Lockdown के 68वें दिन सरकार ने देश को अनलॉक करने की रूपरेखा जारी की

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को कहा कि प्रदेश में कोरोना वायरस की महामारी को रोकने के लिए लॉकडाउन को 15 जून तक बढ़ाया जायेगा। चौहान ने कहा, ‘‘प्रदेश में स्कूल 13 जून के बाद फिर से खुलेंगे। लेकिन इस पर अंतिम निर्णय कुछ दिन बाद किया जायेगा।''

केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने शनिवार को देश के निषिद्ध क्षेत्रों में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन 30 जून तक बढ़ाने की घोषणा की। साथ ही कहा कि आठ जून से आतिथ्य सत्कार (हॉस्पिटैलिटी) सेवाओं, होटलों और शॉपिंग मॉल को खोलने की अनुमति होगी। केन्द्र ने लॉकडाउन में और अधिक छूट संबंधी शनिवार को जारी नए दिशा-निर्देशों को लॉकडाउन हटाने का प्रथम चरण (अनलॉक 1) बताया है। देश में 25 मार्च से जारी राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का चौथा चरण 31 मई को समाप्त हो रहा है। नए दिशा-निर्देशों में केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि निषिद्ध क्षेत्रों से बाहर जिन गतिविधियों पर पाबंदी लगी थी, उन्हें एक जून से चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जाएगा। उसमें कहा गया है कि लॉकडाउन, जिसका चौथा चरण रविवार को समाप्त हो रहा है, निषिद्ध क्षेत्रों में 30 जून तक प्रभावी रहेगी। दिशा-निर्देश में कहा गया है कि सार्वजनिक धार्मिक स्थलों, होटलों, रेस्तरां, शॉपिंग मॉल और अन्य आतिथ्य सत्कार सेवाएं भी आठ जून से शुरू हो जाएंगी। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के दिशा निर्देशों में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा, मेट्रो ट्रेनों, सिनेमा हॉल, जिम, राजनीतिक सभाओं आदि को शुरू करने का निर्णय परिस्थितियों का आकलन करने के बाद लिया जाएगा। दिशा-निर्देश मे कहा है कि स्कूलों, कॉलेजों, शिक्षण संस्थानों, प्रशिक्षण और कोचिंग संस्थानों को राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ सलाह के बाद खोला जाएगा। उसमें कहा गया है कि राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश शिक्षण संस्थानों को जुलाई से खोलने के संबंध में अभिभावकों और अन्य संबंधित लोगों के साथ चर्चा कर सकते हैं। आज जारी दिशा-निर्देश में कर्फ्यू का समय भी बदल कर रात नौ बजे से सुबह पांच बजे तक कर दिया गया है। इस दौरान आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों के अलावा देशभर में अन्य लोगों के बाहर निकलने पर पाबंदी होगी।

