Shrinathji Temple: औरंगजेब से जुड़ी है नाथद्वार के श्रीनाथजी मंदिर का इतिहास, जानिए ये दिलचस्प किस्सा

Shrinathji Temple
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श्रीनाथजी को भगवान श्रीकृष्ण का बाल स्वरूप माना जाता है और देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए यहां आते हैं। बता दें कि यहां पर श्रीनाथजी भगवान को यहां पर बाल स्वरूप में पूजा जाता है।

राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में स्थित राजसमंद जिले का एक छोटा सा शहर नाथद्वार है। लेकिन इस शहर की काफी धार्मिक महत्ता काफी ज्यादा है, यह देशभर में काफी फेमस है। इस शहर का मुख्य आकर्षण का केंद्र श्रीनाथजी मंदिर है। श्रीनाथजी को भगवान श्रीकृष्ण का बाल स्वरूप माना जाता है और देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए यहां आते हैं। बता दें कि यहां पर श्रीनाथजी भगवान को यहां पर बाल स्वरूप में पूजा जाता है।

नाथद्वार में स्थित श्रीनाथजी मंदिर में करीब 8 बार भगवान की अलग-अलग प्रकार की पूजा की जाती है। श्रद्धालुओं का मानना है कि श्रीनाथजी भगवान सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। फिर चाहे वह गरीब हो या अमीर, इस मंदिर में हर कोई अपनी मनोकामना लेकर दर्शन के लिए आता है। श्रीनाथजी नाथद्वार में एक भव्य हवेली में विराजमान है। इस हवेली को मेवाड़ के तत्कालीन महाराणा राज सिंह ने बनवाया था। इस हवेली की वास्तुकला देखने लायक है और यह हवेली मेवाड़ की शान का प्रतीक है। 

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श्रीनाथजी मंदिर की कहानी मुगल बादशाह औरंगजेब के समय से जुड़ी है। औरंगजेब ने अपने शासनकाल में देश के कई हिंदू मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया था। उस दौरान मथुरा में बनी भगवान श्रीकृष्ण की बाल स्वरूप वाली मूर्ति को सुरक्षित रखने के लिए दूर ले जाया गया था। इस मूर्ति को मेवाड़ लाया गया था और यहीं पर श्रीनाथजी मंदिर बनवाया गया। हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए यह मंदिर आज भी एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है।

मेवाड़ में वैष्णव संप्रदाय के लोगों द्वारा यह मूर्ति लाई गई थी। उस दौरान मेवाड़ के तत्कालीन शासक महाराणा राज सिंह ने मुगल सम्राट औरंगजेब से मूर्ति की रक्षा किए जाने जा आश्वासन दिया था। जिसके बाद मेवाड़ में इस मूर्ति की पूजा-अर्चना की शुरूआत हुई। बताया जाता है कि यह मूर्ति लाने के दौरान जिस स्थान पर बैलगाड़ी रुक गई थी, उसी स्थान पर एक भव्य हवेली का निर्माण श्रीनाथजी भगवान के लिए किया गया था।

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