World Hearing Day 2024: बड़े ही नहीं बच्चों में भी कम होती है सुनने की क्षमता, इन तरीकों से पेरेंट्स करें पहचान

World Hearing Day 2024
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हर साल 03 मार्च को वर्ल्ड हियरिंग डे यानी कि विश्व श्रवण दिवस मनाया जाता है। जिससे कि बहरेपन को रोका जा सके और कान व सुनने की क्षमता की देखभाल को बढ़ावा दिया जा सके। हम आपको बच्चों में बहरेपन के कारण, लक्षण और इसके इलाज के बारे में बताने जा रहे हैं।

हर साल 03 मार्च को वर्ल्ड हियरिंग डे यानी कि विश्व श्रवण दिवस मनाया जाता है। जिससे कि बहरेपन को रोका जा सके और कान व सुनने की क्षमता की देखभाल को बढ़ावा दिया जा सके। इस बार यानी की साल 2024 में वर्ल्ड हियरिंग डे की थीम- 'बदलती मानसिकता: कान और सुनने की देखभाल को सभी के लिए वास्तविकता बनाएं' रखी गई है। सुनने की क्षमता सिर्फ बड़ों ही नहीं बल्कि कई बार बच्चों में भी कम होती है। ऐसे में आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए बच्चों में बहरेपन के कारण, लक्षण और इसके इलाज के बारे में बताने जा रहे हैं।

कम सुनने वाले बच्चे

आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनियाभर में करीब 466 मिलियन लोगों को सुनने में दुर्बलता यानि बहरापन होता है। इनमें से 34 मिलियन बच्चे इस समस्या का शिकार होते हैं। हर 1,000 में से 1 बच्चा इस दुर्बलता के साथ जन्म लेता है। वहीं बचपन में सुनने की क्षमता की हानि 60% ऐसे कारणों से होती है, जिनको आसानी से टाला जा सकता है। ज्यादातर बहरे बच्चे अन्य बच्चों की तुलना में धीमी गति से भाषा विकसित करते हैं। साथ ही उनमें मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा भी अधिक होता है। 

वहीं गंभीर नुकसान के साथ जन्म लेने वाले बच्चे बोलने में विफल रहते हैं। वहीं पेरेंट्स बच्चे की इस समस्या को देर से समझ पाते हैं। यदि सुनने की क्षमता कम है, इस बात का जल्द पता चल जाए, तो बच्चों का जल्द ही इलाज करवाने से वह सुनना शुरू कर सकते हैं और बोली विकसित कर अन्य बच्चों की तरह सामान्य जीवन जी सकते हैं। सुनने की क्षमता प्रभावित होने का कारण आनुवांशिक भी हो सकता है। जैसे जन्म के समय समस्याएं, कान में पुराण संक्रमण, कुछ दवाओं का उपयोग, कुछ संक्रामक रोग, अत्यधिक शोर और निश्चित रूप से उम्र का बढ़ना।

बच्चों में बहरापन

जब बच्चा सुनने में दुर्बल होता है, तो ऐसी स्थिति बच्चे में भाषा, भाषण और अन्य सामाजिक कौशल को विकसित नहीं होने देता है। वहीं सुनने की क्षमता में कमी वाले बच्चों का जल्दी निदान नहीं किया जा सकता है। क्योंकि पेरेंट्स को इस बात का पता ही नहीं चलता है कि उनका बच्चा इस स्थिति से परेशान हैं। वहीं जब इसका पता चलता है और पेरेंट्स डॉक्टर के पास जाते हैं, तब तक इलाज में देर हो जाती है।

बहरेपन का कारण

सिर में चोट

सिर का आघात

नवजात पीलिया

न्यूरोलॉजिकल स्थितियां

जन्म के बाद जटिलताएं

गर्भावस्था के दौरान मातृ संक्रमण

सिर गर्दन, चेहरे या कान की विकृति

जन्म से पहले जैसे संक्रमण का एक्सपोजर

मेनिन्जाइटिस यानि मस्तिष्कावरण शोथ का इतिहास

शिशुओं को नवजात आईसीयू की आवश्यकता होती है या एनआईसीयू में रहते हुए जटिलताएं होती हैं

बहरेपन के लक्षण

बच्चे का 6 महीने की उम्र के बाद भी ध्वनि के स्त्रोत की तरफ रुख न करना

जोर की आवाज से शुरूआत न करना

एक साल की उम्र तक मामा व दादा जैसे शब्द न बोलना

नाम पुकारने पर प्रतिक्रिया न देना

इलाज

आपको बता दें कि जन्म के समय अस्पतालों में नवजात शिशुओं की यूनिवर्सल नियोनेटल स्क्रीनिंग की जाती है। वहीं बहरेपन के निदान के लिए ओटाकॉस्टिक उत्सर्जन स्क्रीनिंग टेस्ट किया जाता है। असामान्य OAE का पता चलने पर इसको 6 सप्ताह या पहले टीकाकरण पर फिर से दोहराया जाता है। ऑडिटरी ब्रेनस्टेम रिस्पांस टेस्ट या ब्रेनस्टेम ऑडिटरी एवोकड रिस्पॉन्स टेस्ट से गुजरना चाहिए।

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