National Science Day 2024: विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है

National Science Day
Prabhasakshi

विज्ञान से होने वाले लाभों के प्रति समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत कार्यरत राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद की पहल पर हर साल विज्ञान दिवस के दिन पूरे देश में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में आज भारत विश्व के चुनिंदा देशों में शामिल है, जिसने चंद्रयान और मंगलयान की सफलता सहित सर्न एवं तीस मीटर टेलिस्कोप जैसी अनेक अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं में सक्रिय भागीदारी से विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अपनी क्षमता का परिचय दिया है। 

वैज्ञानिक अनुप्रयोग के महत्व के संदेश को व्यापक तौर पर प्रसारित करने के लिए हर वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। इस आयोजन के द्वारा मानव कल्याण के लिए विज्ञान के क्षेत्र में घटित होने वाली प्रमुख गतिविधियों, प्रयासों और उपलब्धियों को प्रदर्शित किया जाता है। 

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विज्ञान से होने वाले लाभों के प्रति समाज में जागरूकता लाने और वैज्ञानिक सोच पैदा करने के उद्देश्य से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत कार्यरत राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद की पहल पर हर साल विज्ञान दिवस के दिन पूरे देश में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। वैज्ञानिकों के व्याख्यान, निबंध लेखन, विज्ञान प्रश्नोत्तरी, विज्ञान प्रदर्शनी, सेमिनार तथा संगोष्ठी इत्यादि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। 

हर वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की एक केन्द्रीय विषयवस्तु होती है, जिसके मुताबिक पूरे देश में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस साल की थीम ‘सतत् भविष्य के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी’ है। इस विषय पर पूरे देश के विद्यालयों, विज्ञान केंद्रों एवं विज्ञान संग्राहलयों आदि में व्याख्यान, परिचर्चाएं, प्रश्नोत्तरी, विज्ञान नाटक एवं चित्रकला जैसे अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का आयोजन महान भारतीय वैज्ञानिक सर सी.वी. रामन द्वारा अपनी खोज को सार्वजनिक किए जाने की स्मृति में किया जाता है। विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले रामन पहले एशियाई थे। उनका आविष्कार उनके ही नाम पर ‘रामन प्रभाव’ के नाम से जाना जाता है।

‘रामन प्रभाव’ की खोज की कहानी बड़ी रोचक है। 1920 के दशक में एक बार जब रामन जलयान से स्वदेश लौट रहे थे तो उन्होंने भूमध्य सागर के जल में उसका अनोखा नीला व दूधियापन देखा। कलकत्ता विश्वविद्यालय पहुंचकर रामन ने पार्थिव वस्तुओं में प्रकाश के बिखरने का नियमित अध्ययन शुरू किया। लगभग सात वर्ष बाद रामन अपनी उस खोज पर पहुंचे, जो 'रामन प्रभाव' के नाम से विख्यात हुई। इस तरह रामन प्रभाव का उद्घाटन हो गया। रामन ने 28 फरवरी, 1928 को इस खोज की घोषणा की थी। 

प्रकाश के प्रकीर्णन पर उत्कृष्ट कार्य के लिए वर्ष 1930 में उन्हें भौतिकी का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार दिया गया। उनके इस योगदान की स्मृति में वर्ष 1987 से प्रत्येक साल 28 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित व प्रेरित करना तथा जनसाधारण को विज्ञान एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों के प्रति सजग बनाना है। इस दिन सभी विज्ञान संस्थानों, जैसे राष्ट्रीय एवं अन्य विज्ञान प्रयोगशालाएं, विज्ञान अकादमियों, शिक्षा संस्थानों तथा प्रशिक्षण संस्थानों में विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग सहित अनेक सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाएं विज्ञान दिवस पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं। 

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