महाभियोग प्रस्ताव क्या होता है? कैसे हो सकता है संसद में पारित?
कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने आज देश के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने का नोटिस राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू को सौंप दिया।
कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने आज देश के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने का नोटिस राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू को सौंप दिया। विपक्ष का आरोप है कि अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने संवैधानिक आदर्शों का उल्लंघन किया। महाभियोग नोटिस पर 71 सांसदों ने हस्ताक्षर किया था, लेकिन उनमें से अब सात सेवानिवृत्त हो चुके हैं, इसलिए संख्या 64 रह गयी है। हालांकि राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए हस्ताक्षर करने वाले सांसदों की न्यूनतम संख्या 50 होनी चाहिए। आइए समझते हैं देश के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव से जुड़ी कुछ बड़ी बातें कि आखिर यह है क्या और कैसे पास होता है?
-आज तक महाभियोग से कोई न्यायाधीश हटाया नहीं गया।
-महाभियोग प्रस्ताव लोकसभा में लाने के लिए 100 और राज्यसभा में लाने के लिए 50 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी हैं।
-महाभियोग प्रस्ताव पर लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति करते हैं स्वीकार या अस्वीकार करने का फैसला।
-यदि प्रस्ताव स्वीकार होता है तो तीन सदस्यों की कमेटी बनाई जाती है।
-इस कमेटी में उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश होते हैं।
-यह कमेटी न्यायाधीश पर लगाये गये आरोपों की जाँच करती है।
-यदि जाँच कमेटी को आरोपों में दम लगता है तभी महाभियोग प्रस्ताव पर संसद में बहस हो सकती है।
-संसद के दोनों सदनों में इस प्रस्ताव का दो तिहाई बहुमत से पारित होना जरूरी है।
-संसद में महाभियोग प्रस्ताव यदि पारित हो जाता है तो फिर हस्ताक्षर के लिए राष्ट्रपति को भेजा जाता है।
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