बीसीसीआई के सामने स्पॉन्सरशिप को लेकर बड़ी चुनौती, वीवो ने आईपीएल स्पॉन्सरशिप से खींचे हाथ

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वीवो आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सर थी और उसका आईपीएल से साथ पाँच साल (2017 - 2021) का 220 करोड़ का करार था। लेकिन भारत में चीनी सामान के बहिष्कार और आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के आईपीएल टूर्नामेंट में चीनी कंपनियों के साथ बने रहने के फैसले पर बढ़ते विरोध के चलते वीवो ने यह फैसला लिया है।

भारत-चीन सीमा विवाद का असर आईपीएल भी पड़ रहा है। चीनी मोबाइल कंपनी वीवो ने खुद को आईपीएल से अलग कर लिया है। वीवो ने फैसला लिया है कि इस साल वह आईपीएल को स्पॉन्सर नहीं करेगी। आपको बता दें कि वीवो आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सर थी और उसका आईपीएल से साथ पाँच साल (2017 - 2021) का 220 करोड़ का करार था। लेकिन भारत में चीनी सामान के बहिष्कार और आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के आईपीएल टूर्नामेंट में चीनी कंपनियों के साथ बने रहने के फैसले पर बढ़ते विरोध के चलते वीवो ने यह फैसला लिया है। फिलहाल बीसीसीआई के पास अब कोई टाइटल  स्पॉन्सर नहीं है।


चीनी प्रायोजकों को ना हटाने पर चल रहा था विरोध

19 सितंबर को यूएई में होने वाले आईपीएल टूर्नामेंट में चीनी कंपनियों के साथ बने रहने के फैसले पर देशभर में बीसीसीआई और आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के खिलाफ विरोध चल रहा था। आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के वीवो को टाइटल स्पॉन्सर बनाए रखने के फैसले का स्वदेशी जागरण  मंच विरोध कर रही थी। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर भी इस फैसले की कड़ी आलोचना की गई थी। स्वदेशी जागरण  मंच ने कहा था कि जिस तरह से चीन ने भारत-चीन सीमा पर हिंसा की है उसके बाद किसी भी चीनी कंपनी का साथ देना भारतीय सैनिकों का अपमान करना होगा।

 

क्या होगा वीवो के इस फैसले का असर?

बीसीसीआई को टाइटल स्पॉन्सरशिप से काफी पैसा मिलता है। ऐसे में वीवो के आईपीएल से अलग होने के कारण बोर्ड को बड़ा नुकसान हो सकता है। इसके साथ ही आईपीएल को अब कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं, ऐसे में बोर्ड के सामने नए टाइटल स्पॉन्सर्स ढूंढ़ने की भी चुनौती है।

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