मामले दोगुने होने का समय 15.4 दिन हुआ

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले दोगुने होने के समय में सुधार हुआ है जो अब 13.3 दिन से बढ़कर 15.4 दिन हो गया है। मंत्रालय के अनुसार देश में कोविड-19 से मृतकों की संख्या 4,971 हो गई और संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 1,73,763 पहुंच गई है। मंत्रालय ने कहा कि शनिवार की सुबह आठ बजे से पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 11,264 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं और यह इस महामारी से एक दिन में स्वस्थ होने वाले मरीजों की सबसे अधिक संख्या है जिससे भारत में मरीजों की स्वस्थ होने की दर 47.40 प्रतिशत हो गई है। मंत्रालय के अनुसार देश में हालांकि एक दिन में सर्वाधिक 265 लोगों की मौत हुई और शनिवार की सुबह आठ बजे तक 7,964 मामले सामने आये हैं। भारत दुनिया में इस महामारी से अब सबसे बुरी तरह से प्रभावित नौंवा देश है। देश में 86,422 मरीजों का इलाज चल रहा है और अब तक कोरोना वायरस के कुल 82,369 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। मंत्रालय ने कहा, ‘‘पिछले 24 घंटे के दौरान कोविड-19 के कुल 11,264 मरीज स्वस्थ हुए है। यह एक दिन में मरीजों के स्वस्थ होने की सर्वाधिक संख्या है।’’ मंत्रालय ने कहा, ‘‘इससे मरीजों के स्वस्थ होने की दर 4.51 प्रतिशत बढ़कर 47.40 प्रतिशत हो गई है। पिछले दिन यह दर 42.89 प्रतिशत थी।’’ बयान में कहा गया है, ‘‘30 मई तक, पिछले 14 दिन में दोगुने होने का समय 13.3 दिन था और पिछले तीन दिन में इसमें सुधार होकर यह 15.4 दिन हो गया है। मृत्यु दर 2.86 प्रतिशत है।’’ उसने कहा कि 29 मई तक कोविड-19 के 2.55 प्रतिशत मरीज आईसीयू में और 0.48 प्रतिशत वेंटिलेटर पर है। मंत्रालय ने कहा कि देश में 462 सरकारी प्रयोगशालाओं और 200 निजी प्रयोगशालाओं के जरिये जांच क्षमता बढ़ी है। उसने कहा कि अब तक 36,12,242 लोगों की जांच की गई है जहां 1,26,842 नमूनों की जांच कल की गई। देश में अब 942 समर्पित कोविड अस्पताल हैं जिनमें 1,58,908 पृथक बिस्तर और 20,608 आईसीयू बिस्तर हैं। इसके अलावा देश में 10,541 पृथक केन्द्र और 7,304 कोविड देखभाल केन्द्र हैं जिनमें इस समय कोविड-19 से निपटने के लिए 6,64,330 बिस्तर उपलब्ध हैं। केन्द्र ने राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों और केन्द्रीय संस्थानों को 119.88 लाख एन95 मास्क और 96.14 लाख व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) उपलब्ध कराये हैं।

28 फीसदी मरीजों में संक्रमण के लक्षण नहीं

भारत में 22 जनवरी से लेकर 30 अप्रैल तक कोविड-19 से संक्रमित हुए कुल 40,184 मरीजों में कम से कम 28 फीसदी में इसके संक्रमण के लक्षण नहीं थे। इस रोग के हल्के या बगैर लक्षण वाले मरीजों से कोरोना वायरस संक्रमण फैलने की चिंता जाहिर किये जाने के बीच एक अध्ययन में यह कहा गया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों द्वारा अन्य संगठनों के साथ किये गये अध्ययन के अनुसार जिन लोगों की जांच की गयी और जो संक्रमित पाये गये, उनमें एक बड़ा हिस्सा ऐसे लोगों का था जो संक्रमितों के संपर्क में आये थे, लेकिन उनमें इस बीमारी के लक्षण नजर नहीं आ रहे थे। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईजेएमआर) में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक कुल संक्रमित व्यक्तियों में करीब 5.2 फीसदी स्वास्थ्यकर्मी हैं। यह अध्ययन ऐसे समय आया है, जब शीर्ष अनुसंधान संस्था आईसीएमआर लोगों के बीच इस संक्रमण के सामुदायिक रूप से फैलने का आकलन करने के लिए ‘सीरो-सर्वे’ कर रही है। सीरो-सर्वे लोगों के एक समूह के रक्त सीरम की जांच की जाती है और इसका उपयोग जिला स्तर पर कोविड-19 संक्रमण की प्रवृत्ति की निगरानी की जाती है। यह पता लगाने के लिए 70 जिलों के लोगों का औचक परीक्षण किया जाएगा कि लक्षण सामने नहीं आने के बाद भी उनमें इस संक्रमण के प्रति एंटीबॉडी बना या नहीं। जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार कोविड-19 संक्रमण के बिना लक्षण वाले 28.1 फीसदी मरीजों में 25.3 फीसदी मरीज, संक्रमितों के सीधे संपर्क में आये लोग थे, जबकि 2.8 फीसदी बिना पर्याप्त सुरक्षा के संक्रमितों के संपर्क में आने वाले स्वास्थ्यकर्मी थे। आईसीएमआर के राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान के निदेशक और इस अध्ययन के लेखकों में शामिल मनोज मुरहेकर ने कहा, ‘‘ लेकिन संक्रमण के गैर लक्षण वाले संक्रमित लोगों का हिस्सा 28.1 फीसद से भी अधिक हो सकता था और यह हमारे लिए चिंता का विषय है।’’ मुरहेकर ने बताया कि इस अध्ययन में सामने आया कि पुष्टि होने वाले मामलों का हिस्सा संक्रमितों के संपर्क में आये ‘बिना लक्षण वाले मरीजों’ में सवार्धिक था, यह गंभीर श्वसन संक्रमण वाले मरीजों, अंतरराष्ट्रीय यात्रा कर चुके व्यक्तियों या संक्रमित स्वास्थ्यकर्मियों से दो-तीन गुणा अधिक है। इस साल 22 जनवरी से लेकर 30 अप्रैल तक 10,21,518 लोगों की कोरोना वायरस संक्रमण की जांच की गई। जहां मार्च में रोजाना 250 जांच होती थी, वहीं अप्रैल के आखिर तक यह संख्या बढ़ कर 50,000 हो गयी। इस दौरान 40,184 व्यक्ति संक्रमित पाये गये। कोरोना वायरस ने सबसे अधिक (63.3फीसदी) 50-59 साल के उम्र के लोगों को अपनी चपेट में लिया, जबकि यह सबसे कम (6.1 फीसदी)10 साल से कम उम्र में था। पुरूषों में यह 41.6 फीसदी, जबकि महिलाओं में 24.3 फीसदी था। देश के 736 में से 523 जिलों में कोरोना वायरस के मामले सामने आये। जिन राज्यों के अधिकतर जिलों से बड़ी संख्या में कोविड-19 के मामले आये, वे दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश हैं।

