Rajasthan Sthapana Divas: राजाओं की भूमि रही है राजस्थान, आज 30 मार्च को मनाया जा रहा 75वां स्थापना दिवस

Rajasthan Sthapana Divas
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हर साल 30 मार्च को राजस्थान स्थापना दिवस मनाया जाता है। क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान देश का सबसे बड़ा और जनसंख्या की दृष्टि से 7वां सबसे बड़ा राज्य है। इस दिन राजस्थान के लोगों की वीरता, दृढ़ इच्छाशक्ति और बलिदान को नमन किया जाता है।

हर साल 30 मार्च को राजस्थान स्थापना दिवस मनाया जाता है। बता दें कि क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान देश का सबसे बड़ा और जनसंख्या की दृष्टि से सातवां सबसे बड़ा राज्य है। इस राज्य का कुल क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग किलोमीटर है। राजस्थान के शाब्दिक अर्थ पर ध्यान दिया जाए, तो इसका अर्थ राजाओं के स्थान से होता है। राजस्थान यानी की राजाओं की भूमि। देश की आजादी से पहले यहां तमाम राजा-महाराजाओं ने राज किया था।

राजस्थान स्थापना दिवस

वहीं इससे पहले इस राज्य को राजपूताना नाम से भी जाना जाता है। राजस्थान कुल 19 रियासतों को मिलाकर बना था। जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर 30 मार्च 1949 में 'वृहत्तर राजस्थान संघ' बनाया गया। आज के दिन यानी की 30 मार्च को राजस्थान के लोगों की वीरता, दृढ़ इच्छाशक्ति और बलिदान को नमन किया जाता है। इसलिए इस दिन को राजस्थान स्थापना दिवस भी कहा जाता है।

आपको बता दें कि राजस्थान राज्य की खासियत है कि यहां पर हर थोड़ी ही दूरी पर भाषा का अंदाज बदल जाता है। इसकी भाषा में संगीत, लोक गीत, नाटक, नृत्य, कथा और कहानी आदि उपलब्ध हैं। हांलाकि इस भाषा को संवैधानिक मान्यता नहीं मिली है। जिस वजह से इस भाषा को स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाता है। रंगीलो राजस्थान में कई तरह के व्यंजन, लोक नृत्य और अनेकों भाषाओं के मिश्रित समूह को राजस्थानी भाषा का नाम दिया गया है।

राजस्थान का इतिहास

प्राप्त जानकारी के मुताबिक प्रागैतिहासिक काल से ही राजस्थान का अस्तित्व मिलता है। मारवाड़, जयपुर, मेवाड़, बुंदी, कोटा, भरतपुर और अलवर बड़ी रियासतें थीं। राजस्थान में परमार, चौहान, राठौर और गहलोत वंशों का राज रहा है। यहां के इतिहास को मुगल और बाहरी आक्रमणों ने शौर्य गाथा से भर दिया। पृथ्वी राज और महाराणा प्रताप से लेकर राणा सांगा और राणा कुंभा जैसे शूरवीरों ने स्वाभिमान की जंग में राजस्थान के इतिहास को सहेज कर रखा। वहीं राजस्थान की धरती पर रणथंभौर, चित्तौड़, तराइन और खानवा से लेकर हल्दी घाटी जैसे कई ऐतिहासिक युद्ध भी लड़े गए।

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