National Anti Terrorism Day 2023: कब समाप्त होगा नासूर बनता आतंकवाद

National Anti Terrorism Day
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आतंकवाद विरोधी दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगो को आतंकवाद के प्रति जागरूक करना है और इससे बचने की तरकीबो को अवगत करना है। ताकि कभी कोई देशवासी आतंकवाद का शिकार न हो। भारत सरकार हिंसात्मक लोगो को आतंकवाद के प्रति सचेत रहने के लिए बचाव के उपाय बताती है।

भारत में हर साल 21 मई को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया जाता है। 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में कांग्रेस पार्टी के लिए प्रचार करते समय लिट्टे के आतंकवादियों द्वारा उनकी हत्या कर दी गई थी। राजीव गांधी भारत के सबसे कम उम्र में प्रधानमंत्री बने थे। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उन्होने 1984 से 1989 तक प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा की थी। 

आतंकवाद विरोधी दिवस को मनाने के पीछे का उद्देश्य युवाओं को आतंकवाद और हिंसा से दूर करना है। आम लोगों की पीड़ा को उजागर करना और यह दिखाना कि यह कैसे राष्ट्रीय हित के लिए हानिकारक है। इस दिवस को राष्ट्रीय सद्भाव को बढ़ावा देने, आतंकवाद को कम करने और सभी जातियों, पंथों आदि के लोगों के बीच एकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

आतंकवाद शब्द एक आपराधिक और हिंसक गतिविधि की ओर संकेत करता है। जो किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह या संगठन द्वारा आम जनता के बीच डर पैदा करने के लिए, सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए, अपने विशेष धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक आदि लक्ष्यों को पूरा करने के लिए किया जाता है। आतंकवाद सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है। बल्कि ये पुरे विश्व की समस्या बन चुकी है। विभिन्न देशों तथा भारत में आतंकवादी समूहों के गठन के कारण भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। पर इन कारणों में मुख्य रूप से सामाजिक-आर्थिक असमानता, भेदभाव,  अलगाव, सत्तारूढ़ दल, धार्मिक उग्रवाद और जातीय राष्ट्रवाद के कामकाज से असंतोष शामिल हैं।

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आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने का उद्देश्य राष्ट्रीय हितों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों, आतंकवाद के  कारण आम जनता को हो रही परेशानियों, आतंकी हिंसा से दूर रखना है। इसी उद्देश्य से स्कूल-कॉलेज और विश्वविद्यालयों में आतंकवाद और हिंसा के खतरों पर परिचर्चा, वाद-विवाद, संगोष्ठी, सेमीनार और व्याख्यान आदि का आयोजन किया जाता है। आतंकवाद विरोधी दिवस शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। आतंकवादी निर्दोष लोगों पर आपदा थोपते हैं क्योंकि उनका ब्रेन वॉश कर दिया जाता है। वे मानते हैं कि यह उनका धार्मिक उद्देश्य है या सिर्फ इसलिए कि उनके पास विवेक नहीं है। उनकी प्रेरणा कुछ भी हो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि उनकी गतिविधियां अनैतिक हैं।

इस दिन हमें उन हजारों सैनिकों और पुलिसकर्मियों द्वारा दिए गए बलिदानों को याद करते हैं जिन्होंने अपने देश और अपने लोगों की रक्षा के लिए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुये शहीद हो गये। पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक आत्मघाती बम विस्फोट में आतंकवादी समूह लिबरेशन ऑफ तमिल टाइगर्स ईलम (लिट्टे) की एक महिला द्वारा हत्या कर दी गई थी। महिला के कपड़ों के अन्दर विस्फोटक थे और वह राजीव गांधी के पास गई और उनके पैर छूने के लिए नीचे झुकी तब बम फट गया। जिससे उनकी और लगभग 25 अन्य लोगों की मौत हो गई थी। यह एक बहुत बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद था जिसने दुनियाभर के लागों के मन में डर पैदा किया था। 

देश में आतंकवाद पर अकुंश लगाने के उद्देश्य से 2 अप्रैल 2002 को टाडा के स्थान पर एक नया आतंकवाद निरोधी अधिनियम पोटा लागू किया गया। संसद के दोनो सदनों के संयुक्त अधिवेशन में 26 मार्च 2002 पारित होने के बाद 2 अप्रैल 2002 को राष्ट्रपति के अनुमोदन के साथ ही यह विधेयक एक अधिनियम पोटा के रूप में आस्तित्व में आया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 के खंड-3,4,5 तथा 6 में निवारक निरोध तत्सम्बन्धी प्रावधानों का उल्लेख है ।

आतंकवाद हिंसा का एक ऐसा गैर कानूनी तरीका है जो लोगों को डराने के लिए आतंकवादियों द्वारा प्रयोग किया जाता है। आतंकवाद को हिंसात्मक गतिविधि के रूप में परिभाषित किया जाता है जो कि अपने आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक एवं विचारात्मक लक्ष्यों की प्रतिपूर्ति के लिए गैर-सैनिक अर्थात नागरिकों की सुरक्षा को भी निशाना बनाते हैं। अपनी देश की सरकार से अपनी मांगे को पूरा करवाना ही आतंकवादियों का मुख्य लक्ष्य होता है। कई बार आतंकवादी हमले अपने वैचारिक और धार्मिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भी की जाती है।

राष्ट्र विरोधी लोगों द्वारा किये गए राजनीतिक, वैचारिक या धार्मिक हिंसा को भी आतंकवाद की श्रेणी का ही समझा जाता है। अब इसके तहत गैर-कानूनी हिंसा और युद्ध को भी शामिल कर लिया गया है। आतंकवादियों के पास कोई नियम और कानून नहीं होती है। यह लोग समाज और देश में आतंक के स्तर को बढ़ाने और भय उत्पन्न करने के लिए केवल हिंसात्मक गतिविधियों का सहारा लेते हैं। हमे आतंकवाद को पूरी तरह से खत्म करने के बारे में सोचना होगा और मन, मतिष्क और दुनिया से पूरी तरह आतंकवाद का सफाया करना होगा। सभी देशवासियों को एकजुट होकर आतंकवाद की समस्या का सामना करना होगा। आतंकवाद को खत्म करने के लिए प्रत्येक वर्ष 21 मई को इस पर चर्चा की जाती है और इस समस्या से निपटने के लिए उपाय सुझाये जाते है।

आतंकवाद विरोधी दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगो को आतंकवाद के प्रति जागरूक करना है और इससे बचने की तरकीबो को अवगत करना है। ताकि कभी कोई देशवासी आतंकवाद का शिकार न हो। भारत सरकार हिंसात्मक लोगो को आतंकवाद के प्रति सचेत रहने के लिए बचाव के उपाय बताती है। जिसके लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दिन लोगो के अंदर एकत्रित रहने की भावना को उत्पन्न किया जाता है। जिससे बड़ी से बड़ी परेशानी का सामना मिलकर आसानी से कर सके और आतंकवाद के खिलाफ चलाई गयी मुहीम के भागीदारी दे सके। आतंकवादी संगठन नौजवानो को अपने जाल में फसाने की साजिश में लगे रहते है नौजवानो का जीवन भी अपनी तरह अन्धकार में धकेलने की कोशिश करते है। ऐसी परिस्थियों से बचने के लिए भी नोजवानो के मन में देश पे्रम की भावना जगानी होगी। तभी हम देश को आतंकवाद की घटनाओं से बचा पायेगें।

रमेश सर्राफ धमोरा

(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार है। इनके लेख देश के कई समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहते हैं।)

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