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दिल्ली में एक दिन में 1,163 नए मामले सामने आए

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक दिन में कोविड-19 के 1,163 नए मामले आने के साथ ही संक्रमितों की संख्या 18 हजार के पार पहुंच गयी है। वहीं, शनिवार तक संक्रमण से राजधानी में 416 लोग की मौत हो चुकी है। अधिकारियों ने बताया कि कोविड-19 के दिल्ली में आज आए 1,163 नए मामले एक दिन की सर्वाधिक संख्या है। इससे पहले 29 मई को एक दिन में सबसे ज्यादा 1,106 नए मामले सामने आए थे। यह लगातार दूसरा दिन है जब दिल्ली में कोविड-19 के 1,100 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। शनिवार को सरकार द्वारा जारी स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार, दिल्ली स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि राजधानी में कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वालों की संख्या 416 हो गई है, वहीं अभी तक संक्रमित हुए लोगों की संख्या बढ़कर 18,549 हो गई है।

सोनू सूद ने महाराष्ट्र के राज्यपाल से मुलाकात की

फिल्म अभिनेता सोनू सूद ने शनिवार को राजभवन में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की और उन्हें लॉकडाउन के बीच फंसे प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए जो कार्य वह कर रहे हैं, उसके बारे में जानकारी दी। सूद फंसे हुए प्रवासियों की यात्रा के लिए बसों की व्यवस्था कर रहे हैं, जिनके माध्यम से वह लोगों को उनके गृह राज्य भेज रहे हैं। इस काम के लिए सूद की खूब प्रशंसा हो रही है। राजभवन के एक बयान में कहा गया कि राज्यपाल ने सूद की उनके काम के लिए सराहना की और उन्हें अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया।

