फिल्म उद्योग में क्या विदेशियों के हाथों अपनी नौकरी गंवा रहे हैं भारतीय ?

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फिल्म उद्योग में विदेशी कलाकारों, तकनीशियनों आदि को नियुक्त करने का बढ़ता चलन क्या उनके भारतीय समकक्षों की नौकरियां छीन रहा है?फिल्म यूनियन के नेताओं का कहना है कि यह खतरा वास्तविक है।

मुंबई। फिल्म उद्योग में विदेशी कलाकारों, तकनीशियनों आदि को नियुक्त करने का बढ़ता चलन क्या उनके भारतीय समकक्षों की नौकरियां छीन रहा है? फिल्म यूनियन के नेताओं का कहना है कि यह खतरा वास्तविक है। उन्होंने यह भी दावा किया कि बॉलीवुड में काम करने वाले कई विदेशियों के पास काम करने के लिए उपयुक्त ‘वर्क वीजा’ नहीं है और मुंबई पुलिस शायद ही कभी इनके खिलाफ कार्रवाई करती है।

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भारतीय फिल्म उद्योग सिनेमेटोग्राफी, निर्देशन, फिल्म निर्माण, पटकथा-लेखन, और जूनियर कलाकारों तथा नर्तकियों के तौर पर विदेशी प्रतिभाओं को तेजी से भर्ती कर रहा है। उल्लेखनीय है कि इनमें से ज्यादातर विदेशी नागरिकों को ब्रिटेन, रूस और उज्बेकिस्तान जैसे देशों से निकाल दिया गया है। फिल्म कर्मचारियों के संघ (यूनियन) और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने दावा किया कि बॉलीवुड में बड़ी संख्या में विदेशियों को जूनियर अभिनेता, मेकअप आर्टिस्ट, हेयर स्टाइलिस्ट, डांसर, एक्शन निर्देशक, स्टंटमैन, पोशाक डिजाइनर, कला निर्देशक और तकनीशियन के रूप में काम पर रखा जा रहा है।

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यूनियन के एक नेता ने कहा, हम सभी जानते हैं कि प्रति वर्ष निर्मित फिल्मों की संख्या के संबंध में भारतीय फिल्म और विज्ञापन उद्योग दुनिया में शीर्ष स्थान पर रहे हैं। वार्षिक कारोबार 2.7 अरब डालर तक आंका गया है।’’ उन्होंने कहा कि भारतीय सिनेमा विभिन्न क्षेत्रीय के फिल्म उद्योगों से मिलकर बना है जो बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देते हैं। हालांकि, भारतीय फिल्म उद्योग को अब एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें विदेशी अपने भारतीय समकक्षों की जगह ले रहे हैं। इनमें से कई विदेशी वीजा मानदंडों का उल्लंघन करते हुए भारत में अवैध रूप से काम कर रहे हैं।

उन्होंने सवाल किया कि जिस तरह से पाकिस्तानी अभिनेताओं और तकनीशियनों को भारतीय फिल्म उद्योग में काम करने की अनुमति नहीं है, उसी तरह से विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए। फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (एफडब्ल्यूआईसीई) के अध्यक्ष अशोक दुबे ने पीटीआई- से कहा कि वह विदेशियों को काम पर रखने की अनुमति नहीं देते हैं। उन्होंने आरोप लगाया, निर्माताओं द्वारा इन्हें काम पर रखा जाता है। दुर्भाग्य से, हमारे लोग रोजगार के अवसर खो रहे हैं। भारतीय फिल्म उद्योग में काम करने वाले लगभग 90 प्रतिशत विदेशी उपयुक्त वर्क वीजा के बिना अवैध रूप से काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, हमने इस मुद्दे (अवैध रूप से काम कर रहे विदेशियों) के बारे में कई बार मुंबई पुलिस से शिकायत की थी, लेकिन उन्होंने हमारी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया और कार्रवाई नहीं की। इसके उलट मुझे चार प्राथमिकियों का सामना करना पड़ा। भाजपा चित्रपट यूनियन के अध्यक्ष संदीप घुगे ने कहा कि फिल्मों में और ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लेटफॉर्म पर भी विदेशियों का अवैध रूप से काम करना एक बड़ा मुद्दा है। उन्होंने कहा कि चित्रपट यूनियन ने विदेशी पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) और मुंबई पुलिस से इस सिलसिले में शिकायत की थी, लेकिन ऐसा लगता है कि वे कार्रवाई करने को इच्छुक नहीं हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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