सर्वाधिक सकारात्मक शिक्षकों के सर्वेक्षण में 35 देशों में भारत को छठा स्थान
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ग्लोबल टीचर स्टेटस इंडेक्स (जीटीएसआई) 2018 से एकत्र आंकड़ों के आधार पर बनाई गई रिपोर्ट में शिक्षकों की स्थिति और छात्रों के फायदे के बीच संबंध की पुष्टि की गई है।
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वार्के फाउंडेशन और ग्लोबल टीचर प्राइज के संस्थापक सन्नी वार्के ने कहा, “यह रिपोर्ट साबित करती है कि शिक्षकों का सम्मान न सिर्फ महत्वपूर्ण नैतिक दायित्व है-यह देश के शैक्षणिक नतीजों के लिये अनिवार्य है।” उन्होंने कहा, “कोरोनावायरस महामारी के सामने आने के बाद से विद्यालयों और विश्वविद्यालयों के बंद होने से करीब 1.5 अरब विद्यार्थी प्रभावित हुए हैं। ऐसे अभूतपूर्व समय में अब यह पहले से भी कहीं ज्यादा जरूरी है कि हम अच्छे शिक्षकों की पहुंच छात्रों तक सुनिश्चित करने के लिये जो भी जरूरी हो सके करें।” ग्लोबल टीचर स्टेटस इंडेक्स (जीटीएसआई) 2018 से एकत्र आंकड़ों के आधार पर बनाई गई रिपोर्ट में शिक्षकों की स्थिति और छात्रों के फायदे के बीच संबंध की पुष्टि की गई है।
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जीटीएसआई के तहत 35 देशों का सर्वेक्षण किया गया था और प्रत्येक देश में 1000 प्रतिनिधियों को शामिल किया गया था। इस नई रिपोर्ट में पहली बार यह बताने की कोशिश की गई है कि क्यों “अंतर्निहित शिक्षक दर्जा” अलग-अलग देशों में भिन्न है। इसमें पाया गया कि अमीर देशों में शिक्षकों का दर्जा कहीं बेहतर है जो ज्यादा सार्वजनिक धन को शिक्षा के क्षेत्र में आवंटित करते हैं। उदाहरण के लिये भारत में शिक्षा पर सरकारी खर्च 14 फीसदी है। इस सर्वेक्षण में 24वें स्थान पर आने वाले इटली में यह प्रतिशत 8.1 है। दूसरे स्थान पर आने वाला घाना 22.1 प्रतिशत सरकारी खर्च शिक्षा पर होता है।
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