अमरिंदर सिंह ने लॉकडाउन 30 जून तक बढ़ाया

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शनिवार को लॉकडाउन की अवधि एक महीने के लिए बढ़ा कर 30 जून तक कर दी। हालांकि, विशेषज्ञों ने राज्य में मॉल और होटल नहीं खोलने का सुझाव दिया है, मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार लॉकडाउन के पांचवें चरण के लिए केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों पर अमल करेगी। केंद्र ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन में और अधिक छूट देने के लिए शनिवार को नये दिशा-निर्देश जारी किए। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि निषिद्ध क्षेत्रों में लॉकडाउन 30 जून तक जारी रहेगा और आठ जून से होटल, शॉपिंग मॉल आदि खोल दिये जाएंगे। एक सरकारी वक्तव्य के मुताबिक सिंह ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों और मंत्रिमंडल के मंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेस के जरिये हुई बैठक में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा करने के बाद यह निर्णय लिया। अपने साप्ताहिक फेसबुक संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 का खतरा अभी टला नहीं है और यदि आवश्यक हुआ तो लोगों का जीवन बचाने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।

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लौटा एअर इंडिया का विमान

दिल्ली से मास्को जा रहे एअर इंडिया के एक विमान को शनिवार को आधी दूरी से लौटना पड़ा जब विमानन कंपनी की ‘ग्राउंड टीम’ को पता चला कि विमान का एक पायलट कोरोना वायरस से संक्रमित है। एअर इंडिया और नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वंदे भारत अभियान के तहत मास्को में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए एयरबस ए 320 विमान ने सुबह सात बजकर 15 मिनट पर उड़ान भरी थी और लौटने का आदेश मिलने के बाद वह अपराह्न साढ़े बारह बजे दिल्ली पहुंच गया। दो वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि चालक दल के सदस्यों की कोरोना वायरस जांच रिपोर्ट का मुआयना करने में अधिकारियों की तरफ से लापरवाही बरती गई और रिपोर्ट को ठीक से नहीं देखा गया। मानक संचालन प्रक्रिया के तहत किसी भी उड़ान के पायलटों और चालक दल के अन्य सदस्यों को अनिवार्य रूप से कोरोना वायरस की जांच करानी होती है और प्रयोगशाला से प्राप्त नतीजे में संक्रमण नहीं पाए जाने पर ही उन्हें ड्यूटी पर भेजा जाता है। अधिकारियों ने कहा कि एअर इंडिया की प्राथमिक रिपोर्ट के आधार पर नागर विमानन महानिदेशक ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। विमान उज्बेकिस्तान की हवाई सीमा में था जब उसे वापस आने को कहा गया। डीजीसीए के एक अधिकारी ने कहा, “इस मामले में विमानन कंपनी के अधिकारियों ने पायलट की जांच के नतीजों को ठीक से नहीं देखा और यह मानकर उसे विमान उड़ाने के योग्य करार दिया गया कि वह कोविड-19 से संक्रमित नहीं है जबकि उसकी जांच के नतीजे कुछ और ही थे।” एअर इंडिया के एक अधिकारी ने कहा कि जब विमानन कंपनी की ग्राउंड टीम को पता चला कि एक पायलट कोरोना वायरस से संक्रमित है तब विमान को वापस आने को कहा गया। उन्होंने कहा, “ए 320 विमान में कोई यात्री मौजूद नहीं था। वंदे भारत अभियान के तहत फंसे हुए भारतीयों को वापस लाने के लिए विमान मास्को जा रहा था। जैसे ही विमान उज्बेकिस्तान की वायु सीमा में पहुंचा, हमारी ग्राउंड टीम को पता चला कि एक पायलट में कोविड-19 की पुष्टि हुई है।” अधिकारियों ने कहा कि चालक दल के सदस्यों को पृथक-वास में रखा गया है और विमान को संक्रमण-मुक्त कर दिया गया है। अधिकारियों के अनुसार मास्को में फंसे हुए भारतीयों को वापस लाने के लिए दूसरा विमान भेजा जा रहा है। बाद में एअर इंडिया ने एक आधिकारिक वक्तव्य जारी करते हुए कहा, “कॉकपिट में एक पायलट के कोविड-19 से संक्रमित होने की जानकारी मिलते ही एअर इंडिया ने आज सुबह दिल्ली से मास्को जाने वाले विमान को तत्काल वापस बुला लिया।’’ वक्तव्य में कहा गया, “लौटने पर चालक दल के सभी सदस्यों की जांच की गई और उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर सभी एहतियाती उपाय किए जा रहे हैं। मास्को से दिल्ली वंदे भारत अभियान के परिचालन के लिए आज एक अन्य विमान ने उड़ान भरी है।''

