आसमान में खाली उड़ते विमानों को कहा जाने लगा है घोष्ट फ्लाइट, जानें पूरा मामला

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यूरोपीय आयोग का नियम है कि आपको अगर अपने एयर स्पेस में जगह बनाए रखनी है तो उस एयरलाइंस कंपनी को कम से कम 50% विमानों का उपयोग करना जरूरी है। एयरलाइंस कंपनी पर कोरोना महामारी का बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। इसकी वजह से कम ही लोग सफर कर रहे हैं।

इन दिनों यूरोप के आसमान में ज्यादातर घोष्ट फ्लाइट नजर आ रही हैं। पढ़कर आप भी चौंक गए होंगे कि यह कौन सी फ्लाइट होती है। दरअसल यूरोप में अपने विमान के रूट बचाए रखने के लिए एयरलाइंस कंपनी को आधे से ज्यादा विमान उड़ाए रखने होते हैं। इसीलिए इस समय कंपनियों को बहुत सारे खाली विमानों को भी आसमान में उड़ाना पड़ रहा है। जिसे अब घोष्ट फ्लाइट कहा जाने लगा है।

यूरोपीय आयोग का नियम है कि आपको अगर अपने एयर स्पेस में जगह बनाए रखनी है तो उस एयरलाइंस कंपनी को कम से कम 50% विमानों का उपयोग करना जरूरी है। एयरलाइंस कंपनी पर कोरोना महामारी का बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। इसकी वजह से कम ही लोग सफर कर रहे हैं। बहुत सी फ्लाइट तो बिल्कुल खाली रह रही हैं। जबकि जिन फ्लाइट्स के टिकट भी मिल रहे हैं वह भी पूरी नहीं भर पाती।

जानकारी के अनुसार लुफ्थांसा ने चेतावनी दी है कि कुल एयर स्पेस का 5 से 6% जोकि 18000 फ्लाइट होंगी वह पूरी तरह से गैर जरूरी फ्लाइट होंगी। कंपनी ने कहा है कि इन फ्लाइट्स में इतने कम यात्री होंगे कि कंपनी को कोई भी कमाई नहीं होंगी। लुफ्थांसा ने पहले ही 33000 रास्तों से उड़ानों को हटाने की घोषणा कर दी है। अगर कोरोना महामारी बढ़ती है तो आने वाले वक्त में इन फ्लाइट्स के संचालन में और कमी आ सकती है।

महामारी को देखते हुए एयर स्पेस की अनिवार्यता को घटा दिया गया है। पहले कंपनियों को अपनी जगह बचाए रखने के लिए 80% जगह को यूज करना होता था लेकिन महामारी के समय इसे घटाकर 50% कर दिया गया। 2020 में जब कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी तो यूरोपीय कमीशन ने इस नियम को समाप्त कर दिया था। लेकिन फरवरी 2021 में इसे फिर से 50% जगह के प्रयोग के साथ लागू कर दिया गया था। विमानन कंपनियों के लिए इतने मुश्किल हालात है कि उन्हें यह 50% की सीमा भी बहुत ज्यादा लग रही है। कंपनियों द्वारा आयोग से इसे कम करने की मांग की जा रही है। इतना ही नहीं यूरोपीय संघ के कई देशों की ओर से इसे कम करने की मांग की जा रही है।

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