शहीद दिवस का 30 जनवरी को हो रहा आयोजन, जानें किसकी याद में मनता है ये दिन

mahatma gandhi
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रितिका कमठान । Jan 30 2023 12:19PM

भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी यानी बापू की हत्या 30 जनवरी को हुई थी। इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मार कर हत्या कर दी थी।

भारत समेत दुनिया भर में 30 जनवरी को शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसी दिन नाथूराम गोडसे ने वर्ष 1948 में बिड़ला हाउस में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मार कर हत्या कर दी थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को हर वर्ष शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

गौरतलब है कि भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम सर्वाधिक प्रसिद्ध है। भारत में 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है। जानकारी के मुताबिक महात्मा गांधी जी की हत्या करने से पूर्व गोडसे ने गांधीजी के पैर छुए थे। नाथू राम गोडसे ने गांधी जी के प्रार्थना सभा से बाहर निकलने के बाद उनके सीनें और पेट में तीन गोलियां मारी थी। इसके बाद गांधी जी सीधे जमीन पर गिरे थे, जिसके बाद उनके मुंह से 'हे राम' निकला था। महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे और इस साजिश में उसके साथी नारायण दत्तात्रेय आप्टे को फांसी दी गई। 15 नवंबर 1949 को उन्हें फांसी दे दी गई थी।

बता दें कि महात्मा गांधी जी के शहीदी दिवस के दिन उनकी समाधि स्थल राजघाट पर जाकर देश के गणमान्य व्यक्ति उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते है। बापू और देश के अन्य शहीदों की याद में दो मिनट का मौन भी रखा जाता है।

महात्मा गांधी के आदर्श को किया जाता है याद
महात्मा गांधी के आदर्शों को आज भी दुनिया भर में याद किया जाता है। देश और दुनिया में प्यार से लोग महात्मा गांधी को बापू कहकर बुलाते थे। महात्मा गांधी ने जीवन पर्यंत सत्य, अहिंसा, सादगी के साथ जीवन व्यतीत किया। वो भारत को धर्मनिरपेक्ष और अहिंसक राष्ट्र के तौर पर बनाना चाहते थे।

पोरबंदर में हुआ था जन्म
मोहनदास कर्मचंद गांधी के तौर पर जन्म महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था। महात्मा गांधी की उच्च शिक्षा इंग्लैंड में हुई थी। देश में अंग्रेजों के अत्याचार से परेशान होकर उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। भारत को आजादी दिलाने में महात्मा गांधी की अहम भूमिका हमेशा याद की जाती है। दुर्भाग्य से आजादी के कुछ ही महीनों के बाद उनकी हत्या हो गई थी।

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