लेह के बाद अंडमान

झारखंड सरकार ने शनिवार को निजी विमान से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से 180 श्रमिकों को राज्य लाने की व्यवस्था की। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से श्रमिकों को लाए जाने के एक दिन पहले ही राज्य ने लेह में फंसे हुए 60 कामगारों को उड़ान से लाने का इंतजाम किया था। एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘‘दोनों उड़ानों का खर्च राज्य सरकार ने वहन किया है।’’ अधिकारियों ने बताया कि वापस आए श्रमिकों को स्वास्थ्य जांच के बाद बसों से उनके संबंधित जिलों में भेजा जाएगा। अपने गृह राज्य आए मजदूरों ने कहा कि अंडमान प्रशासन, एनजीओ और वहां रहने वाले झारखंड के लोगों ने उन्हें खाना दिया और रहने की व्यवस्था की। मुख्यमंत्री ने 21 मई को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, लद्दाख और पूर्वोत्तर के राज्यों में फंसे हुए श्रमिकों को विमानों से लाने की अनुमति मांगी थी क्योंकि इन जगहों से लोगों को बसों और ट्रेनों से लाना मुमकिन नहीं था। लॉकडाउन के कारण अंडमान और निकोबार में फंसे हुए श्रमिकों ने वापसी की व्यवस्था के लिए झारखंड सरकार से अनुरोध किया था। बिरसा मुंडा हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद एक श्रमिक ने कहा, ‘‘हममें से कई लोग वहां सड़क परियोजनाओं में काम करते थे लेकिन लॉकडाउन के कारण परेशानी बढ़ गयी।’’ उन्होंने कहा कि वे दक्षिण अंडमान और उत्तरी अंडमान के बीच सड़क निर्माण के काम में जुटे हुए थे। एक और श्रमिक ने कहा, ‘‘हम दक्षिण अंडमान में थे वहां प्रशासन, एनजीओ और वर्षों से वहां रह रहे झारखंड के कुछ लोगों ने हमें खाना दिया।’’ अधिकारियों ने बताया कि पोर्टब्लेयर में विमान में सवार होने के पहले श्रमिकों के स्वास्थ्य की जांच की गयी। देशभर से करीब 4.5 लाख मजदूर एक मई के बाद से विशेष ट्रेनों, बसों और उड़ानों के जरिए झारखंड पहुंचे हैं। शुक्रवार तक राज्य में कोरोना वायरस के 522 पुष्ट मामलों में संक्रमण के 313 मामले बाहर से आए श्रमिकों में मिले हैं।

