मुंबई के पारसी परिवार में जन्मे थे फिरोज गांधी, नेहरू सरकार की जमकर करते थे आलोचना
1952 में फिरोज गांधी ने रायबरेली से स्वतंत्र भारत का पहला आम चुनाव जीता था। वह नेहरू सरकार की भरपूर आलोचना करते थे जिसके कारण उनकी एक अलग पहचान बनने लगी थी और एक प्रमुख शक्ति बन गए थे।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति और जवाहरलाल नेहरू के दामाद फिरोज गांधी का जन्म बॉम्बे के तहमुलजी नरीमन अस्पताल में एक पारसी परिवार में हुआ था। दो भाइयों और दो बहनों में सबसे छोटे फिरोज गांधी थे। राजनीति में हमेशा से सक्रिय रहे फिरोज गांधी ने बतौर पत्रकार के रूप में लखनऊ से द नेशनल हेराल्ड और द नवजीवन समाचार पत्रों के प्रकाशक के रूप में काम किया। साल 1920 के दशक में जब फिरोज के पिता का निधन हो गया तो वह अपनी मां के साथ इलाहबाद चले गए। उन्होंने विद्या मंदिर हाई स्कूल से अपनी पढाई पूरी की और ग्रेजुएशन के लिए इविंग क्रिश्चियन कॉलेज चले गए।
हमेशा से विद्रोही स्वाभाव के होने के कारण उन्होंने साल 1930 में कांग्रेस स्वतंत्रता सेनानियों की शाखा, वानर सेना का गठन किया। कॉलेज के बाहर धरना प्रदर्शन कर रही महिला प्रदर्शनकारियों में जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू भी शामिल थी और यहीं पहली बार फिरोज की मुलाकात कमला और इंदिरा गांधी से हुई। तेज धूप में प्रदर्शन करने के कारण कमला नेहरू बेहोश हो गई थी और उनसे मिलने के लिए फिरोज उनके घर गए थे। इसी साल वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए जिसके कारण उनकी पढ़ाई बीच में ही छूट गई। उन्हें इस दौरान लाल बहादुर शास्त्री के साथ फैजाबाद जेल में उन्नीस महीने के लिए जेल में कैद कर लिया गया था।
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इंदिरा गांधी की मां कमला नेहरू से थे सबसे ज्यादा करीब
नेहरू परिवार में अगर कोई ऐसा था जिनसे वह सबसे ज्यादा करीब थे तो वो थी इंदिरा गांधी की मां कमला नेहरू। जब 1933 में फिरोज गांधी ने इंदिरा गांधी से शादी करने का प्रस्ताव दिया तो कमला नेहरू ने इस रिश्ते को अस्वीकार कर लिया था और कहा था कि वह केवल 16 साल की है और बहुत छोटी है। कमला नेहरू के निधन के बाद फिरोज और इंदिरा करीब आ गए थे और उन्होंने मार्च 1942 में हिंदू रीति-रिवाजों से शादी कर ली थी।
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ससुर जवाहरलाल नेहरू की सरकार की करते थे आलोचना
1952 में फिरोज गांधी ने रायबरेली से स्वतंत्र भारत का पहला आम चुनाव जीता था। वह नेहरू सरकार की भरपूर आलोचना करते थे जिसके कारण उनकी एक अलग पहचान बनने लगी थी और एक प्रमुख शक्ति बन गए थे। जब वह 1997 में एक बार फिर से रायबरेली से चुने गए तो इस दौरान उन्होंने मूंदड़ा घोटाले से लेकर जीप घोटाले के मुद्दे को बहुत उठाया जिससे जवाहरलाल नेहरू की छवि पर बहुत गहरा असर पड़ने लगा था।
- निधि अविनाश
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