कवर्धा के भोरमदेव मंदिर में करें शिवलिंग के दर्शन, पूरी होगी हर मुराद

Bhoramdeo Temple is a complex of Hindu temples dedicated to the god Shiva
कमल सिंघी । Nov 21 2017 12:48PM

छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में 10वीं सदी के भोरमदेव मंदिर में शिवलिंग के दर्शन के बाद सुकून मिलता है। मंदिर देवताओं और मानव आकृतियों की उत्कृष्ट नक्काशी के साथ मूर्तिकला के चमत्कार के कारण सभी की आंखों का तारा है।

कवर्धा। छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में 10वीं सदी के भोरमदेव मंदिर में शिवलिंग के दर्शन के बाद सुकून मिलता है। मंदिर देवताओं और मानव आकृतियों की उत्कृष्ट नक्काशी के साथ मूर्तिकला के चमत्कार के कारण सभी की आंखों का तारा है। यहां पूजन करने के लिए हर वर्ष देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं। भगवान शिव को स्थानीय बोलचाल की भाषा में भोरमदेव भी कहते हैं। मंदिर के गर्भगृह में मुख्य प्रतिमा शिवलिंग की है। भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 130 किमी दूर और कवर्धा जिले से 17 किमी दूरी पर स्थित है। धार्मिक मान्यता है कि इस मंदिर का नाम भगवान शिव पर है। यह मंदिर प्राकृतिक परिवेश में बसा हुअ है, इसलिए यहां के नजारे का स्वर्ग-सा आकर्षण है। मैकल की पहाड़ियां यहां एक शानदार पृष्ठभूमि का निर्माण करती हैं।

यहां की प्रतिमाओं के सुंदर मनोहरी उदाहरण भोरमदेव में धर्म और आध्यात्म आधारित कला प्रतीकों के साथ-साथ लौकिक जीवन के विविध पक्ष मुखरित हैं। भोरमदेव गोंड जाति के उपास्य देव हैं, जो महादेव शिव का एक नाम है। भगवान शिव को स्थानीय बोलचाल की भाषा में भोरमदेव भी कहते हैं। मंदिर के गर्भगृह में मुख्य प्रतिमा शिवलिंग की है। मंदिर के जंघाभाग में देवी-देवताओं की प्रतिमाएं उत्कीर्ण हैं। जिसमें विष्णु, शिव, चामुण्डा, गणेश आदि की सुंदर प्रतिमाएं उल्लेखनीय हैं। चतुर्भुज विष्णु की स्थानक प्रतिमा, लक्ष्मी नारायण की बैठी हुई प्रतिमा एवं छत्र धारण किए हुए द्विभुजी वामन प्रतिमा, वैष्णव प्रतिमाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं। अष्टभुजी चामुण्डा एवं चतुर्भुजी सरस्वती की खड़ी हुईं प्रतिमाएं देवी प्रतिमाओं का सुंदर उदाहरण हैं। अष्टभुजी गणेश की नृत्यरत प्रतिमा, शिव की

चतुर्भुजी प्रतिमाएं, शिव की अर्धनारीश्वर रूप वाली प्रतिमा, शिव परिवार की प्रतिमाओं के सुंदर मनोहरी उदाहरण यहाँ हैं।

आंखों का तारा है भोरमदेव मंदिर

भोरमदेव का मंदिर 7वीं से 10वीं सदी का है। मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका नाम गोंड राजा भोरमदेव के नाम पर पड़ा है। स्थानीय किस्सों के अनुसार इस मंदिर को राजा ने ही बनवाया था। मंदिर के गर्भगृह में एक मूर्ति है, जो मान्यता के अनुसार राजा भोरमदेव की है, हालांकि इसे सिद्ध करने के लिए कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। शिव मंदिर सभी की आंखों का तारा है। यहां राज्य सरकार द्वारा विशेष रूप से भोरमदेव महोत्सव, मार्च के अंतिम सप्ताह अथवा अप्रैल के पहले सप्ताह में आयोजित किया जाता है। इस उत्सव का हिस्सा बनने के लिए देश भर से बड़ी संख्या

में लोग इस गांव में आते हैं।

आवास व्यवस्था-

भोरमदेव एवं सरोदादादर में पर्यटन मंडल का विश्राम गृह एवं निजी रिसॉर्ट उपलब्ध है तथा कवर्धा (17 किमी) में विश्राम गृह एवं निजी होटल्स उपलब्ध हैं।

मंदिर तक कैसे पहुंचें- 

वायु मार्ग- रायपुर (134 किमी) निकटतम हवाई अड्डा है, जो मुंबई, दिल्ली, नागपुर, हैदराबाद, कोलकाता, बेगलुरु, विशाखापट्नम एवं चैन्नई से जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग- हावड़ा-मुंबई मुख्य रेल मार्ग पर रायपुर (134 किमी) समीपस्थ रेलवे जंक्शन है।

सड़क मार्ग- रायपुर (116 किमी) एवं कवर्धा (18 किमी) से दैनिक बस सेवा एवं टैक्सियां उपलब्ध हैं।

- कमल सिंघी

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