आइए जानते हैं कैसा किया जाता है हॉरर फिल्मों में मेकअप

know-how-to-do-makeup-in-horror-movies
मिताली जैन । Jun 13 2019 10:14AM

हॉरर फिल्मों के कैरेक्टर को तैयार करना महज कुछ घंटों का काम नहीं है। इसमें एक सप्ताह से लेकर पंद्रह दिन यहां तक कि महीनों भी लग जाते हैं। मसलन, अगर सिर्फ फेस को हॉरर बनाना है तो इसमें एक सप्ताह से पंद्रह दिन लगते हैं, वहीं अगर पूरा कैरेक्टर ही हॉररफुल होगा तो इसमें एक महीना भी लगता है।

हॉरर फिल्मों को देखने का रोमांच अलग ही होता है। ऐसी फिल्में आपको ऐसी दुनिया की सैर कराती हैं, जिन्हें बारे में व्यक्ति सपने में सोचकर भी सिहर उठता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन डरावने किरदारों को वास्तविक रूप देने का काम मेकअप आर्टिस्ट घंटों की मेहनत के बाद करते हैं। अमूमन लोग मानते हैं कि कैमरे के कमाल, स्पेशल इफेक्ट या वीडियो एडिटिंग के जरिए हॉरर फिल्मों को तैयार किया जाता है। लेकिन इसमें मेकअप का भी उतना ही महत्वपूर्ण रोल होता है। इस तरह की फिल्मों का मेकअप अन्य फिल्मों की अपेक्षा काफी अलग और बेहद खास होता है। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में−

इसे भी पढ़ें: खरबूजे के बीज से खूबसूरती निखारने के लिए ऐसे करें इस्तेमाल

होता है प्रोस्थेटिक मेकअप

हॉरर फिल्मों का मेकअप प्रोस्थेटिक या स्पेशल इफेक्ट मेकअप होता है। यह बेहद कठिन मेकअप होता है और इसके लिए बेहद क्रिएटिविटी की जरूरत होती है। इस मेकअप में पहले कैरेक्टर को डिजाइन किया जाता है, अर्थात कैरेक्टर को क्या बनाना है या कैसा दिखाना है। इसके लिए पहले उसे स्केच किया जाता है। 

लाइफकास्ट से मिलता है रूप

उसके बाद जिस भी स्टार के चेहरे पर वह मेकअप तैयार करना है, उसका एक लाइफकास्ट किया जाता है। यह एक पूरा प्रोसेस होता है, जिसमें उस स्टार के चेहरे को पहले एक स्टोन पर उतारा जाता है। उसके बाद उसकी स्कैल्पिंग की जाती है। स्कैल्पिंग के बाद उसको एक आकृति दी जाती है। इसमें उस कैरेक्टर को जो रूप देना होता है, उसकी आकृति दी जाती है। इसके बाद उस पर प्रोस्थेटिक या स्पेशल इफेक्ट दिया जाता है।

इसे भी पढ़ें: आंवले का करें ऐसे इस्तेमाल, स्किन की कई समस्याएं होंगी दूर

चंद घंटों का नहीं है काम

हॉरर फिल्मों के कैरेक्टर को तैयार करना महज कुछ घंटों का काम नहीं है। इसमें एक सप्ताह से लेकर पंद्रह दिन यहां तक कि महीनों भी लग जाते हैं। मसलन, अगर सिर्फ फेस को हॉरर बनाना है तो इसमें एक सप्ताह से पंद्रह दिन लगते हैं, वहीं अगर पूरा कैरेक्टर ही हॉररफुल होगा तो इसमें एक महीना भी लगता है। यह पूरा लैब वर्क होता है और एक मेकअप आर्टिस्ट कैरेक्टर को तैयार करने के लिए दिन के चार से पांच घंटा खर्च करता ही है। 

शूटिंग पर होता है इस्तेमाल

महीनों की मेहनत के बाद मास्क तैयार होता है, उसे शूटिंग के दिन इस्तेमाल किया जाता है। यह मास्क केवल एक बार ही इस्तेमाल किया जाता है। उसके बाद मास्क को दोबारा तैयार करना पड़ता है। लेकिन इसके लिए बार−बार लाइफकास्ट करने की आवश्यकता नहीं होती। उस लाइफकास्ट पर ही दोबारा कोई भी मास्क बनाया जा सकता है। हॉरर फिल्मों में सभी किरदारों के लाइफकास्ट अलग−अलग होते हैं। मेकअप आर्टिस्ट उन लाइफकास्ट पर कहानी की डिमांड के आधार पर मास्क तैयार करते हैं। इतना ही नहीं, कहानी के अलग−अलग मोड़ पर उन किरदारों के मास्क में बदलाव भी किया जाता है।

इसे भी पढ़ें: गर्मियों में निखरी त्वचा के लिए डायट में शामिल करें यह चीज़ें

होता है रियलिस्टिक

प्रोस्थेटिक मेकअप की खासियत यह होती है कि यह मेकअप एकदम रियलिस्टिक होता है। परदे पर तो वह किरदार प्रोस्थेटिक मेकअप के कारण वास्तविक नजर आते हैं ही, साथ ही अगर आप उन्हें ऑफ कैमरा भी देखते हैं तो वह एकदम असली दिखाई देते हैं।

मिताली जैन 

एफ एक्स प्रोस्थेटिक मेकअप आर्टिस्ट रिया वशिष्ट से बातचीत पर आधारित

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़