इंसानी साहस और सच का तानाबाना हैं पुरबाशा घोष की बुक 'एनाटोमी ऑफ़ ए हाफ ट्रुथ'

Purbasha Ghosh
Newshelpline
Newshelpline । Apr 18 2024 6:57PM

यह उपन्यास कॉर्पोरेट और सामाजिक नीतियों पर भी शक्तिशाली व्यंग्य करता है, जो शिष्ट समाज के पाखंड और धोखे पर प्रकाश डालती हैं, जिसे हम अक्सर अनदेखा कर जाते हैं. लेकिन घोष ने इन मुश्किल विषय को बहुत चतुराई, कुशलता और सटीकता के साथ अपनी कहानी में बुना है।

लीडस्टार्ट द्वारा प्रकाशित पुरबाशा घोष की "एनाटॉमी ऑफ ए हाफ ट्रुथ" एक मास्टरपीस हैं, जो इंसानी सोच, जीवन, और प्रेम की जटिलताओं की परते खोलती हैं और हमारा सामना सच से करवाती हैं। घोष ने अपनी भाषा और कल्पना से एक अद्भुत तानाबान बुना हैं, जिसमे किरदार अपने भीतरी तनाव, रिश्तो की जटिलता और सामाजिक अपेक्षाओं की उथल पुथल से जूझ रहे होते हैं। 

इस उपन्यास की सबसे बड़ी ताकत है इसकी भाषा या कहे बात को कहने का तरीका, जिससे रीडर्स ना सिर्फ कहानी और पात्रो से रिलेट कर पाते हैं, बल्कि वह इसके बारे में सोचने पर भी मजबूर हो जाते हैं. घोष अपने शब्दों के साथ एक ऐसी दुनिया को जीवंत करती हैं, जिसके बारे में हम सभी जानते हैं, लेकिन कभी उसके बारे में कभी सोचा नहीं हैं, कहानी का हर किरदार अपने आंतरिक संघर्ष से जूझ रहा हैं, और कुछ पन्ने पढ़ने के बाद हम भी उसी संघर्ष का हिस्सा बन जाते हैं, और यही इस बुक की खासियत हैं, इसकी सरलता और सच्चाई! 

इस उपन्यास का प्लाट बेहद रोमांचक हैं, जो परत-दर-परत खुलता चला जाता हैं, प्रत्येक पृष्ठ के पलटने के साथ कुछ नया और रहसमयी खुल कर सामने आता हैं, घोष अपने शब्दो  के साथ ना सिर्फ हमारे प्रेजेंट बल्कि अतीत के बारे में कुछ खुलासे करती हैं, जिससे हम अपनी और किरदारों की पीड़ा, हमारे अस्तित्व और माता-पिता के प्रभाव को हमारे जीवन पर समझ पाते हैं, बुक में दो अहम् किरदार जिनका नाम कृति और चाहेक हैं, और हम इन दोनों के जरिये अनाचार और मानसिक बीमारी जैसे कलंकित विषयों के बारे में अच्छे से जान पाते है।

यह उपन्यास कॉर्पोरेट और सामाजिक नीतियों पर भी शक्तिशाली व्यंग्य करता है, जो शिष्ट समाज के पाखंड और धोखे पर प्रकाश डालती हैं, जिसे हम अक्सर अनदेखा कर जाते हैं. लेकिन घोष ने इन मुश्किल विषय को बहुत चतुराई, कुशलता और सटीकता के साथ अपनी कहानी में बुना है। 

"एनाटॉमी ऑफ ए हाफ ट्रुथ" कहानी की एक शुरुवात हैं, यह एक मनोरंजक और विचारोत्तेजक उपन्यास है जो पाठकों को उनकी सोच पर सवाल उठाने को मजबूर करती हैं!

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