''हलक़ में हाथ डालकर कलेजा खींच लूंगा हरामख़ोर''- मशहूर हैं सनी देओल के ये डायलॉग

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रेनू तिवारी । Apr 23 2019 3:02PM

लेकिन ये बॉलीवुड का सफर नहीं हैं जहां डायलॉग से काम चलता था ये राजनीति हैं जहां जुबानी जंग होगी। आइये राजनीतिक डेब्यू के सेलिब्रेशन में उनके पुराने डायलॉग आपको बताते हैं।

बॉलीवुड अभिनेता सनी देओल ने आज केंद्रीय मंत्री निर्माला सीतारमण और पीयूष गोयल की मौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। अभिनेता सनी देओल ने लोकसभा चुनाव के दौरान मंगलवार को बीजेपी की सदस्यता ले ली हैं। यह भी तय हो चुका है कि सनी देओल पंजाब की गुरदासपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। आपको बता दें कि सनी देओल ने अपने करियर में कई हिट फिल्में दी हैं। उन्हें एक्शन हीरो के तौर पर जाना जाता है। सनी देओल के कई डायलॉग ऐसे हैं जो आज भी लोगों की जुबान पर चढ़े हैं। लेकिन ये बॉलीवुड का सफर नहीं हैं जहां डायलॉग से काम चलता था ये राजनीति हैं जहां जुबानी जंग होगी। आइये राजनीतिक डेब्यू के सेलिब्रेशन में उनके पुराने डायलॉग आपको बताते हैं।

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फिल्म घातक (1996) काशी- ये मज़दूर का हाथ है कात्या, लोहा पिघलाकर उसका आकार बदल देता है! ये ताकत ख़ून-पसीने से कमाई हुई रोटी की है। मुझे किसी के टुकड़ों पर पलने की जरूरत नहीं।

फिल्म गदर: एक प्रेम कथा (2001) तारा सिंह- अशरफ अली! आपका पाकिस्तान ज़िंदाबाद है, इससे हमें कोई ऐतराज़ नहीं लेकिन हमारा हिंदुस्तान ज़िंदाबाद है, ज़िंदाबाद था और ज़िंदाबाद रहेगा! बस बहुत हो गया।

फिल्म ज़िद्दी (1997) देवा- चिल्लाओ मत इंस्पेक्टर, ये देवा की अदालत है, और मेरी अदालत में अपराधियों को ऊंचा बोलने की इजाज़त नहीं।

फिल्म घातक (1996) काशी- हलक़ में हाथ डालकर कलेजा खींच लूंगा हरामख़ोर... उठा उठा के पटकूंगा! उठा उठा के पटकूंगा! चीर दूंगा, फाड़ दूंगा साले!

फिल्म जीत (1996) करण- क्या चाहता है? क्या चाहता है तू? मौत चाहता है? तेरे सारे कुत्तों को मैंने मार दिया, मगर वो राजू को कुछ नहीं कर सके, वो जिंदा है। तेरा कोई भी बारूद, कोई भी हथियार उसे मार नहीं सकता। आज के बाद तेरी हर सांस के पीछे मैं मौत बनकर खड़ा हूं।

फिल्म ज़िद्दी (1997) देवा- तेरा गुनाहों का काला चिट्‌ठा मेरे पास है इंस्पेक्टर। तुझे कानून की ठेकेदारी का लाइसेंस मिले छह साल हुए, और उन छह सालों में तूने अपने लॉकअप में, पांच लोगों को बेहरमी से मौत के घाट उतार दिया।

फिल्म दामिनी (1993) गोविंद- चिल्लाओ मत, नहीं तो ये केस यहीं रफा-दफा कर दूंगा। न तारीख़ न सुनवाई, सीधा इंसाफ। वो भी ताबड़तोड़।

फिल्म ज़िद्दी (1997) देवा- जिस वकील को मारने के लिए तूने अपने आदमी भेजे थे वो अशोक प्रधान.. देवा का बाप है। अगर दोबारा तूने ऐसी ग़लती की तो तेरा वो हश्र करूंगा कि तुझे अपने हाथों से अपनी ज़िंदगी फिसलती हुई नज़र आएगी।

फिल्म घातक (1996) काशी- आ रहा हूं रुक, अगर सातों एक बाप के हो तो रुक, नहीं तो कसम गंगा मइय्या की, घर में घुस कर मारूंगा, सातों को साथ मारूंगा, एक साथ मारूंगा, अरे रूक!!

फिल्म घायल (1990) अजय मेहरा- इस चोट को अपने दिल-ओ-दिमाग़ पर क़ायम रखना। कल यही आंसू क्रांति का सैलाब बनकर, इस मुल्क की सारी गंदगी को बहा ले जाएंगे।

फिल्म घातक (1996) काशी- पिंजरे में आकर शेर भी कुत्ता बन जाता है कात्या। तू चाहता है मैं तेरे यहां कुत्ता बनकर रहूं। तू कहे तो काटूं, तू कहे तो भौंकू।

फिल्म घातक (1996) काशी- डरा के लोगों को वो जीता है जिसकी हडि्डयों में पानी भरा हो। इतना ही मर्द बनने का शौक है न कात्या, तो इन कुत्तों का सहारा लेना छोड़ दे।

फिल्म घायल (1990) अजय मेहरा- रिश्वतख़ोरी और मक्कारी ने तुम लोगों के जिस्म में मां के दूध के असर को ख़तम कर दिया है। खोखले हो गए हो। तुम सब के सब नामर्द हो।

फिल्म दामिनी (1993) गोविंद-  अगर अदालत में तूने कोई बद्तमीजी की तो वहीं मारूंगा। जज ऑर्डर ऑर्डर करता रहेगा और तू पिटता रहेगा।

फिल्म घातक (1996) काशी- जो दर्द तुम आज महसूस करके मरना चाहते हो, ऐसे ही दर्द लेकर हम रोज़ जीते हैं।

फिल्म गदर: एक प्रेम कथा (2001) तारा सिंह- बाप बनकर बेटी को विदा कर दीजिए, इसी में सबकी भलाई है, वरना अगर आज ये जट बिगड़ गया तो सैकड़ों को ले मरेगा।

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