नारी और पुरुष के बीच आकर्षण को ही प्यार नहीं कह सकते

Can not love the attraction between woman and man
ईशा । Feb 8 2018 4:20PM

प्रेम जीने की वजह बनता है, यह अच्छी बात है मगर कोई अपने मिशन को ही लक्ष्य बना कर उससे ही प्रेम करे तो वह न केवल अपने परिवार के लिए बल्कि समाज और देश के लिए बहुत कुछ कर सकता है।

प्रेम जीने की वजह बनता है, यह अच्छी बात है मगर कोई अपने मिशन को ही लक्ष्य बना कर उससे ही प्रेम करे तो वह न केवल अपने परिवार के लिए बल्कि समाज और देश के लिए बहुत कुछ कर सकता है। प्यार का अहसास निश्चित तौर से अनोखा होता है, इसे हर कोई जीवन में महसूस करता है। मगर यह प्रेम सकारात्मक हो तो जहां परिवार को खुशियां मिलती हैं वहीं प्रेमी हृदय भी आह्लादित होता है मगर जब प्रेम में नकारात्मक पक्ष आ जाता है, तो हमें उसका विकृत रूप ही देखने को मिलता है। मगर इसमें जब सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है तो युवा अपना लक्ष्य हासिल कर लेते हैं चाहे वह जीवनसाथी के रूप में हो या समाज को किसी भी रूप में अपना योगदान देने के रूप में।

नारी और पुरुष में आकर्षण को प्यार नहीं कह सकते। यह प्रकृति के अनुरूप और स्वाभाविक रूप से होता है। मगर उनका आकर्षण जब रिलेशन में बदलने लगे तो यह देखा जाता है कि वह कितना सहज और एक दूसरे के अनुकूल है। यानी माता-पिता से प्यार, भाई-बहन से प्यार, पति-पत्नी से प्यार और युवाओं में सहज प्रेम संबंध प्राकृतिक ही है। मगर आज ऐसे लोग कम होंगे जो रोते हुए बच्चे को हंसाने का जज्बा रखते हों या मुसीबत में पड़े लोगों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाने का माद्दा रखते हैं।

लिहाजा प्रेम का स्वरूप संकुचित नहीं होना चाहिए। यानी जब आप प्रकृति से, मनुष्यता से, इंसानियत से और जब सभी सहज रिश्तों को निभाते हुए अपने लक्ष्य से प्रेम करते हैं तो वह व्यापक रूप ले लेता है। आज जब रिश्तों की हर डोर कमजोर हो रही है, तो ऐसे में प्रेम के व्यापक अर्थ को समझने की जरूरत है।

जीवन में आपसी संबंध को नाम दे देना ही प्यार नहीं होता। किसी से प्रेम हो जाना और उसे हासिल कर लेना ही प्यार नहीं है।

आप इसे निभाते किस रूप में हैं यह भी महत्व रखता है। अगर सामाजिक मान्यता हासिल है तो वह प्रेम जरूर है मगर वही प्रेम असामाजिक हो तो भी प्रेम अवश्य है मगर वह बहुत दूर तक नहीं जाता यानी इस प्रेम की उम्र लंबी नहीं होती। यह खुद को खुशी तो देता है मगर वास्तव में यह प्रेम खुदकुशी का रूप ले लेता है।

सड़क पर चलते हुए, ऑफिस में या फिर बस, मेट्रो, ट्रेन में जब भी आप किसी की मदद के लिए आगे आते हैं तो सिर्फ अपनी सहानुभूति नहीं दर्शाते बल्कि अपना मानवीय प्यार ही दिखाते हैं। सही मायने में देखा जाए तो अगर हम हर किसी असहाय की मदद के लिए आगे बढ़ते हैं तो यकीन मानिए कि आप इंसानियत से ही प्रेम करते हैं।

किसी वस्तु के प्रति भी आपका प्रेम, उसे पा लेने की चाह मन में जगा देता हैं और जब वह चीज आप पा लेते हैं तो आपको बेहिसाब खुशी देता है। मगर यह प्रेम का वायवीय रूप ही है। मगर इस प्रेम की उम्र भी लंबी नहीं। यानी स्थायी प्रेम नहीं है।

कई लोगों का जुनून सिर्फ व्यक्ति विशेष के प्रति नहीं होता बल्कि लक्ष्य प्राप्ति के लिए होता है। राष्ट्रपति महात्मा गांधी को अपने देश से बेइंतहा प्यार था। वे इसे आजाद देखना चाहते थे और उनके इसी जुनून ने हमें आजादी दिलाई। सुरों की रानी लता मंगेशकर ने अपना सारा जीवन संगीत को दे डाला। यह उनका संगीत के प्रति अनुराग था। सचिन तेदुंलकर ने किक्रेट जगत से संन्यास ले लिया पर हर मैच के दौरान उनका किक्रेट के प्रति प्रेम और जुनून झलकता था। यानी अपने लक्ष्य से प्यार करने वाले एक न एक दिन मुकाम हासिल कर लेते हैं।

आप चाहे किसी व्यक्ति से प्यार करें या अपने लक्ष्य से अगर उसके प्रति आप में जुनून हैं, तो आप उसे पा ही लेते हैं।

किसी भी शख्सियत की बात करें तो अपने काम के प्रति प्रेम ही उन्हें दूसरे लोगों से अलग बनता हैं। बड़े-बड़े वैज्ञानिकों की बात करें या फिर हमारे देश के व्यक्ति विशेष की हर कोई अपने क्षेत्र में अगर सफलता हासिल करता है, तो यही कहा जाता है कि वह अपने काम से बेहद प्यार करता था और वह हमेशा उन काम के प्रति ईमानदार रहा।

प्यार की राह कठिनाइयों से भरी है। इसमें हमेशा उतार-चढ़ाव देखना पड़ता है। पह कहते हैं यह प्यार का अहसास ही है तो इसके प्रति जुनून पैदा करता है। फिर हर राह आसान हो जाती है। तब अपने लक्ष्य तक कोई भी पहुंच जाता है।

- ईशा

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