Valentine Week Special | जानें उन Love Stories के बारे में, जिन्हें भूल चुके हैं लोग

Love Stories For Valentine Day
Unsplash
रितिका कमठान । Feb 12 2024 1:22PM

वैलेंटाइंस वीक के दौरान आप उन प्रेम कहानियों के बारे में हर तरफ पढ़ रहे होंगे जो प्यार की मिसाल के तौर पर मशहूर हैं। वहीं कई ऐसी प्रेम कहानियां भी हैं जिनके बारे में लोग भूल चुके हैं। ये ऐसी प्रेम कहानियां रहीं हैं जो मिसाल के तौर पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुकी है।

भारत और दुनिया भर में प्यार का सप्ताह यानी वैलेंटाइंस वीक जारी है। इस वैलेंटाइंस वीक में दुनिया भर में रोज अलग अलग दिन पर प्यार का इज़हार किया जाएगा। वैलेंटाइंस वीक के दौरान आप उन प्रेम कहानियों के बारे में हर तरफ पढ़ रहे होंगे जो प्यार की मिसाल के तौर पर मशहूर हैं। वहीं कई ऐसी प्रेम कहानियां भी हैं जिनके बारे में लोग भूल चुके हैं। ये ऐसी प्रेम कहानियां रहीं हैं जो मिसाल के तौर पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुकी है। इनका प्यार मुकम्मल तो नहीं हुआ मगर इश्क पर मर मिटने वालों के तौर पर इन्हें याद किया जाता है।

रवींद्र नाथ टैगोर और विक्टोरिया ओकाम्पो

भारत के राष्ट्रगान के रचियता और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्र नाथ टैगोर के जीवन में भी ऐसी प्रेम कहानी थी जिसका अंत सुखद नहीं हुआ था। रवींद्र नाथ टैगोर को विक्टोरिया ओकाम्पो नाम की एक बेहद प्रतिभाशाली और खूबसूरत महिला से प्रेम था। ये महिला बाद में साहित्यित पत्रिका सुर की प्रकाशक भी बनीं। दोनों की मुलाकात काफी बाद में हुई। विक्टोरिया टैगोर की प्रशंसक तो थी ही साथ ही उनसे प्यार भी करती थी। टैगोर को भी उनसे प्यार था मगर दोनों ने सार्वजनिक रूप से इस प्यार को स्वीकार नहीं किया। विक्टोरिया इसे रुप देना चाहती थी मगर टैगोर ने ऐसा नहीं किया और ये रिश्ता बौद्धिक स्तर पर ही रहा। दोनों ने अपनी भावनाओं को दूर रखा और कभी प्रेमपूर्ण जीवन नहीं जीया। टैगोर अपने जीवन के अंतिम दिनों में विक्टोरिया को देख भी नहीं सके।

बाज बहादुर और रुपमति

बाज बहादुर, जो की मालवा साम्राज्य के अंतिम स्वतंत्र शासक थे। वहीं जबकि रूपमती एक प्रतिभाशाली गायिका और कवयित्री थीं। वे मध्य प्रदेश के मांडू में मिले और प्यार हो गया। रूपमती की मंत्रमुग्ध कर देने वाली आवाज ने बाज बहादुर को मंत्रमुग्ध कर दिया और मांडू की प्राकृतिक सुंदरता के बीच एक-दूसरे के लिए उनका प्यार खिल उठा। हालाँकि उनकी कहानी समाप्त हो गई जब मुगल सम्राट अकबर ने मांडू पर हमला किया, जिससे वे अलग हो गए।

जहां आरा और निकोलस वैलेंटाइन

शाहजहां और मुमताज महल की प्रेम की दास्तां ताजमहल है, जिसे पूरी दुनिया जानती है। उनकी बड़ी बेटी जहां आरा की प्रेमगाथा काफी अलग है। शाहजहां के पिता सम्राट जहांगीर के दरबार में पूर्व राजदूत सर थॉमस रॉ के नीचे निकोलस बैलेंटाइन काम करते थे। कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि निकोलस बैलेंटाइन और साम्राज्य की प्रथम महिला जहान आरा के बीच खास संबंध था। शाही महिला के लिए गैर शाही और विदेशी पुरुष से मिलना वैसे तो वर्जित था मगर जहां आरा और निकोलस एक दूसरे से मिलते थे। दोनों के बीच पत्रों का आदान प्रदान भी होता था। मगर दोनों के बीच प्यार परवान चढ़ता या किसी नतीजे पर पहुंचता उससे पहले निकोलस लंदन चले गए और कभी लौटकर नहीं आए।

शरत चंद्र चट्टोपाध्याय और धीरू कालिदासी

अगर आपको लगता है कि शाहरुख खान या दिलीप कुमार ही असली देवदास थे तो ऐसा नहीं है। शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास देवदास में एक बर्बाद प्रेमी की कहानी दिखाई गई है, मगर इसकी वास्तविक कहानी भी है। दरअसल पहले उपन्यास में और फिर पर्दे पर दिखाई गई कहानी देवदास की असली कहानी शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के जीवन की ही कहानी है। उपन्यास देवदास में उन्होंने अपने ही जीवन की कहानी को लिखा है। शरत चंद्र चट्टोपाध्याय की बचपन की प्रेमिका धीरू ने किसी और से शादी कर ली थी। ऐसा कहा जाता है कि शरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने अपनी प्रेमिका की झलक पाने के लिए उसके ससुराल के बाहर एक अस्तबल में तीन रातें बिताई थी। हालांकि फिल्म की तरह असल जीवन में उनकी कहानी का अंत दुखद नहीं था।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़