केजरीवाल ने फिर दिया भरोसा

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को दिल्ली के लोगों को फिर भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार कोरोना वायरस से कई कदम आगे और हालात से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। मुख्यमंत्री ने यह भी दोहराया कि लॉकडाउन स्थायी नहीं हो सकता है और अब यदि मामले बढ़ते हैं भी, तो मौतों की संख्या कम से कम पर रखने पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मैं आपका मुख्यमंत्री हूं और आपको यह भरोसा दिलाना चाहता हूं कि आपकी सरकार कोरोना से चार कदम आगे चल रही है।’’ उन्होंने कहा, ''मैं स्वीकार करता हूं कि मामले तेजी से बढ़े हैं। यह चिंता का विषय है लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है।’’ केजरीवाल ने कहा, ‘‘हम कई इंतजाम कर रहे हैं जो आवश्यकता से कहीं अधिक हैं। हम इससे निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।’’ दिल्ली में शुक्रवार तक कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 17,386 मामले सामने आए थे, जबकि 398 मरीजों की मौत हो चुकी थी। केजरीवाल ने कहा कि पिछले 15 दिनों में इस संक्रामक रोग के 8,500 मामले आए हैं लेकिन अस्पतालों में केवल 500 मरीजों को भर्ती किया गया और ज्यादातर लोग घर पर इस बीमारी से उबर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका जोर इस बात पर है कि कम से कम मरीजों की जान जाए तथा मरीजों के लिए अस्पतालों में पर्याप्त बेड हो। उन्होंने कहा, ''उनके (मरीजों) के सामने ऑक्सीजन या जीवनरक्षक प्रणालियों के लिए जद्दोजेहद की नौबत नहीं आनी चाहिए। फिलहाल अस्पतालों में 2100 बेड हैं। हमने पर्याप्त बेड की व्यवस्था की है तथा और बेड का इंतजाम किया जा रहा है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि फिलहाल कुल 6600 बेड हैं और उनमें से 4500 बेड अब भी खाली है तथा जून तक यह क्षमता 9500 तक पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा, ''हम कुछ होटल भी इस काम के लिए ले रहे हैं। आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है।’’ शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग ने दिल्ली सरकार के तीन और अस्पतालों को कोविड-19 समर्पित घोषित किया था, ये दीपचंद बंधु अस्पताल, सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल और जीटीबी अस्पताल हैं। पांच और होटल निजी अस्पतालों से संबद्ध किये जायेंगे और वे मरीजों के उपचार के लिए अस्थायी सुविधाओं की भांति काम करेंगे। केजरीवाल ने कहा कि सरकार अस्पतालों में बेड और जीवन रक्षक प्रणालियों की उपलब्धता के बारे में लोगों को सूचना देने के लिए एक ऐप भी बना रही है। अगले सप्ताह यह ऐप आएगा। सोशल मीडिया दिल्ली सरकार के अस्पतालों और अन्य कोविड-19 उपचार केंद्रों की दशा पर चल रहे फर्जी वीडियो का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमें राजनीति को पीछे छोड़ना होगा। देश बुरे दौर से गुजर रहा है।’’

‘भारत के वीर’ कोष से दिए जाएंगे 15 लाख

कोविड-19 ड्यूटी के दौरान अर्धसैनिक बल के जिन जवानों की मौत हुई है उनके परिजन को ‘भारत के वीर’ कोष से 15 लाख रुपये की राशि दी जाएगी। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में इस निर्णय को मंजूरी दी है। यह राशि ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वालों के आश्रितों को संबंधित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) द्वारा प्रदान की जाने वाली लगभग एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि के अलावा दी जाएगी। अब तक सीएपीएफ के कुल आठ जवान इस संक्रमण के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। सीआईएसएफ के चार जबकि सीआरपीएफ और बीएसएफ के दो-दो जवान के इस संक्रमण की भेंट चढ़ चुके हैं। सीएपीएफ या केंद्रीय अर्धसैनिक बल आंतरिक सुरक्षा कर्तव्यों और सीमा की रखवाली के लिए तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, सीमा सुरक्षा बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल और सशस्त्र सीमा बल में लगभग 10 लाख जवानों की एक संयुक्त शक्ति है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अप्रैल 2017 में 'भारत के वीर' कोष की शुरुआत की थी। केंद्रीय अर्धसैनिक बल केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है।

संसद भवन को संक्रमणमुक्त किया गया

सरकारी एजेंसियों ने शनिवार को संसद भवन परिसर में मौजूद सभी इमारतों को संक्रमणमुक्त करने के लिए व्यापक अभियान चलाया। हाल ही में परिसर में कोरोना वायरस संक्रमण का चौथा मामला सामने आने के बाद यह कदम उठाया गया। अधिकारियों ने कहा कि संक्रमण के चार में से तीन मामले लॉकडाउन के दूसरे चरण के समाप्त होने पर लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय में कार्य दोबारा शुरू होने के बाद सामने आए हैं। राज्यसभा सचिवालय का एक अधिकारी भी गत शुक्रवार को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया था। लोकसभा सचिवालय ने एक बयान में कहा कि सभी अंदरुनी और बाहरी क्षेत्रों, कार्यालयों, विश्राम कक्षों और सार्वजनिक स्थानों को संक्रमणमुक्त करने के लिए व्यापक अभियान चलाया गया। इससे पहले 21 मार्च और इसके बाद भी कई बार ऐसा ही अभियान चलाया जा चुका है।

