके बाद गोलियां चलीं और हेड कांस्टेबल रतन लाल समेत 10 लोगों को मौत हो गई। मृत लोगों के परिजनों ने तो यह दावा किया कि गोली लगने की वजह से हमारे अपनों की जान गई है।

एक वीडियो भी सोशल मीडिया में काफी तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें साफ-साफ देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मी के सामने एक प्रदर्शनकारी गोली चला रहा है। हालांकि वह प्रदर्शनकारी कौन था इस बात की अभी पुष्टि नहीं हो पाई है।

सरकार ने क्या कदम उठाए ?

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उपराज्यपाल अनिल बैजल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई नेताओं और अधिकारियों ने मिलकर बैठक की। जिसके बाद केजरीवाल ने बताया कि बैठक सकारात्मक रही। सभी लोग प्रदेश में शांति व्यवस्था कायम करने के लिए मिलकर प्रयास करेंगे ऐसा आश्वासन मिला है।

इसे भी पढ़ें: भजनपुरा-यमुना विहार हिंसा: बहुत भारी बीती सोमवार की रात, खौफजदा हैं लोग

यहां पर केजरीवाल ने कहा कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी ने दिल्ली में शांति व्यवस्था कायम बनाए रखने का आश्वासन दिया है तो दूसरी तरफ राजनीतिक बयानबाजी का दौर भी तेज है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हिंसा के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया और वित्त राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि वे हैदराबाद में क्या कर रहे हैं उन्हें दिल्ली जाना चाहिए और स्थिति को नियंत्रित करना चाहिए।

यहां तक तो ठीक था लेकिन उन्होंने पीएम मोदी और अमित शाह को भी निशाने पर ले लिया और कहा कि आपकी पुलिस दंगाइयों के साथ मिल कर पथराव कर रही थी। हम इसकी निंदा करते हैं।

वहीं दूसरी तरह जम्मू कश्मीर से भी बयान आया। यह बयान कभी भाजपा की सहयोगी रही पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती की बेटी का था। इल्तिजा मुफ्ती ने कहा- एक ओर दिल्ली जल रही है, 80 लाख कश्मीरी अपने मौलिक अधिकारों से वंचित हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा में व्यस्त है।

कांग्रेस ने भी हिंसा की निंदा की और शांति व्यवस्था बनाए रखने की बात कही। लेकिन जब हम राजनीतिक पार्टियों को गौर से देखते हैं तो पाते हैं कि एक पार्टी का बड़ा नेता जब शांति व्यवस्था की बात कर रहा होता है तो उसी पार्टी का दूसरा नेता उल-जुलूल बयानबाजी देकर सुर्खियां बटोरने का काम करता है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए...भारत शांति प्रिय देश है, हमारे देश ने हमेशा ही अपने लोगों की रक्षा की , उनके अधिकारों की रक्षा की फिर क्यों ऐसी घटनाएं सवाल खड़ा करने का काम करती हैं। इसके बारे में सोचिएगा फिलहाल सुरक्षित रहिएगा और शांति व्यवस्था बनाए रखने में सरकार की मदद करिएगा...

अन्य न्यूज़