प्रवासी कामगारों को लौटने पर पंजीकरण कराना होगा

महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने शनिवार को कहा कि जो कामगार कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से अपने-अपने प्रदेशों को लौट चुके हैं उन्हें प्रदेश में दोबारा आने पर पंजीकरण कराना होगा। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के पास अपना पर्याप्त श्रमबल है। पत्रकारों से बातचीत में देसाई ने कहा, ‘‘प्रवासी कामगार केवल अपने कपड़ों के साथ लौटे हैं। वे कुछ समय बाद लौटेंगे। मौजूदा समय में उद्योगों को आपूर्ति के लिए पर्याप्त श्रमबल है।’’ शिवसेना के वरिष्ठ नेता देसाई ने कहा, ‘‘अगर दूसरे राज्य से श्रमिक लौटते हैं तो उन्हें अपना नाम पंजीकृत कराने की जरूरत होगी।’’ मंत्री ने चिकलथाना में कोविड-19 मरीजों के लिए समर्पित विशेष अस्पताल और डॉ. बाबा साहेब आम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में स्थापित प्रयोगशाला का दौरा किया। उन्होंने कहा, ''प्रयोगशाला में कोरोना वायरस संक्रमितों का इलाज कर रहे कोरोना योद्धाओं को संक्रमण से बचाने के तरीकों का भी अध्ययन किया जाएगा।’’ उन्होंने जिले के अधिकारियों को निर्देश दिया कि जहां भी जरूरत हो बुखार क्लीनिक की स्थापना करें।

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इलाज पर भारी खर्च से परेशान

लोगों के बीच कराये गये एक सर्वेक्षण के दौरान करीब 57 फीसदी प्रतिभागियों ने निजी अस्पतालों में कोविड-19 के इलाज पर भारी खर्च को लेकर चिंता प्रकट की जबकि 46 फीसदी लोगों ने सरकारी अस्तपालों में द्वितीयक संक्रमण होने का डर सामने रखा। सामुदायिक सोशल मीडिया मंच लोकलसर्किल्स द्वारा कराये गये सर्वेक्षण के दौरान कोविड-19 के उपचार पर सरकारी एवं निजी अस्पतालों के बारे में जनधारणा को लेकर 40,000 लोगों से पांच प्रश्न किये गये थे। सर्वेक्षण के दौरान करीब 61 फीसद लोगों ने इच्छा जाहिर की कि सरकार निजी अस्पतालों मे कोरोना वायरस उपचार के संबंध में कमरे की दर की सीमा तय करे या मानक शुल्क निर्धारित करे। सर्वेक्षण के अनुसार 46 फीसदी लोगों ने अस्पतालों में भीड़ तथा संक्रमण रोकथाम नियंत्रण मापदंड के पालन में हीलाहवाली के चलते द्वतीयक संक्रमण होने की चिंता प्रकट की जबकि 32 फीसदी ने उपयुक्त मेडिकल बुनियादी ढांचे के अभाव को देश में उपलब्ध कोविड-19 उपचार में अपनी सबसे बड़ी चिंता बताया। करीब 16 फीसदी लोगों ने देर तक इंतजार कराने और अकार्यकुशलता को बड़ा मुद्दा बताया। जब लोगों से पूछा गया कि यदि उन्हें कोरोना वायरस बीमारी हो जाती है तो वे इलाज के लिए कहां जाना चाहेंगे, तो 32 फीसद ने कहा कि वे निजी अस्पताल जाना पसंद करेंगे। इस सवाल के जवाब में 22 फीसदी लोगों ने कहा कि वे सरकारी अस्पताल जाना चाहेंगे जबकि 32 फीसदी ने कहा कि वे अस्पताल जाना ही नहीं चाहते जबकि 14 फीसदी अनिश्चय की स्थिति में नजर आये। सर्वेक्षण के दौरान संक्रमितों की अधिक संख्या वाले रेड जोन में कई लोगों ने कोविड-19 के उपचार को लेकर निजी अस्पतालों की सीमित क्षमता तथा सरकारी अस्पतालों में दाखिले के लिए लंबे समय तक इंतजार कराने को लेकर चिंता प्रकट की। लोकल सर्किल्स के महाप्रबंधक अक्षय गुप्ता ने कहा, ''यह बताता है कि क्यों 32 फीसदी लोग कहते हैं कि वे घर में ही रहना पसंद करेंगे और उपचार करायेंगे तथा तबतक अस्पताल नहीं जायेंगे जबतक कोई आपातस्थिति नहीं हो।’’

10 मिनट में आए नतीजे

वैज्ञानिकों ने कोविड-19 की जांच के लिए एक प्रायोगिक किट तैयार की है जिससे 10 मिनट में कोरोना वायरस के संक्रमण का पता चल जाएगा। इस उपलब्धि से पूरी दुनिया में कोविड-19 जांच में तेजी आने की उम्मीद है। एसीएस नैनो नामक जर्नल में प्रकाशित शोधपत्र के मुताबिक इस जांच किट में साधारण सोना के नैनो कण होते हैं जो वायरस की उपस्थिति होने से रंग बदलता है। मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन विश्वविद्यालय (यूएमएसओएम) के शोधकर्ताओं ने बताया कि इस जांच में किसी उन्नत प्रयोगशाला तकनीक की आश्यकता नहीं होती, जैसा आमतौर पर वायरस का विश्लेषण करने के लिए उसके आनुवांशिकी की कई प्रति बनानी पड़ती है। यूएमएसओएम के प्रमुख शोधपत्र लेखक दीपांजन पैन ने कहा, ''प्राथमिक जांच पर आधारित इस जांच से हमें भरोसा है कि वायरस के आरएनए तत्वों का संक्रमण के पहले दिन से ही पता लगाने में मदद मिलेगी।’’ हालांकि, पैन ने कहा कि इस जांच की विश्वसनीयता को परखने के लिए अभी और जांच की आवश्यकता है। अध्ययन में रेखांकित किया गया कि इस प्रायोगिक जांच में मरीज के नाक और लार के नमूने लेकर दस मिनट की प्रक्रिया में आरएनए प्राप्त किया जाता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि जांच के दौरान कोरोना वायरस की आनुवांशिकी के क्रम में मौजूद प्रोटीन का पता लगाने के लिए विशेष कण का इस्तेमाल किया जाता है। अध्ययन में कहा गया कि बायोसेंसर जब आनुवांशिकी क्रम से जुड़ते हैं तो सोने के नैनोकण प्रतिक्रिया करते हैं और तरल पदार्थ बैंगनी से नीले रंग में तब्दील हो जाता है। पैन ने कहा, ''किसी भी कोविड-19 जांच की सटीकता वायरस के भरोसेमंद तरीके से पता लगाने पर आधारित होता है। इसका मतलब है कि वायरस की मौजूदगी होने पर गलत जानकारी नहीं दे।’’ उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में कई जांच किट उपलब्ध हैं लेकिन वे संक्रमण के कई दिनों के बाद ही वायरस होने की पुष्टि कर पाते हैं। पैन ने कहा कि इसकी वजह से पर्याप्त संख्या में गलत नतीजे आ रहे हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि आरएनए आधारित जांच वायरस से संक्रमण का पता लगाने के मामले में बहुत प्रमाणिक है। उन्होंने कहा, हालांकि इसकी सटीकता का पता लगाने के लिए और चिकित्सीय परीक्षण की जरूरत है। शोधकर्ताओं ने कहा कि प्रयोगशाला में होने वाली कोविड-19 मानक जांच के मुकाबले यह कम महंगा होगा। उन्होंने कहा कि इस जांच में प्रयोगशाला के उपकरणों और प्रशिक्षित व्यक्तियों की जरूरत नहीं है। वैज्ञानिकों ने बताया कि इस जांच का इस्तेमाल नर्सिंग होम, महाविद्यालयों के परिसर और कार्यस्थल पर किया जा सकता है।

-नीरज कुमार दुबे

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